शीतकालीन सत्र : राज्यपाल का एकाधिकार होगा समाप्त, प्रतिनिधि की सहमति से कुलपति की तैनाती
भोपाल
मध्यप्रदेश के सातो पारंपरिक विश्वविद्यालयों में कुलपति की तैनाती अब राज्य शासन द्वारा तय प्रतिनिधि की सहमति से ही। इसमें राज्यपाल का एकाधिकार अब समाप्त हो जाएगा। राज्य सरकार इसके लिए अगले माह होंने जा रहे शीतकालीन सत्र में विधेयक लाएगी। राज्यपाल की मंजूरी के बाद इसे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
अभी तक प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कुलपति का चयन तीन सदस्यीय सर्च समिति के द्वारा किया जाता है। इस समिति में एक सदस्य राज्यपाल द्वारा नाम निर्दिष्ट व्यक्ति होता है। एक सदस्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) द्वारा तय व्यक्ति होता है। इसके अलावा एक सदस्य विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद द्वारा नाम निर्दिष्ट व्यक्ति होता है।
प्रदेश के विभिन्न सात पारंपरिक विश्वविद्यालयों में जब भी कुलपति का चयन किया जाता है तो इस तीन सदस्यीय सर्च कमेटी द्वारा कु लपति के लिए चुनिंदा व्यक्तियों के नाम का प्रस्ताव रखा जाता है। उस पर चर्चा के बाद सभी तीनो सदस्यों की सहमति से कुलपति का चयन होता है और अंतिम रुप से राज्यपाल उस पर स्वीकृति की मुहर लगाते है। इस संशोधन के बाद राज्य की कांग्रेस शासित सरकार भी कुलपति के चयन के लिए अपने एक सदस्य को नामित करेगी। कुलपति के चयन के लिए होंने वाली सर्च कमेटी की बैठक में अब राज्य सरकार का एक प्रतिनिधि भी शामिल होगा।
राज्य सरकार इसके लिए मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय द्वितीय संशोधन विधेयक 2019 लाएगी। इसके जरिए मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 में संशोधन किया जाएगा। इसमें मूल अधिनियम की धारा 13 की उपधारा दो में खंड एक कार्यपरिषद द्वारा निर्वाचित व्यक्ति के स्थान पर राज्य सरकार द्वारा नाम निर्दिष्ट किया गया व्यक्ति एवं अधिनियम की धारा 13 की उपधारा तीन में कार्य परिषद के स्थान पर राज्य सरकार द्वारा स्थापित किए जाने हेतु वरिष्ठ सचिव समिति द्वारा संशोधन किया जाएगा। इस विधेयक को दिसंबर माह में होंने वाले शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा और वहां चर्चा और मंजूरी के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।