राइस मिलर्स फिर संकट में, बना रहे हैं रणनीति
रायपुर
राज्य के राइस मिलर्स एक बार फिर संकट में घिर गए हैं। इसके लिए वे नई कस्टम नीति को दोषी मान रहे हैं। ऐसे में प्रदेश के राइस मिलों में तालाबंदी के अलावा और कोई विकल्प नहीं दिखाई दे रहा है। इस संबंध में शासन-प्रशासन के सामने अपना पक्ष रखने का प्रयास किया, पर हल नहीं निकला। ऐसे में प्रदेश के राइस मिलर परेशान हैं और आने वाले दिनों में बैठक कर बिजली कनेक्शन कटवाने या तालाबंदी का निर्णय ले सकते हैं।
राइस मिल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश रुंगटा ने बताया कि राइस मिलरों पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है, जिससे वे सभी काम करने की स्थिति में नहीं हैं। उनके ऐसे निर्णय से राइस मिलें बंद होंगी, साथ ही वहां काम करने वाले हजारों मजदूरों का रोजगार प्रभावित होगा। उन्होंने बताया कि 25 जुलाई को उनकी मुख्यमंत्री से चर्चा हुई थी। इस दौरान उन्होंने उनकी समस्याएं सुनते हुए आश्वासन दिया था कि नई कस्टम नीति बनाई जाएगी, ताकि यहां की राइस मिलें सुचारू रूप से चल सके।
उन्होंने बताया कि सीएम के बाद अलग-अलग अफसरों से भी उनकी समय-समय पर चर्चा होती रही, पर उनकी समस्याएं दूर नहीं हुई। धान संग्रहण केंद्रों में धान उठाव व चावल परिवहन पर हमाली का भुगतान यथावत रखने की मांग पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। प्रदेश के अरवा राइस मिलर्स को अपनी रोजी-रोटी, रोजगार के लिए कस्टम मिलिंग कराना जरूरी है। उनके सामने इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। शासन की ओर से राइस मिलों के भौतिक सत्यापन के नाम पर भय बनाने का प्रयास किया जा रहा है। छापे की इस कार्यवाही से उनमें रोष है। आगे जो भी फैसला लेंगे सामूहिक होगा और शासन को भी इससे अवगत करा देंगे।