प्रदेश के लिए यूरिया की आपूर्ति में दो लाख मीट्रिक टन की कमी
भोपाल
मध्य प्रदेश के लिए फसल बीमा में केंद्र का अंश देने से इनकार के बाद केंद्र सरकार ने अब यूरिया की आपूर्ति का कोटा लगभग दो लाख मीट्रिक टन कम कर दिया। इसके पहले यूरिया की रबी सीजन के लिए मांग 18 लाख मीट्रिक टन से घटाकर 15 लाख 40 हजार मीट्रिक टन कर दी गई थी। इसका सीधा असर उन किसानों पर पड़ेगा, जो अतिवर्षा और बाढ़ की वजह से खरीफ फसलें चौपट होने के बाद रबी फसलों से उम्मीद लगाए बैठे हैं। किसानों की जरूरत को भांपते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर यूरिया की मांग और आपूर्ति पूरी करने की बात उठाई है। मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती भी इस मुद्दे को लेकर लगातार केंद्रीय अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं।
प्रदेश में औसत से 30 से 40 प्रतिशत ज्यादा बारिश होने की वजह से हर किसान रबी फसलें अधिक से अधिक लेना चाहता है। इसके मद्देनजर किसान ज्यादा से ज्यादा यूरिया चाहता है। कृषि विभाग ने इस स्थिति का आकलन करते हुए केंद्र सरकार से रबी सीजन के लिए 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया देने की मांग रखी थी, लेकिन काफी चर्चा के बाद भी दो लाख 60 हजार मीट्रिक टन मांग घटाकर पूरे सीजन के लिए कोटा 15 लाख 40 हजार मीट्रिक टन तय कर दिया।
कृषि विभाग की ओर से एक अक्टूबर से लेकर 30 नवंबर तक आठ लाख 75 हजार मीट्रिक टन यूरिया मांगा गया, लेकिन 21 नवंबर तक पांच लाख 92 हजार टन की आपूर्ति तय हुई। इसमें भी दो लाख 14 हजार मीट्रिक टन ट्रांजिट (परिवहन) में है। इसे मप्र के छतरपुर, खंडवा, होशंगाबाद, सतना शाजापुर, छिंदवाड़ा, इंदौर, जबलपुर, नरसिंहपुर और हरदा आने में कम से कम दो दिन लगेंगे।
इसके अलावा 78 हजार मीट्रिक टन खाद और 30 नवंबर तक आ सकती है। इस हिसाब से देखा जाए तो नवंबर तक डेढ़ लाख मीट्रिक टन से ज्यादा यूरिया प्रदेश को कम मिलेगा। यही वजह है कि प्रदेश के कुछ जिलों में यूरिया की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है।
76 हजार मीट्रिक टन ज्यादा लिया और 68 हजार अधिक बेचा
सूत्रों का कहना है कि कृषि विभाग करीब तीन माह पहले से ही यूरिया के इंतजाम में जुट गया था। यही वजह है कि प्रदेश के पास अभी सात लाख 98 हजार मीट्रिक टन यूरिया है, जो पिछले साल के 7.22 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले 76 हजार मीट्रिक टन अधिक है। वहीं, बिक्री पांच लाख 84 हजार मीट्रिक टन की हो चुकी है, जो पिछले साल के पांच लाख 16 हजार मीट्रिक टन से 68 हजार मीट्रिक टन अधिक है।