अनुच्छेद 370: कश्मीर टेपों से ‘नकदी के बदले हिंसा’ की साजिश बेनकाब
नई दिल्ली
कश्मीर में पाबंदियों के एलान को करीब 4 महीने बीत चुके हैं लेकिन घाटी में अब भी ऐसे खुराफ़ाती लोग हैं जो पहला मौका मिलते ही गड़बड़ियों को अंजाम देने के लिए तैयार बैठे हैं. ये निष्कर्ष इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) की जांच से सामने आया है.
ये अंडरकवर जांच ऐसे वक्त में हुई जब 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाए जाने के बाद से जम्मू और कश्मीर में सख्त पाबंदियों की गूंज पूरे विश्व में सुनाई दे रही थी.
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में पिछले महीने एक बयान में कहा था कि अशांत क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल हो चुकी है. यानी सब ठीक ठाक है. लेकिन इंडिया टुडे की जांच से जो सामने आया वो केंद्र सरकार के इस बयान से मेल नहीं खाता. इस जांच से निकली ज़मीनी सच्चाई इसलिए भी अहम है क्योंकि जम्मू और कश्मीर में नई दिल्ली की ओर से उठाए कदमों की ग्लोबल मीडिया आलोचना कर रहा है.
संदिग्ध भड़काऊ तत्व
घाटी में विभिन्न वर्गों से ताल्लुक रखने वाले संदिग्ध भड़काऊ तत्वों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक का सफर इसलिए किया कि वो हिंसक प्रदर्शनों को लेकर अपने ब्लू प्रिंट को साझा कर सकें. इंडिया टुडे SIT के अंडर कवर रिपोटर्स ने ऐसे तत्वों को अपना परिचय कॉर्पोरेट लॉबिस्ट्स के तौर पर दिया था.
गांदरबल के स्थानीय क्रिकेटर फयाज़ अहमद बट ने अंडर कवर रिपोटर्स से कहा कि अगर भुगतान किया जाए तो उसके लोग श्रीनगर में और आस-पास के सौरा और बचपोरा जैसे इलाकों में गड़बड़ी फैला सकते हैं.
बट ने दावा किया कि वो घाटी में सख्त बंदिशों के बावजूद क्या क्या करवा सकता है. इसके लिए उसने 'मुंह ढक कर हिंसक प्रदर्शन, पुलिस वाहनों पर पथराव और सड़कों को ब्लॉक करना.' को गिनवाया.
बट ने कहा, 'इससे उन पर फायरिंग या पेलेट (पुलिस की ओर से) बरसाई जा सकती हैं. 10 से 15 युवक आएंगे और सौरा और बचपोरो जैसे क्षेत्रों में हिंसक प्रदर्शन कर सकते हैं. उनके चेहरे पर पेलेट भी लग सकती हैं.'
बट ने गड़बड़ी के अपने तरीके का खुलासा भी किया. बट के मुताबिक 'इसके लिए शुक्रवार की नमाज के दौरान मस्जिदों से प्रदर्शन का आह्वान किया जाएगा. साथ ही लोगों को अनुच्छेद 370 पर भड़काया जाएगा.'
बट ने कहा, 'एक तरीका इसे इमामों (स्थानीय मस्जिदों के) के ज़रिए कराने का है. आपको इसके लिए इजाज़त की जरूरत नहीं. मस्जिदों की अपनी प्रबंध कमेटियां होती हैं. मुझे इसके लिए उनसे भाषण देने के लिए लिखित आग्रह करना होगा.'
बट ने कहा, 'मैं भी उनसे बात करूंगा. सुनिए, इसे हमें ज़बरन करना होगा. हमें इसे धार्मिक भाषण शुरू होने से पहले करना होगा. मुझसे एक दो मिनट के लिए बोलने को कहा जाएगा. इसके बाद मैं नारे लगाऊंगा और वहां से हट जाऊंगा.'