गुरु नानक देव जी की 550 वीं जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लिखा ब्लॉग
भोपाल
सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले धर्मगुरु गुरु नानक देव की 550 वीं जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ब्लॉग लिखा है| उन्होंने लिखा गुरु नानक देव जी मानवता में विश्वास रखने वालों और नि:स्वार्थ भाव से मानवता की सेवा में समर्पित लोगों के लिए अनन्य प्रेरणा-स्रोत रहे हैं। हम इस महान संत की 550 वीं जयंती मनाते हुए आध्यात्मिक रूप से स्वयं को धन्य समझते हैं।
कमलनाथ ने अपने ‘ब्लाॅग’ में लिखा है कि नानक शाह फकीर जी की शिक्षाएं आज और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गई हैं क्योंकि मनुष्य स्वरचित दुखों का सामना कर रहा है। सामाजिक, सांस्कृतिक एकता की भावना को खतरों का सामना करना पड़ रहा है और मानवीय मूल्यों में मनुष्य का विश्वास बुरी तरह डगमगा गया है। वर्षों पहले गुरुनानक देव जी ने इस तरह की स्थितियों की चेतावनी दी थी और सुधारवादी कदम भी सुझाए थे।
भारत के गौरवान्वित नागरिकों के रूप में हम गुरु नानक देव जी को अपने मार्गदर्शक और दार्शनिक के रूप में पाकर खुद को भाग्यशाली मानते हैं। आज, जब दुनिया में सांस्कृतिक विविधता के लिए नापाक ताकतों और कट्टरपंथी सोच ने खतरे पैदा किये है, हम अपने मार्गदर्शक के रूप में गुरु नानक देव जी की बानी पाकर धन्य हैं। वे सिर्फ सिख समुदाय के गुरु नहीं हैं। वे मानवता के महान आध्यात्मिक शिक्षक हैं क्योंकि वे मन और हृदय के विकारों से मुक्ति पर जोर देते हैं।
गुरु नानक देव जी सामाजिक-धार्मिक और सांस्कृतिक सद्भाव के प्रतीक हैं। गुरु नानक देव जी और भाई मरदाना का साथ एक अनूठा उदाहरण है। यह सांस्कृतिक एकता को रेखांकित करता है। दो महान पुण्यात्माएँ परस्पर आध्यात्मिक गहराई से एकाकार थी। भाई मरदाना गुरुजी से 10 साल बड़े थे और अपने अंतिम समय तक उनके साथ रहे। उन्होंने निरंकार की महिमा का गायन करते हुए दो दशकों तक एक साथ आध्यात्मिक यात्रा की। गुरुनानक देव जी गाते थे और भाई मरदाना उनके साथ रबाब पर संगत करते थे। वे विलक्षण रबाब वादक थे। यहाँ तक कि उन्होंने इसे छह-तार वाला यंत्र बनाकर इसमें सुधार किया। उनका जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। संगीत का उनका ज्ञान श्री गुरु ग्रंथ साहिब में स्पष्ट झलकता है। उसे विभिन्न रागों में निबद्ध किया गया है।भाई मरदाना का उल्लेख श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भी है।