November 23, 2024

ढोंग फ़रेब भारत की संस्कृति का हिस्सा नहीं है ।बंद हो धर्म के नाम पर पाखंड – नितिन भंसाली

0

जोगी एक्सप्रेस 

रायपुर, नितिन भंसाली चैयरमेन PISF ने पाखंडी और ढोंगी बाबाओं पर जम कर बरसते हुए कहा की डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को CBI की विशेष अदालत ने हाल ही में 25 अगस्त को दो साध्वियों के साथ रेप केस में दोषी करार दिया और 28 अगस्त को रेप केस में दो रेप केस में 10-10 साल की सजा सुनाई गई।उसके कुछ ही देर पहले एक धर्म के नाम पर गोरखधंदा करने वाला भीमानंद इच्छाधारी बाबा फिर से मीडिया और पुलिस की सुर्खियों में छाया है। इस इच्छाधारी बाबा पर भी लगभग 9 साल पहले सैक्स रेकिट चलाने का आरोप था। ऐसे तथाकथित धर्मगुरुओं की लम्बी लिस्ट है । आसाराम बापू, निर्मल बाबा, राधे माँ आदि ने धर्म के नाम पर पाखंड किया है ।यौन शोषण के आरोपी आसाराम या फिर चटनी से क़िस्मत बदलने वाले निर्मल बाबा जैसे लोगों ने धर्म को शर्मशर किया है । ये सब ढोंग फ़रेब भारत की संस्कृति हिस्सा नहीं है ।

गुरमीत राम रहीम को सजा सुनाने पर हुई हिंसा ने मेरी बात को सही साबित किया है. राजनीति और धर्म का घालमेल कितना खतरनाक हो सकता है, ये बात हरियाणा में हुई हिंसा ने दिखा दी है. जब भी राजनेता ऐसे धर्मगुरुओं को बढ़ावा देते हैं, तो नतीजे खतरनाक ही होते हैं. फिर सरकार की शह पाने वाले ऐसे बाबाओं के अनुयायी इसी तरह उत्पात मचाते हैं. कानून को अपने हाथ में लेते हैं. राम रहीम के मामले में उसके भक्तों ने ऐसा ही तो किया.

हाल में ही ख़बर आयी थी कि डायबीटीज से जूझ रहे छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री  रामसेवक पैकरा अब इसके इलाज के लिए ‘कंबल वाले बाबा’ की शरण में पहुंच गए हैं। मैं इस प्रकार के अंधविशवस की कड़ी निंदा करते हुए कहना चाहते हूँ की ऐसी ख़बरें जनता पर एक नकारात्मक प्रभाव एवं अविश्वास पैदा करती है ।जब प्रदेश के गृहमंत्री ही ऐसे इलाज पर भरोसा कर रहे है तो आम जनता से जगरूकता की उम्मीद करना मुश्किल हैमेरे हिसाब से धर्मगुरुओं का मामला कुछ ऐसा है जिसमें कोई भी खुद को खुदा के सबसे करीब होने का दावा करता है. हजारों-लाखों लोग उसकी बात पर यकीन करके उसके भक्त बन जाते हैं. इस लिहाज से कोई बड़ा खिलाड़ी या अभिनेता भी धर्मगुरु ही हो जाता है. उसके भी बहुत से फैन हो जाते हैं. मगर मौजूदा हालात को देखते हुए हमें ऐसे ढोंगी धर्मगुरुओं और सच्चे संन्यासियों के बीच फर्क करना आना चाहिए.हमें ऐसे धर्मगुरुओं को नफरत से नहीं देखना चाहिए. हमें तो ऐसे बाबाओं के खिलाफ जागरूकता फैलानी चाहिए जो खुद को खुदा बताने लगते हैं. वो बीमारियों के इलाज का दावा करने लगते हैं. वो अपनी ताकत से लोगों की किस्मत बदलने के दावे करने लगते हैं. ऐसे दावों के बूते पर वो ढेर सारी दौलत जमा कर लेते हैं. वो शहाना जिंदगी जीने लगते हैं.कानून या संविधान के जरिए हम ऐसे ढोंगी बाबाओं पर शायद ही लगाम लगा पाएं. हां, वो अपराध करेंगे तो जरूर उनके खिलाफ एक्शन होगा. जैसे कि राम रहीम के साथ हुआ. लेकिन एक समाज के तौर पर हमें सोचना होगा कि कैसे ये ढोंगी, इतने ताकतवर बन जाते हैं.
पहले तो हर जागरूक और पढ़े लिखे इंसान को ऐसे ढोंगी और पाखंडियों के खिलाफ आवाज़ उठानी  चाहिए  और पूरे विश्व में जो धर्म के नाम से अफवाहों, फरेब और अधर्म के सहारे बेगुनाहों का नरसंहार हो रहा है उसे रोकने में सहयोग करना चाहिए | जो काम समाज में नफरत फैलाए वो कभी धर्म नहीं हो सकता |

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *