स्वास्थ्य योजनाओं में मानसिक स्वास्थ्य के एकीकरण के लिए जुटेंगे विशेषज्ञ
रायपुर
जीवन भर व्यापक मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पर विशेषज्ञ परामर्श कार्यशाला 13 और 14 नवंबर को रायपुर में आयोजित की जाएगी। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य योजनाओं में मानसिक स्वास्थ्य के एकीकरण के लिए एक कार्य योजना तैयार करना है।
वैश्विक शोधों से मिली जानकारी के अनुसार मानसिक रोग 14 साल की उम्र के पहले से ही शुरू हो जाती हैं या उनके लक्षण दिखने लगते हैं। वहीं 20 फीसदी महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान या जन्म देने के एक साल के भीतर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं विकसित होती हैं। हालांकि, 75 फीसदी महिलाओं का निदान नहीं किया जाता है और उन्हें पर्याप्त उपचार और सहायता नहीं मिलती हैं। 2010 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 3.7 मिलियन लोग अल्जाइमर बीमारी के शिकार हैं। विश्व अल्जाइमर रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 4 मिलियन से अधिक लोगों को विभिन्न प्रकार का मानसिक रोग है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं अन्य सामान्य शारीरिक स्वास्थ्य बीमारियों के समान ही अल्जाइमर, पाकिंर्संस और मनोभ्रंश अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे भी हैं।
मानसिक स्वास्थ्य के बढ़ते और विकसित होते पहलुओं को पहचानने के लिए बहुत कुछ करना होगा। इसके लिए मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को एक स्थायी प्रयास के वर्तमान परिदृश्य से हमें परे जाना होगा। मानसिक स्वास्थ्य सभी आयु समूहों और लिंगों को प्रभावित करता है, इसलिए इसे सभी मौजूदा स्वास्थ्य योजनाओं जैसे मातृ स्वास्थ्य, बच्चे और किशोर स्वास्थ्य और यहां तक कि जरा चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा में एकीकृत करना महत्वपूर्ण है।
दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञ समूह मातृ मानसिक स्वास्थ्य, बाल और किशोर मानसिक स्वास्थ्य, मातृत्व मानसिक स्वास्थ्य, आयुष्मान भारत / स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के तहत मानसिक स्वास्थ्य, और कमजोर जनसंख्या में मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा करेंगे।
उपसंचालक (एनएमएचपी) डॉ. महेन्द्र सिंह ने बताया गर्भवती महिलाओं और माताओं में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं प्रसव काल के दौरान मानसिक विकार के रूप में देखा जाता है । इसी तरह किशोरों, वयोवृद्धों और बच्चों में भी तनाव एवं मानसिक अवसाद के कई कारण देखे जा रहे हैं। इसे देखते हुए वर्तमान में मातृत्व और मानसिक स्वास्थ्य, वृद्धावस्था और मानसिक स्वास्थ्य, वयस्क, किशोर -किशोरी और मानसिक स्वास्थ्य इलाज एवं परामर्श की जरूरत महसूस हो रही है। उन्होंने बताया कार्यशाला परामर्श में मुख्य रूप से डॉ. अत्रेयी गांगुली, डॉ. आलोक माथुर अतिरिक्त महानिदेशक, निहारिका बरीक सिंह, सचिव, नीरज बंसोड़, और डॉ. प्रियंका शुक्ला, एमडी मौजूद रहेंगे। इनके अलावा देश भर से विशेषज्ञ और राज्य के मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरो साइंसेज विशेषज्ञ छत्तीसगढ़ के लिए रणनीतिक योजना तैयार करेंगे। जिसे राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ जोडक? संपूर्ण छत्तीसगढ़ में क्रियान्वित किया जाएगा।