जम्मू-कश्मीर के बंटवारे को चीन ने बताया ‘गैर-कानूनी’, भारत ने दिया दो टूक जवाब
नई दिल्ली
यूरोपीय सांसदों के कश्मीर दौरे पर कई विपक्षों दलों ने विरोध जताया है. इसके जवाब में विदेश मंत्रालय ने अपना बयान जारी किया है. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि 'ये एमईए (विदेश मंत्रालय) का अधिकार है कि सिविल सोसायटी के लोगों को वो आमंत्रित करे. कई बार लोग अपने निजी यात्रा पर आते हैं. कई बार राष्ट्रीय हित में हम उनको आधिकारिक तौर पर एंगेज करते हैं, भले ही वे प्राइवेट विजिट पर क्यों न हों.' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'MEP (यूरोपीय सांसद) ने भारत को जानने समझने की इच्छा जताई थी. जब उन्होंने अलग-अलग माध्यमों से संपर्क किया, उनमें विभिन्न विचारधारा के लोग थे. उन्हें कश्मीर जाने में सपोर्ट किया गया था.'
उधर, चीन ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के दो संघ शासित प्रदेशों में बंटवारे को "गैरकानूनी और निरर्थक" बताया और इस पर आपत्ति जताई. चीन ने कहा कि भारत की ओर से चीन के कुछ हिस्से को अपने प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में 'शामिल' करना बीजिंग की संप्रभुता को 'चुनौती' है. इस पर भारत ने जवाब देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न हिस्से हैं जिसके बारे में किसी दूसरे देश को टिप्पणी करने से बचना चाहिए.
करतारपुर साहिब और पाकिस्तान
करतारपुर साहिब मामले में विदेश मंत्रालय ने कहा, तीर्थयात्रा के लिए समझौता हुआ है. इसके फौरन बाद गृह मंत्रालय ने पहले जत्थे की सूची पाकिस्तान से साझा कर ली है. इस बारे में अभी उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है. इस बारे में संभवतः प्रक्रिया जारी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, उद्घाटन की तैयारियां जारी हैं. इस बारे में अंतिम फैसला होने के बाद हम साझा करेंगे. करतारपुर साहिब जाने वाले नेताओं के बारे में मंत्रालय ने कहा, पहले जत्थे में केंद्र और राज्य सरकार के नेताओं ने नाम हैं.
चीन को स्पष्ट जवाब
जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने को लेकर चीन ने एक बयान जारी किया है. चीन ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों का गठन 'गैर-कानूनी और निरर्थक' है. इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, चीन इस मुद्दे पर भारत की स्पष्ट स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ है. जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन की बात पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है. हम चीन सहित अन्य देशों से भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी की उम्मीद नहीं करते, ठीक वैसे ही जैसे भारत भी अन्य देशों के मामलों में टिप्पणी करने से बचता है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के संघ शासित प्रदेश भारत के अभिन्न हिस्सा हैं.
सिद्धू के बारे में बयान
नवजोत सिंह सिद्धू के जाने की खबरों पर विदेश मंत्रालय ने कहा, करतारपुर जाने के बारे में यह समझना होगा कि आप पाकिस्तान ही जा रहे हैं. लिहाजा जिसे भी जाना है उसे पता होना चाहिए कि किस तरह की क्लियरेंस ली जानी चाहिए. जिन लोगों को राजनीतिक क्लियरेंस की जरूरत होती है उन्हें इसका तरीका पता है. ब्रिटेन में भारत के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, यूके में जिस तरह प्रदर्शन हुए, हिंसक घटनाएं हुईं, उस मामले को हमने यूके सरकार के साथ उठाया था. हमें नहीं लगता कि यह खत्म होने वाला मुद्दा है क्योंकि इसके पीछे भारत से नफरत करने वाले पाकिस्तान समर्थित समूह शामिल हैं. ऐसे में यह UK के लिए भी सोचने का मुद्दा है कि किसी दूसरे देश के बहकावे में आकर अगर उनके नागरिक भारत जैसे मुल्क के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, तो यह उनके लिए भी चिंता का विषय है.