निर्भया कांड के दोषी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति को भेजी गई दया याचिका वापस लेने की मांग की, बताई यह वजह
नई दिल्ली
निर्भया रेप-मर्डर केस के एक दोषी ने गृह मंत्रालय द्वारा राष्ट्रपति को भेजी गई अपनी दया याचिका वापस लेने की मांग की है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, निर्भया कांड में राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका की गुहार लगाने वाले एक दोषी विनय शर्मा ने अपनी याचिका को तुरंत वापस लेने की मांग की है। दोषी ने दावा किया है कि गृह मंत्रालय द्वारा राष्ट्रपति को जो दया याचिका की फाइल भेजी गई है, उस पर उसके हस्तक्षार नहीं है और न ही उसकी ओर से ऑथोराइज्ड है। गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को निर्भया रेप केस के दोषी विनय शर्मा की दया याचिका की फाइल राष्ट्रपति के समक्ष भेजी थी और दया याचिका को खारिज करने की भी सिफारिश की है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले में एक दोषी की दया याचिका खारिज करने की दिल्ली सरकार की सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दी है। अधिकारियों ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को यह जानकारी दी। दया याचिका खारिज करने की फाइल दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे जाने के दो दिन बाद यह कदम उठाया गया है।
यह फाइल विचार करने एवं अंतिम निर्णय के लिए राष्ट्रपति को भेज दी गई है। गृह मंत्रालय ने निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले में एक दोषी की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश करने वाली टिप्पणी भी फाइल में की है। सूत्रों ने कहा कि निश्चित रूप से इस तरह के जघन्य अपराध में माफी नहीं दी जा सकती।
माना जा रहा है कि गृह मंत्रालय ने भी दया याचिका खारिज करने की अनुशंसा की है। मामले के दोषियों में शामिल विनय शर्मा 23 वर्षीय छात्रा से बलात्कार और उसकी हत्या को लेकर मौत की सजा का सामना कर रहा है।
वर्ष 2012 में हुई थी वारदात : गौरतलब है कि निर्भया सामूहिक बलात्कार की घटना 16 दिसंबर 2012 को हुई थी। चोटों के चलते बाद में उसकी मौत हो गई थी। इस बर्बर घटना से राष्ट्रव्यापी रोष की लहर छा गई थी और व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे।
देश में दुष्कर्म के आरोपियों के खिलाफ है गुस्सा : निर्भया मामले में दया याचिका को खारिज किए जाने का कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है, जब हैदराबाद में 25 वर्षीय एक पशु चिकित्सिका से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या को लेकर राष्ट्रव्यापी रोष है। मामले के आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराए जाने के बाद पूरे देश में जघन्य रेप अपराध के मामलों में सख्त कानून और सजा को लेकर मांग हो रही है। संसद में भी यह मामला जोर-शोर से उठा है।
राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज की तो क्या होगा?
अगर राष्ट्रपति निर्भया मामले में दया याचिका खारिज कर देते हैं तो संबंधित कोर्ट दोषी को फांसी पर लटकाए जाने के लिए डेथ वारंट जारी करेगा। कोर्ट यह भी तय करेगा कि किस तारीख को दोषी को फांसी दी जाए।
देश में फांसी का इतिहास
दुष्कर्म के बाद हत्या में
14 अगस्त 2004 : कोलकाता में 15 वर्षीय छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या के आरोप में धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई थी
अब तक कितनों को सजा-ए-मौत
* राष्ट्रीय लॉ विश्वविद्यालय के मुताबिक आजादी के बाद भारत में 1414 अपराधियों को फांसी की सजा दी गई।
* आजादी के बाद पहली फांसी नाथूराम गोडसे और 57वीं फांसी 2015 में मुंबई धमाकों में याकूब मेमन को हुई।
* 2018 में अलग-अलग अदालतों ने 162 लोगों को सुनाया था मृत्युदंड, पर फांसी किसी को नहीं हुई।
चर्चित जल्लाद : नाटा मलिक, कोलकाता
2009 में निधन से पहले नाटा ने 25 अपराधियों को फांसी के फंदे पर लटकाया था, आखिरी फांसी धनंजय चटर्जी को दी थी।
106 देशों ने खत्म किया मृत्युदंड
* एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, 2018 तक 106 देशों ने मृत्युदंड खत्म किया।
* 2018 में 54 देशों में 2531 लोगों को अलग-अलग अपराधों में मृत्युदंड दिया गया।