November 23, 2024

 झपटमारी की तीन फीसदी घटनाओं में ही सजा, पीड़ित नहीं दिखाते मुकदमों में दिलचस्पी

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 नई दिल्ली 
दिल्लीवाले सड़कों पर झपटमारों के आतंक से खौफजदा हैं। मगर झपटमारी के लगभग तीन फीसदी मामलों में ही आरोपियों का दोष साबित हो पाता है। अदालत मानती है कि झपटमारी के 90 फीसदी आरोपियों के छूटने की वजह शिकायतकर्ताओं का मुकदमों के प्रति रुचि न दिखाना है।

यही कारण है कि साक्ष्यों के अभाव में अदालतों को आरोपियों को बरी करना पड़ता है। अदालती रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले तीन सालों में करीब 38 हजार झपटमारी के मुकदमे अदालत पहुंचे। इनमें से लगभग 26 हजार मामलों में कोई सुराग नहीं मिलने के कारण पुलिस ने अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दायर की। 

बाकी बचे 12 हजार मामलों में से महज 1108 मामलों में ही आरोपियों को छह माह से दो साल तक की साधारण कैद की सजा मिली।  इससे स्पष्ट है कि जितनी तेजी से मुकदमे दर्ज होते हैं। उतनी तत्परता से अदालत में इन मुकदमों को साबित करने का प्रयास नहीं किया जाता। 

सख्ती से निपटने के आदेश
मुखर्जी नगर में अगस्त में हुई झपटमारी की एक वारदात के आरोपी राजेंद्र की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए तीस हजारी अदालत के सत्र न्यायाधीश ने पुलिस आयुक्त कार्यालय को निर्देश दिया था। अदालत ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को कहा था कि वह झपटमारों से सख्ती से निपटें।

महिलाओं की उदासीनता है मुख्य वजह : अदालत
रिकॉर्ड बताते हैं कि मोबाइल झपटमारी की सबसे ज्यादा घटनाएं महिलाओं के साथ हो रही हैं। वहीं, इन मामलों के प्रति शिकायतकर्ता की उदासीनता आरोपियों के हौसले बुलंद कर रही है। रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए पांडे की अदालत ने गत महीने झपटमारी के एक आरोपी को बरी करते हुए यह टिप्पणी की थी। अदालत का कहना था कि आरोपी मौका-ए-वारदात से पकड़ा गया। बावजूद इसके महिला ने अदालत में इस आरोपी को पहचानने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि यह विडंबना है कि आज भी पीड़ित लड़की या महिला के गवाही के लिए अदालत आने को सही नहीं माना जाता।
 

बाहरी और पूर्वी दिल्ली बदमाशों के निशाने पर
झपटमारी की सबसे ज्यादा वारदात बाहरी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हो रही हैं। इसका मुख्य कारण इन जिलों की सीमाएं दूसरे राज्यों से जुड़ा होना माना जाता है। जब भी पुलिस इन अपराधियों पर सख्ती बरतने की तैयारी करती है तो झपटमार वारदात को अंजाम देकर उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भाग जाते हैं। इतना ही नहीं, इन आरोपियों को दूसरे राज्यों से हथियार भी आसानी से मिल जाते हैं।

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