सुराजी गांव की बाड़ी से लहराने लगी, प्याज, गोभी और हरी सब्जियों की खेती : बाड़ी विकास से किसानों के चेहरे खिलें
कवर्धा, नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी योजना से ग्रामीणों को लाभ होने लगा है। किसानों की बाड़ी हरी-हरी मौसमी सब्जियों से लहलहाने लगी है। योजना से कराए गए बाड़ी विकास कार्य ने ग्रामीणों को लाभ देना शुरू कर दिया हैं। कवर्धा क्षेत्र के ग्राम जरती के किसान अभिमन्यू पिता फेकूराम, सुनिता पति लुध राम, ग्राम छाटा झा के कांति पति दुलारी, ग्राम सिंघनपूरी के दुर्गेश पिता नेतराम, ग्राम कोयलारी के रामपूरी पिता मरदन, ग्राम मथानीकला के बुधारी जैसे बहुत से किसान बाड़ी विकास कर लाभ ले रहे है। फूल गोभी, पत्ता गोभी, लाल भाजी, पालक भाजी, मिर्ची, टमाटर, धनिया, मूली, भाटा, प्याज जैसे अन्य मौसमी सब्जियों को लगाकर विभिन्न किसान न केवल घर में उपयोग कर रहे है वरन आस-पास के साप्ताहिक बाजारों में बेच कर अच्छी खासी आमदनी कमा रहें है।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विजय दयाराम के. ने बताया की सुराजी गंाव योजना के अंतर्गत ग्रामीणों को आगे बढ़ाने के लिए बहुत से कार्य किये जा रहे है। जिससे उन्हें अपने गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सहायता मिले। गौठानों का निर्माण कर आजीविका के नये रास्तें खोले गये है, जिसमें विभिन्न सामाग्रियों का उत्पादन हो रहा है, विशेष तौर पर जैविक खाद इत्यादि। बाड़ी विकास से हुए लाभ के कारण किसानों में उत्साह का माहौल है। सुराजी गांव के तहत बाड़ी विकास का कार्य करने के लिए योजना मंे प्रति किसान 16 हजार 200 रूपये की दर से बाड़ी विकास कार्य स्वीकृत किया गया है। जिसमें 13 हजार 200 रूपये मजदूरी पर खर्च करते हुए किसानों ने अपने बाड़ी की भूति को समतल कर कृषि कार्य योग्य बना लिया और जिसमें इन्हें रोजगार के साथ मजदूरी मिल गया। तीन हजार रूपयें में उद्यानिकी विभाग के द्वारा अच्छें किस्म के बीज इन्हें दिया गया तथा इन्सेक्टीसाईट एवं पेस्टीसाईट भी दिया गया जो कि पूर्ण रूप से जैविक है। यही कारण है कि छाटा झा, बदराडीह, तिवारी नवागांव, झिरहा, कोयलारी, मथानीकला, जरती एवं सिंघनपुरी के कुल 79 ग्रामीणांे ने बाड़ी विकास से लाभ लिया है और मौसमी सब्जियों का उत्पादन कर रहें है। आज किसान अपने घर के पास बाजारों में सब्जियॉं बेचकर अच्छी आमदनी कमा रहें है। किसानों को विभाग द्वारा नियमित रूप से प्रोत्साहित करते हुए लाभकारी योजना की जानकारी दी जा रही है और इससे किसान जुड़ भी रहे है। निश्चित ही सुराजी गांव योजना का सपना साकार होता दिख रहा है, क्योंकि किसान आत्मनिर्भर होकर अपने संसाधनों से विकास कर रहें है।