76 हजार टन मलबे में तब्दील होंगे 325 फ्लैट
कोच्चि
सुप्रीम कोर्ट ने केरल के एर्नाकुलम में समुद्र के किनारे अवैध रूप से बने मरादु फ्लैट्स को केरल सरकार द्वारा दी गई समय सीमा के अनुसार 138 दिनों में गिराए जाने का आदेश दिया है। ये फ्लैट प्रतिबंधित तटीय नियमन क्षेत्र-III या CRZ-III में बने हुए हैं। जांच में पाया गया था कि CRZ-III में निर्माण की अनुमति देने के मामले में कई अनियमितताएं थीं। यह भी सामने आया कि जिस जगह पर फ्लैटों और बिल्डिंगों का निर्माण किया गया है वह इलाका समुद्रीय तट पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
केरल सरकार ने इन चारों हाइराइज कॉम्प्लैक्स को गिराने के लिए 9 जनवरी की डेडलाइन तय की है। 8 लाख वर्ग फीट में बने 325 फ्लैट को ध्वस्त करने के लिए नियंत्रित धमाके किए जाएंगे ताकि कम से कम पर्यावरणीय नुकसान हो। सबसे पहले जैन्स कोरल कोव नामके अपार्टमेंट गिराए जाएंगे।
जैन्स कोरल कोव गिरेंगे सबसे पहले
जैन हाउसिंग ऐंड कंस्ट्रक्शंस लिमिटेड के बने इन अपार्टमेंट में 16 मंजिलें रहने और 2 मंजिलें पार्किंग के लिए हैं। इनमें 1,690 से 1,765 वर्ग फीट के 122 फ्लैट हैं जो सबसे पहले गिराए जाएंगे।
मुंबई की एजेंसी करेगी धमाका
इन इमारतों को ढहाने का काम मुंबई की एडिफिस इंजिनियरिंग करेगी। इस कंपनी को इमारतें और फैक्ट्रियां गिराने का अनुभव है।
दो तरह के होंगे धमाके
इस इमारत को गिराने में 250 किलो पाउडर जेल एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल होगा। यह प्राइमरी ब्लास्ट के लिए विस्फोटक ग्राउंड फ्लोर के कॉलम में पांच जगहों पर और 1, 3, 8, 14वें फ्लोर के कॉलमों में तीन जगहों पर लगाया जाएगा। इसके लिए कॉलमों में 32 मिलीमीटर व्यास के छेद किए जाएंगे।
सेकंडरी ब्लास्ट 2,5 और 11वें फ्लोर पर होंगे इसके लिए विस्फोट दीवार में लगाए जाएंगे।
20 सेकंड में ढह जाएगी इमारत
यहां विस्फोटक लगाने में कुल 5 से 7 दिन लग सकते हैं। अनुमान है एक बार धमाका होने के 20 सेकंड के अंदर इमारत ढह जाएगी। इससे उठी धूल का बादल छंटने में 5 मिनट का समय लग सकता है। विस्फोट इस तरह किया जाएगा कि इमारत दक्षिण पूर्व दिशा में गिरे।
निकलेगा 26,400 टन मलबा
जैन्स कोरल कोव से करीब 26,400 टन मलबा निकलेगा। इस तरह चारों कॉम्प्लैक्स को गिराने पर करीब 76,300 टन मलबा निकलने की उम्मीद है। इस मलबे का शुरुआती ढेर करीब 18 मीटर ऊंचा होगा। करीब 8 मीटर मलबा समुद्री पानी की ओर रहेगा और 12 मीटर उसकी विपरीत दिशा में। इसके निस्तारण के लिए अलग-अलग लोगों को ठेका दिया गया है।
इमारत गिरने से उठेंगी तरंगें
अनुमान है कि इमारत ध्वस्त करने पर जो मलबा जमीन पर गिरेगा उससे 15 मिलीमीटर/सेकंड तीव्रता वाली तरंगे उठेंगी। भारत में इनकी अधिकतम सीमा 35 मिलीमीटर/सेकंड है। अगर इससे ज्यादा हुईं तो पास की इमारतों में दरार आ सकती है।
धमक रोकने के लिए मिट्टी का इस्तेमाल
ढहती हुई इमारत गिरने से जमीन पर होने वाली धमक और उससे उठने वाली तरंगों को रोकने के लिए आसपास 1.5 मीटर ऊंची मिट्टी की परत बिछाई जाएगी। मलबा इधर-उधर न छिटके इसके लिए बिल्डिंग को जिओटेक्सटाइल ट्यूबों से ढंका जाएगा। इमारत की चारदीवारी के पास धातु की शीट लगाई जाएंगी।
पड़ोसियों का थर्ड पार्टी बीमा
इस इमारत के गिरने से 50 मीटर तक धुएं का बादल उठेगा। मलबे से होने वाले संभावित नुकसान को देखते हुए इमारत के 100 मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों के लिए थर्ड पार्टी बीमा की व्यवस्था की गई है।
जैन्स कोरल कोव गिराने में 86 लाख का खर्चा
अनुमान है कि केवल जैन्स कोरल कोव गिराने में 86 लाख रुपयों का खर्च आएगा। सभी चारों कॉम्प्लैक्स गिराने में लगभग 2.3 करोड़ रुपये लगेंगे। शुरू में राज्य सरकार इस खर्च को वहन करेगी बाद में यह बिल्डर से वसूला जाएगा।