आपकी त्वचा पर बुढ़ापे के निशान छोड़ रहा प्रदूषण
नई दिल्ली
अस्थमा और हार्ट मरीजों के लिए तो प्रदूषण खतरनाक है ही, यह त्वचा पर भी बुरा असर डाल रहा है। लंबे समय से प्रदूषण में सांस ले रहे दिल्लीवाले त्वचा संबंधी परेशानियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। अस्पतालों में त्वचा से जुड़ी बीमारी के मरीजों में 30 फीसदी तक इजाफा देखा गया है। लोग एलर्जी, खुजली, लाल चकत्ते बनने और उम्र से पहले ही त्वचा का बेजान होने जैसी परेशानी के साथ इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
एम्स के डर्मोटोलॉजी विभाग के डॉ. वीके शर्मा का कहना है कि शोध में साबित हो चुका है, हवा में 2.5 पीएम ज्यादा होने पर त्वचा में सूजन आ जाती है। यही वजह है कि दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण त्वचा संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। डॉक्टर ने पिछले साल पबमेड में प्रकाशित एक रिसर्च का हवाला देते हुए कहा कि पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर स्तर बढ़ने से चेहरे और माथे पर 20 फीसदी तक पिगमेंट बढ़ जाते हैं।
इस बारे में कास मेडिकल सेंटर और मेडस्पा के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अजय कश्यप ने कहा कि हमारी त्वचा पर्यावरण में मौजूद हानिकारक तत्व से बचाने का काम करती है। यह सुरक्षा कवच की तरह है, लेकिन प्रदूषण की वर्तमान स्थिति इतनी खराब है कि सुरक्षा कवच खुद ही बीमारियों की चपेट में आ गया है। उन्होंने कहा कि त्वचा संबंधी बीमारियां और उम्र से पहले ही त्वचा के बेजान होने की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।
पिछले कुछ दिनों में त्वचा संबंधी बीमारियों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी और एंटी एजिंग का इलाज कराने वाले लोगों की भी संख्या बढ़ी है। त्वचा के क्षतिग्रस्त और उम्र से पहले खराब होने की वजह सूजन है। ऐसे में अगर प्रदूषण का स्तर बढ़ा हो, तो यह हालात और गंभीर बना देता है। इससे त्वचा में खुजली, एक्जिमा, एलर्जी, पिगमेंट और झुर्रियां भी आ जाती है।