विमुक्त जाति बालक आश्रम : बच्चों को नही मिल पा रही सुविधा, आश्रम में फैली हुई अव्यस्था
ब्यावरा
विमुक्त जाति बालक आश्रम में इन दिनों अव्यस्वथा फैली हुई है। आश्रम के आलम यह है कि वहां पर पदस्थ अधीक्षका अधिकांस समय आश्रम से गायब रहती है। सूत्रों से मिली जानकरी के अनुसार आश्रम में पदस्थ अधीक्षका अपने आप को किसी बडे अधिकारी रेंज का अफसर मानती है,उनका न तो आश्रम में आने को कोई स्टिम है और न ही कोई समय सारणी जब उनकी इच्छा होती है आश्रम में आ जाती है और जब मन करे आश्रम से चली जाती है।
मेडम ने आती है अधीक्षका को रोब दिखाते हुए आश्रम के बहार लगे गेट हो हटवा दिया,कहते गेट रिपेरिंग होने गया लेकिन ऐसा कोन सा रिपेरिंग जो दिन माह होने के बाद भी अश्राम का मेन गेट ठीक नही हो पाया। गेट नही होने के कारण आश्रम परिसर में सुअरों कों आना जाना रहता है साथ ही परिसर में लगें हेडपंप में सुअर मुह लगा देते है और इसी हेड पंप से बच्चों का पानी पिना होता है। जिसके कारण बच्चों को बीमार होना लगभग तय है। लेकिन अधीक्षका को किसी बात का कोई प्रभाव नही पड़ता वह तो अपने काम में मस्त रहती है।
कलेक्टर के निर्देष के बाद भी बालक आश्रम में नही हुआ कार्य हालत जस के तस
16 जुलाई को राजगढ़ कलेक्टर का बालक आश्रम में निरीक्षण किया गया था और वहां की अव्यस्था को देखते हुए आश्रम में पदस्थ अधीक्षक को हटाते हुए दूसरे अधीक्षका को नियुक्त किया गया था,और निर्देष दिए गए थे कि आश्रम में फैली अव्यस्थाओं को दुरूष्त किया जाए,मगर वर्तमान अधीक्षका की लापरवाही के चलते कोई कार्य नही हो पाया है।
आश्रम में लेटबाथ के दरवाजे टुटे हुए पडे जिनकों अभीतक दुरूष्त नही करवाया गया। और आश्रम के अंदर फर्स को देखा जाए तो पूरा खराब हो चुका है आडी तिरछी जगहों पर आश्रम के बच्चें रहने को मजबूर हो रहे है। लापरवाही को आलम यह है कि आश्रम में केवल चैकीदार के भरोसे बच्चें को छोडा जा रहा है। ऐसे में कोई बडी बात हो जाए तो कोन जिम्मेदार होगा।
जबकि नियमो कें अनुसार देखा जाए तो अधीक्षका को रात्रि के समय बच्चें के पास होस्ट में होना अनिर्वाय है, क्योकि रात्रि में अगर कोई बच्चों अचानक बीमार हो जाता है तो उसकी तत्वकाल देख रेक कि जा सके, और बच्चों को सही वक्त पर इलाज मिल जाए।