भालुओं का शिकार कर खा जाता था उनका प्राइवेट पार्ट, फिर उनके दूसरे अंगों की करता था तस्करी
भोपाल
बाघों (Tigers) और भालुओं (Sloth Bears) को निशाना बनाने वाले सबसे कुख्यात शिकारी (Poacher) यारलेन को आखिर पुलिस (Police) ने छह साल बाद दबोच ही लिया. खास बात यह है कि यारलेन केवल शिकार और तस्करी को लेकर ही कुख्यात नहीं है, वह कुख्यात है अपने एक ऐसे अजीबो गरीब शौक के लिए. चर्चा है कि वह भालू को मारने के बाद उसका गुप्तांग (Private Part) खा जाता है.
गौरतलब है कि आदिवासी इलाकों में यह मान्यता है कि ऐसा करने से पौरुष बढ़ता है. इसके साथ ही भालू का शिकार उसके गॉल ब्लैडर और बाइल बेचने के लिए भी किया जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी काफी बड़ी कीमत मिलती है क्योंकि माना जाता है कि इससे बनने वाली दवाओं से कैंसर (Cancer), तेज दर्द (Pain) और दमा (Asthma) जैसी बीमारियों में आराम मिलता है. यह जानकारी मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) वन्य जीव एसटीएफ (Wild Life Special Task Force) के प्रमुख नितेश सिरोथिया ने दी. उन्होंने कहा कि हालांकि अभी तक इस तरह के दावों का कोई भी प्रमाण नहीं मिल सका है.
यारलेन को तस्करी के बाजार में कई नामों से जाना जाता है. यारलेन, जसरात और लुजालेन उसके प्रचिलित नाम हैं. स्पेशल टास्क फोर्स ने यारलेन को 19 अक्टूबर को गिरफ्तार किया. उसके पास से कई आधार कार्ड, तीन फर्जी वोटर आईडी भी मिले हैं. फॉरेस्ट एसटीएफ के गठन के साथ ही यारलेन उनके पहले निशाने पर था और लंबे समय से उसकी तलाश की जा रही थी. वह एसटीएफ के रडार पर तब आया जब कई भालू मृत पाए गए और उनके गुप्तांग गायब थे. इसके साथ ही यह बात फैलने लगी कि यारलेन भालुओं का शिकार कर उनके गुप्तांग खा जाया करता है.
सिरोथिया ने बताया कि यारलेन पर मध्यप्रदेश में दो भालू और एक बाघ, महाराष्ट्र में तीन बाघों का शिकार करने का आरोप है. उसको पहले 2014 में गिरफ्तार किया गया था लेकिन उसे बॉम्बे हाईकोर्ट से उस दौरान जमानत मिल गई थी. जमानत के दौरान ही वह अचानक गायब हो गया और फिर गुजरात को उसने अपना ठिकाना बनाया. इसके बाद एसटीएफ ने उसे वडोदरा हाईवे के पास एक छोटी सी झोंपड़ी से गिरफ्तार किया. एसटीएफ के अनुसार यारलेन ने बताया कि वह एक गांव से दूसरे गांव भागता रहा और इस दौरान उसने वहां के प्रमुखों को रिश्वत में शिकार किए गए जानवर व अन्य सामान देकर वहां पर कुछ दिनों तक छिपता था.
एसटीएफ की पूछताछ के दौरान यारलेन ने बताया कि वह 15 साल की उम्र से जंगली जानवरों का शिकार करता आया है. उसने कई बाघ, भालू और जंगली सूअरों का शिकार किया है. बताया जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय तस्कर बाजार में यारलेन जंगली जानवरों की खाल, नाखून व अन्य अंगों का बड़ा सप्लायर है. अब एसटीएफ उसके दिल्ली और बॉर्डर के संपर्क ढूंढने में लगी है.
यारलेन की गिरफ्तारी के साथ ही टी-13 बाघिन की मौत का राज भी खुल गया. टी-13 पेंच अभ्यारण्य से 2012 में अचानक गायब हो गई थी. बाद में उसकी खाल नेपाल से एक साल बाद बरामद की गई थी. इस मामले में नेपाल के शिकारी लोदू दीम को काठमांडू एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था. बाद में पता चला था कि उसका शिकार भी यारलेन ने किया थ. अब एसटीएफ इंटरपोल और नेपाल पुलिस से संपर्क कर दीम के प्रत्यर्पण की मांग कर रही है.