बीजेपी अपने विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता बचाने के लिए राज्यपाल के दरबार में
भोपाल
मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र तक कुर्सी पाने और बचाने की सियासत गरम है। मध्यप्रदेश में बीजेपी अपने विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता बचाने के लिए राज्यपाल के दरबार में पहुंच गई है। वहीं महाराष्ट में सरकार गठन को लेकर चल रही रस्सकशी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट आज इस मामले में सुनवाई करेगा। दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के उन 17 विधायकों को उप चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी है, जिन्हें कांग्रेस-जेडीएस के खिलाफ बगावत के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य घोषित कर दिया था।
दो साल की सजा के बाद प्रहलाद लोधी की विधानसभा से सदस्यता खत्म किए जाने के मामले में सियासत गरमा गई है। इसको लेकर विधानसभा सचिवालय पर अधिकार न होने के बाद भी आदेश जारी किए जाने की शिकायत लेकर भाजपा राजभवन पहुंची। यहां पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा समेत अन्य नेता प्रहलाद लोधी के साथ राज्यपाल लालजी टंडन से मिले और राज्यपाल से अपने अधिकार का उपयोग कर सदस्यता बहाल करने का आग्रह किया। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रहलाद लोधी के मामले में विधानसभा अध्यक्ष पक्षपाती हो गए हैं। नेता प्रतिपक्ष ढूंढ़ रहे हैं और विधानसभा अध्यक्ष मिल नहीं रहे हैं। लोधी विधायक हैं और वे सब उनको लेकर विधानसभा में जाएंगे। चौहान ने कहा कि एक डरी हुई सरकार अपने आप को बचाने के लिए षड़यंत्र कर रही है। इस षड़यंत्र में विधानसभा अध्यक्ष निष्पक्ष नहीं हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग को लेकर गवर्नर को ज्ञापन दिया है और हमें विश्वास है कि यहां से न्याय मिलेगा। विधानसभा अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष से अपनी लोकेशन नहीं बताते जबकि नेता प्रतिपक्ष उनसे मिलना चाहते हैं।
उधर सदस्यता समाप्त होने के लिए प्रहलाद लोधी ने मुकेश नायक को जिम्मेदार ठहराया है। लोधी ने कहा कहा कि मुकेश नायक पर्दे के पीछे से खलनायक बने हैं। वे खेल खेल रहे हैं और उनकी राजनीतिक हत्या करना चाहते हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात के बाद सिंह ने मीडिया से चर्चा में कहा कि जब प्रहलाद लोधी की सजा के मामले में हाईकोर्ट ने स्थगन दे दिया है तो उसके बाद भी विधानसभा सदस्यता बहाल नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि देश के संविधान और कानून का यह खुला उल्लंघन है। संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं। पिछले 8 दिनों से इस मामले में राजनीति हो रही है। कांग्रेस अपना बहुमत बनाए रखने के लिए ये सब कर रही है।