महाराष्ट्र Exit Poll: पर जीत प्रचंड नहीं, फडणवीस सरकार की वापसी के संकेत
नई दिल्ली
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को आरामदायक बहुमत के साथ जीत हासिल होने का अनुमान है. बीजेपी के मुखर राष्ट्रवादी अभियान और विपक्षी खेमे में बड़े पैमाने पर बगावत के बावजूद सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए महाराष्ट्र में प्रचंड जीत जैसी स्थिति नहीं बनती दिख रही. ये अनुमान एग्जिट पोल ने सोमवार को जताया.
288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को 166 से 194 के बीच सीट मिल सकती हैं. बता दें 2014 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 122 और शिवसेना को 63 सीट पर जीत मिली थी. 2014 में बीजेपी और शिवसेना ने अलग अलग चुनाव लड़ा था. तब दोनों पार्टियों के बीच चुनाव उपरांत गठबंधन हुआ था. एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी को इस बार 109 से 124 सीटों पर जीत मिल सकती है. वहीं शिवसेना के 57 से 70 सीटों पर बाजी मारने का अनुमान है.
विपक्ष के लिए यथा स्थिति
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के ऐन पहले एनसीपी-कांग्रेस खेमे के 30 से ज्यादा नेताओं ने बगावत कर अलग राह पकड़ी थी. इसके बावजूद विपक्षी गठबंधन के लिए स्थिति कमोबेश 2014 जैसी ही स्थिति रह सकती है. इस गठबंधन को 72 से 90 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान है. जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो उसके खाते में 32-40 सीट आ सकती हैं. वहीं एनसीपी को 40 से 50 सीट पर जीत हासिल हो सकती है. 2014 में कांग्रेस को 42 और शरद पवार की पार्टी एनसीपी को 41 सीट पर जीत हासिल हुई थी.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार राज ठाकरे की अगुवाई वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने 101, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने 16 और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 8 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. एग्जिट पोल के अनुमान के मुताबिक इस बार अन्य दलों को 22-34 सीट हासिल हो सकती हैं. 2014 में अन्य के खाते में 20 सीट ही गईं थीं.
वोट शेयर- मई से अक्टूबर
अगर 2019 लोकसभा चुनाव से तुलना की जाए तो एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी-शिवसेना को मिलाकर साझा वोट शेयर 51% से घटकर 45% पर आने का अनुमान है. वहीं एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन का साझा वोट शेयर पिछले पांच महीने में 32% से बढ़कर 35% हो सकता है.
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को मतदान के दिन मुंबई में कहा, “मैं आश्वस्त हूं कि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को महाराष्ट्र में 225 के करीब सीटों पर जीत मिलेगी. विपक्ष अपनी साख खो चुका है और मुकाबले में कहीं नहीं है.’ लेकिन एग्जिट पोल का अनुमान है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए प्रचंड बहुमत वाली नहीं 2014 जैसे ही नतीजे वाली स्थिति रहेगी.
विश्लेषण
राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने वोटरों को लुभाने के लिए राष्ट्रवाद के मुद्दे को जमकर उठाया. जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने संबंधी मोदी सरकार के कदम का जहां बार बार उल्लेख किया गया वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर विपक्षी गठबंधन को निशाना बनाया गया.
दूसरी ओर, कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन ने बीजेपी को अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत के लिए कटघरे में खड़ा किया. विपक्षी नेताओं ने मंदी के लिए मोदी सरकार के 2016 के नोटबंदी के फैसले और जीएसटी लागू करने के तरीके को जिम्मेदार ठहराया.
बीजेपी और शिवसेना ने इस विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन के फॉर्मूले तक पहुंचने से पहले कई महीने तक सियासी रस्साकशी की. मुंबई में इन पार्टियों के पहले ‘कोई गठबंधन नहीं’ जैसे सख्त बयान देने और फिर समझौते के लिए अचानक तैयार होने के घटनाक्रम पर कहा कि इससे दोनों पार्टियों के कैडर के विश्वास पर असर पड़ा.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक कांग्रेस ने अपने अभियान को कमोवेश माइक्रो-लेवल तक सीमित रखा. वहीं बीजेपी की रणनीति समूचे महाराष्ट्र पर फोकस की रही. राहुल गांधी ने इस बार महाराष्ट्र चुनाव में सिर्फ 8 रैलियों को संबोधित किया. वहीं सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी राज्य में चुनाव प्रचार से दूर रहीं. साहिल जोशी के मुताबिक इसका नतीजा ये रहा कि चुनाव प्रचार में पिछड़ी दिखाई दी.
वहीं, एनसीपी नेतृत्व की बात की जाए तो उसने चुनाव प्रचार में ताकत झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी. साहिल जोशी के मुताबिक ‘79 वर्षीय एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने खुद 60 से अधिक रैलियों में हिस्सा लिया. सतारा में भारी बारिश के बीच उनका भाषण वायरल हुआ. और ये शायद कैम्पेन का सबसे हाई पाइंट था.
मेथेडोलॉजी
एग्जिट पोल महाराष्ट्र भर में 288 सीटों पर प्रतिभागियों के रूबरू इंटरव्यू पर आधारित है. इसमें 60,609 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.