आरसीईपी-एफटीए पर दागे ताबड़तोड़ सवाल, पीयूष गोयल का सोनिया गांधी पर पलटवार
नई दिल्ली
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (एफटीए) की आलोचना करने पर सोनिया गांधी पर करारा पलटवार किया है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आरसीईपी और एफटीए को लेकर अचनाक से जाग गई हैं. गोयल ने सवाल किया कि उस समय सोनिया गांधी कहां थीं, जब आरसीईपी देशों के साथ व्यापार घाटा साल 2004 में 7 बिलियन डॉलर से बढ़कर साल 2014 में 78 बिलियन डॉलर पहुंच गया था.
केंद्रीय मंत्री गोयल ने सवाल पूछा कि उस समय सोनिया गांधी कहां थीं, जब साल 2011-12 में उनकी सरकार ने भारत को चीन के साथ आरसीईपी वार्ताओं के लिए मजबूर किया था? उस वक्त सोनिया गांधी कहां थीं, जब साल 2010 में आसियान देशों के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर किए गए थे? जब साल 2010 में दक्षिण कोरिया, साल 2011 में मलेशिया और जापान के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर हुए थे, उस समय सोनिया गांधी कहां थीं?
कांग्रेस सरकार ने अमीर देशों के लिए खोला 74% बाजारः गोयल
पीयूष गोयल ने यह भी पूछा कि सोनिया गांधी उस समय कहां थीं, जब उनकी सरकार ने आसियान देशों के लिए 74 फीसदी बाजार खोल दिया था, लेकिन इंडिनेशिया जैसे अमीर देशों ने भारत के लिए सिर्फ 50 फीसदी बाजार खोला था? केंद्रीय मंत्री ने सवाल दागा कि आखिर अमीर देशों को रियायत देने के खिलाफ सोनिया गांधी ने क्यों नहीं बोला? साल 2007 में जब यूपीए सरकार भारत और चीन एफटीए को लेकर सहमति हुई थी, तो सोनिया गांधी कहां थीं?
मनमोहन सिंह अपने अपमान के खिलाफ देंगे जवाबः गोयल
इस बीच पीयूष गोयल ने यह भी कहा, ‘मुझको उम्मीद है कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह अपने इस अपमान के खिलाफ बोलेंगे?' केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आरसीईपी को लेकर साफ कर चुके हैं कि इसमें भारत के फायदे का सौदा होगा. हमारा मानना है कि व्यापार घाटा को कम करना हमारी चिंता है.
इससे पहले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि आरसीईपी के खिलाफ एक भय का वातावरण पैदा किया जा रहा है. हालांकि सरकार घरेलू अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का उचित तरीके से आंकलन किए बगैर इस महाव्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य नहीं है.
सोनिया ने आरसीईपी को लेकर बोला था सरकार पर हमला?
आपको बता दें कि सोनिया गांधी ने आरसीईपी को किसानों, दुकानदारों और छोटे उद्यमियों के खिलाफ बताया था. साथ ही आर्थिक मंदी को लेकर मोदी सरकार पर करारा प्रहार किया था.
क्या है आरसीईपी और एफटीए?
आरसीईपी एक एफटीए यानी मुक्त व्यापार समझौता है. इस मेगा मुक्त व्यापार समझौते पर आसियान सदस्य देशों (ब्रुनेई, दारुस्सलाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम) और आस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड के बीच बातचीत चल रही है.
जिन मुद्दों पर बातचीत चल रही है, उनमें वस्तु एवं सेवा कारोबार, निवेश, अर्थव्यवस्था और तकनीकी सहयोग, बौद्धिक संपदा, प्रतिस्पर्धा, विवाद समाधान, ई-कॉमर्स और लघु एवं मध्यम उद्यम से जुड़े मुद्दे शामिल हैं. कई दौर की बातचीत हो चुकी है और इस समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना है.