MP उर्दू अकादमी को मिला नया सचिव, फारुखी हुए उर्दू के खैरख्वाह
भोपाल
करीब दो माह से चल ही ऊहापोह की स्थिति को सोमवार को विराम मिल गया है। मप्र उर्दू अकादमी में प्रभारी सचिव कार्यकाल का अंत हुआ और यहां के लिए एक स्थायी सचिव के रूप में डॉ. हिसामुद्दीन फारुखी की नियुक्ति हो गई है। सोमवार को अपना पद संभालते ही उन्होंने उर्दू जुबान की बेहतरी और अदब को जिंदा रखने के लिए किए जाने वाले प्रयासों की बात कही है। पहले ही दिन दफ्तर के हर कोने का निरीक्षण कर उन्होंने हर काम की बारीकी को समझने की कोशिश भी शुरू कर दी।
लंबे समय तक बतौर सचिव मप्र उर्दू अकादमी पर काबिज रहीं नुसरत मेहदी को करीब दो माह पहले उनके मूलविभाग के लिए रिलीव कर दिया गया था। इसके बाद से यहां की व्यवस्था प्रभारी सचिव के रूप में वंदना पाण्डेय संभाल रही थीं। शुक्रवार को जारी हुए आदेश के अनुसार शिक्षाविद् डॉ. हिसामुद्दीन फारुखी को यहां का नया सचिव नियुक्त किया गया है। जिसके बाद सोमवार को उन्होंने अपना पदभार ग्रहण भी कर लिया।
सूत्रों का कहना है कि मप्र उर्दू अकादमी सचिव बनने के ख्वाहिशमंदों की एक बड़ी कतार लगी दिखाई दे रही थी। सियासी और प्रशासनिक रसूख रखने वालों ने अपने-अपने तौर पर इसके लिए जोड़-तोड़ चला रखी थी। इस बीच सीनियर कांग्रेसी अजीज कुरैशी से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तक लोगों की दौड़ लग रही थीं। सचिव पद के लिए कोशिशों में लगे लोगों में शायर, शिक्षाविद, सरकारी अधिकारियों से लेकर निगम अफसर तक शामिल हैं।
डॉ. हिसाम का अपने सेवाकाल और सेवा समाप्ति के बाद भी उर्दू और उर्दू की फिक्र से ताल्लुक रहा है। इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्रू) के डिप्टी डायरेक्टर पद से वे वर्ष 2015 में रिटायर हुए हैं। यहां सेवाएं देते हुए उन्होंने कम्प्यूनिटी रेडियो का सर्टिफिकेट कोर्स लांच किया था। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने फिल्मी गीतों में तकलीफियत पुस्तक लिखी है। मप्र उर्दू अकादमी से अपनी पुस्तक के लिए सम्मानित हो चुके डॉ. हिसाम ने उर्दू और जनसंचार (मास कम्युनिकेशन) में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की है। शुरूआती दौर में करीब 12 साल तक उन्होंने आकाशवाणी के कार्यक्रमों के लिए अपनी आवाज का जादू बिखेरा है। वे स्पोर्ट्स कामेंट्री के भी महारती माने जाते रहे हैं। डॉ. हिसाम अपनी नई पारी में जहां सीनियर अदबकारों के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं, वहीं जूनियर्स के लिए भी कई काम करने की उनके पास योजनाएं हैं। उनका कहना है कि मीडिया के जरिये वे नई पीढ़ी को उर्दू से जोडऩे की दिशा में महति काम करने का इरादा रखते हैं।