November 23, 2024

अब दामाद और बहु भी होंगे पैरंट्स इन लॉ की देखभाल के लिए जिम्मेदार

0

 नई दिल्ली
सरकार ने मेंटिनेंस ऐंड वेलफेयर ऑफ पैरंट्स ऐंड सीनियर सिटिजन ऐक्ट 2007 के तहत बुजुर्गों का ख्याल रखने वालों की परिभाषा को और विस्तार दिया है। दरअसल केंद्रीय कैबिनेट की तरफ से न सिर्फ खुद के बच्चों, बल्कि दामाद और बहु को भी देखभाल के लिए जिम्मेदार सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है।
अधिनियम में संशोधन को बुधवार को कैबिनेट की तरफ से भी अनुमति मिल गई है। नए नियम में माता-पिता और सास-ससुर को भी शामिल किया गया है, चाहे वे सिनियर सिटिजन हों या नहीं। उम्मीद की जा रही है कि अगले हफ्ते इस बिल को सदन में पेश किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि इसमें अधिकतम 10 हजार रुपये मेंटिनेंस देने की सीमा को भी खत्म किया जा सकता है।

देखभाल करने वाले ऐसा करने में विफल होते हैं, शिकायत करने पर उन्हें 6 महीने कैद की सजा हो सकती है, जो अभी तीन महीने है। देखभाल की परिभाषा में भी बदलाव कर इसमें घर और सुरक्षा भी शामिल किया गया है। देखभाल के लिए तय की गई राशि का आधार बुजुर्गों, पैरंट्स, बच्चों और रिश्तेदारों के रहन-सहन के आधार पर किया जाएगा।
 
प्रस्ताव पास होने की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि बिल लाने का मकसद बुजुर्गों का सम्मान सुनिश्चित करना है।

प्रस्तावित बदलावों में देखभाल करने वालों में गोद लिए गए बच्चे, सौतेले बेटे और बेटियों को भी शामिल किया गया है। संशोधन में "सीनियर सिटीजन केयर होम्स" के पंजीकरण का प्रावधान है और केंद्र सरकार स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करेगी। विधेयक के मसौदे में 'होम केयर सर्विसेज' प्रदान करने वाली एजेंसियों को पंजीकृत करने का प्रस्ताव है। बुजुर्गों तक पहुंच बनाने के लिए प्रत्येक पुलिस ऑफिसर को एक नोडल ऑफिसर नियुक्त करना होगा।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि इस विधेयक से बुजुर्गों के शारीरिक और मानसिक कष्ट में कमी आएगी। इसके अलावा इस नए बिल से देखभाल करने वाले भी बुजुर्गों के प्रति ज्यादा संवेदनशील और जिम्मेदार बनेंगे।
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *