लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ ही नही रहें सुरक्षित, पत्रकारों की सुरक्षा पर उठते कई सवाल:अफ़ाक
जोगी एक्सप्रेस
लखनऊ | भारत में ईमानदारी और पारदर्शिता से खबरों को जनता तक पहुंचाने में पत्रकारों को विभिन्न कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है, पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है क्योंकि समाज में हो रही हर तरह की घटनाएं, समस्याएं व भ्रष्टाचार और सामाजिक बुराइयों से जनता को अवगत कराता है इन सभी खबरों को उजागर करने में पत्रकार, समाज के असामाजिक तत्वों के निशाने पर बने रहते हैं पत्रकारों पर बढ़ते अत्याचार और हमले भारत के हर राज्य हर जिले में देखें जा रहें हैं भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सच्चाई को लिखने व प्रकाशित करने और सच्चाई को पूरे भारत में उजागर करने वाले पत्रकारों को जान से मार दिया जाता है इसका जीता जागता सबूत अभी हाल ही में कर्नाटक की मशहूर पत्रकार गौरी लंकेश को घर में घुसकर गोलियों से उनकी हत्या कर दी गई, उसके अलावा कुछ समय पूर्व बहुत से पत्रकारों को जान से मार दिया गया, सीवान में हिंदी दैनिक हिन्दुस्तान के पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई, मध्य प्रदेश में बालाघाट जिले में पत्रकार संदीप कोठारी को जिंदा जला दिया गया, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जला दिया गया जगेंद्र सिंह ने फेसबुक पर उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री राममूर्ति वर्मा के बारे में खबरें लिखी थी, आंध्रप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार एमवीएन शंकर की हत्या कर दी गई वो तेल माफिया के खिलाफ लगातार खबरें लिख रहे थे, ओडिसा के स्थानीय टीवी चैनल के लिए स्ट्रिंगर तरुण कुमार की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गई, महाराष्ट्र के पत्रकार और लेखक नरेंद्र दाभोलकर को मंदिर के सामने बदमाशों ने गोलियों से भून डाला, रीवा में मीडिया राज के रिपोर्टर राजेश मिश्रा की कुछ लोगों ने हत्या कर दी राजेश का कसूर सिर्फ इतना था कि वो लोकल स्कूल में हो रही धांधली की कवरेज कर रहे थे, मिड डे के मशहूर क्राइम रिपोर्टर ज्योतिर्मय डे की हत्या कर दी गई वे अंडरवर्ल्ड से जुड़ी कई जानकारी जानते थे, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की सिरसा में हत्या कर दी गई उनके दफ्तर में घुसकर कुछ लोगों ने उनको गोलियों से भून डाला, ऐसे ही बहुत से पत्रकारों को आवाज़ उठाने पर जान से मार देना और धमकी मिलने का सिलसिला जारी है, पत्रकारों को हर दिन खतरे और डर के साथ गुजारने पड़ रहें हैं जान से मारने की धमकी मिल रही है जबकि पत्रकारों को हर तरह से अपनी जान जोखम में डालकर कवरेज करना पड़ता है कहीं किसी पथराव में हादसे का शिकार होते यहां तक कि हर खबर को कवरेज करने और सच्चाई का पता लगाने में हर असुविधा के साथ लोगो तक सच्चाई को पहुंचाने में पत्रकार पीछे नही रहते उसके बावजूद भी निडर और ईमानदार पत्रकारो को जान से मार दिया जाता है, पत्रकारों का समाज को सच्ची खबर प्रकाशित करने के दौरान बढ़ती संख्या में पत्रकारो पर होते अत्याचार पर सरकार व प्रसाशन की तरफ से किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई या ठोस कदम न होने पर अपराधियों के बढ़ते हौसले चरम पर हैं, अगर पत्रकार खबर को प्रकाशित करना बंद कर दे तो समाज का तबका नही जान सकेगा कि भारत,राज्य और शहर में क्या हो रहा है कौन उधोगपति है कौन नेता या कौन अभिनेता है इन सब कि लोकप्रियता ही पत्रकारिता से जुड़ी हैं, ऐसे में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सरकार को गंभीरता से ठोस कदम उठाकर कोई बड़ा फैसला लेने की जरूरत है जिस तरह से समाज के कुछ लोगो के लिए कानून हैं जैसे दहेज़ प्रथा, हरिजन ऐक्ट जैसे कानून बने हैं उससे कहीं ज्यादा संसद भवन में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने की जरूरत है जिससे कि भविष्य में पत्रकार निष्पक्षता व सत्यता और ईमानदारी से खबर को प्रकाशित करके समाज में सच्चाई को दिखा सके |
अब सवाल ये उठता है कि क्या पत्रकार मौत के डर से अपनी निर्भीकता, ईमानदारी और सत्यता को छोड़कर अपराधियों का चोला पहन ले |
काश कि पत्रकारों पर बढ़ते अत्याचार पर सभी बड़े छोटे पत्रकार आपस के फर्क और अभिमान को खत्म करके एकता दिखाते |
काश कि पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम उठाकर भारत के सभी राज्य की सरकारें पत्रकारों को हर सुविधा मुहय्या कराकर पत्रकार सुरक्षा कानून बनाती |