प्रकृति प्रेम कूट-कूट कर भरा है आदिवासी समाज में- उईके
बिलासपुर
आदिवासी समाज प्रकृति की पूजा करते हैं। पेड़-पौधे उनके देवता हैं। उनकी हर गतिविधि में प्रकृति की छाप दिखती है। उनके कारण ही जंगल बचा है। प्रकृति के साथ संतुलन बनाने के लिये आदिवासी विभिन्न पर्व मनाते हैं। यह किसी समाज मंे नहीं होता। प्रकृति प्रेम आदिवासी समाज में कूट-कूटकर भरा है। यह उद्गार प्रदेश की राज्यपाल अनुसुईया उईके ने आज गोंड़वाना समाज के नवाखाई कार्यक्रम एवं सामाजिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए व्यक्त किया। तोरवा के सिंधु भवन में आयोजित गोंड़वाना समाज के इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी समाज की प्रकृति सरलता, स्वाभिमान और भोलापन है। इसी प्रकृति के कारण उन्हें शोषण का शिकार बनाया जाता है। वे अपने अधिकारों से वंचित है। आदिवासियों के दर्द और तकलीफ को देखकर ही उन्होंने नौकरी छोड़ी और राजनीति में आकर उनकी सेवा के लिये तत्पर है, जो विश्वास और उम्मीद उनसे की गई हैं वे उन्हें पूरा करने की कोशिश करेंगी।
राज्यपाल ने कहा कि संवैधानिक पद पर होने के नाते जनता की परेशानी को दूर करने उन्होंने शासन को दिशा-निर्देश दिया है कि ऐसी नीति बनाई जाये, जिससे हर व्यक्ति सुख-शांति से रह सके। आदिवासियों के हित के लिये कानून का पालन हो। संविधान में उन्हें जो अधिकार मिले हैं उसके अनुसार ही उन्हें न्याय मिले। सरकार ने भी इस दिशा में गंभीरता से कदम बढ़ाये हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को जो अधिकार मिले हैं उसे प्राप्त करने के लिये उन्हें आगे आना होगा। आपस में एकजुट होकर ही वे अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं। सुउईके ने समाज के लोगों से कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाये। रोजगार के लिये युवा भटक रहे हैं। उन्हें योजनाओं का लाभ दिलाने का प्रयास करना चाहिये।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने की। उन्होंने कहा कि यह पहली बार हो रहा है कि आदिवासी समाज के नवाखाई कार्यक्रम में राज्यपाल सम्मिलित हो रही हैं। समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति बस्तर से सरगुजा तक सुदूर अंचल में रहने वाले गरीब आदिवासियों की पीड़ा को राज्यपाल ने महसूस किया है और उनके लिये चिंता करते हुए उन्हें न्याय दिलाने के लिये कदम उठा रही है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति आयोग के सचिव एस.एस.सिंह उईके ने अपने संबोधन में कहा कि आदिवासी समाज की समस्याएं सही समय पर हल होनी चाहिये। आदिवासियांे की भूमि पर गैर-आदिवासी कब्जा करते हैं उस पर सम्यक रूप से कार्यवाही हो। भू-राजस्व संहिता का कड़ाई से पालन हो। डीएमएफ की राशि का उपयोग खनन प्रभावित जनजाति क्षेत्रों के विकास के लिये हो और पुनर्वास अधिनियम का पालन हो। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन गोंड़वाना समाज के प्रांतीय उपाध्यक्ष सुभाष परते ने दिया। उन्होंने समाज की विभिन्न समस्याओं की ओर ध्यानाकर्षित कराया।
कार्यक्रम में पारंपरिक लोकनृत्य के द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। राज्यपाल ने नवाखाई की रस्म अदा कर समाज के लोगों को बधाई दी। समाज की ओर से उन्हंे प्रतीक चिन्ह के रूप में तीर-कमान भेंट किया गया। कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष एवं विधायक धरमलाल कौशिक, अन्य जनप्रतिनिधियों सहित समाज के संरक्षक भरत सिंह परते, गणेश परधान सहित समाज के पदाधिकारी एवं सदस्य बड़ी संख्या मंे उपस्थित थे।