खाली खजाने से पड़े वेतन के लाले, मुआवजा और खराब सडक़ें भी बनी मुसीबत
भोपाल
मध्य प्रदेश में अगले कुछ महीनों में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं, लेकिन निकाय चुनाव से पहले सूबे की खराब सडक़ों ने कमलनाथ सरकार की नींद उड़ा रखी है। ऐसा नहीं है कि सरकार इन सडक़ों को ठीक कराना नहीं चाहती, लेकिन इसमें बजट आड़े आ रहा है। प्रदेश की खस्ताहाल सडक़ों के लिए सरकार कुछ करती, इससे पहले बारिश ने स्थिति और खराब कर दी। अब एक तरफ सडक़ों पर लोगों का चलना मुहाल है, वहीं दूसरी तरफ सरकार बजट की कमी से जूझ रही है। ऐसे में अगर वक्त रहते सडक़ें दुरुस्त नहीं हुईं तो इसका खामियाजा कांग्रेस को निकाय चुनाव में उठाना पड़ सकता है। शायद यही वजह है कि अब ठीकरा पुरानी सरकार पर फोडऩे की तैयारी है। दरअसल मध्य प्रदेश में भारी बारिश के दौर के बाद खराब सडक़ें सरकार के लिए चिंता का सबब बन गई हैं। विपक्ष तो विपक्ष खराब सडक़ों की वजह से आम लोगों में भी नाराजगी है। ये नाराजगी ऐसे वक्त में है जब सूबे में निकाय चुनाव की आहट हो रही है। ऐसे में बदहाल सडक़ों ने सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। इन सबके बीच खराब वित्तीय हालत से गुजर रही सरकार के लिए इधर कुआं, उधर खाई वाली स्थिति हो गई है। एक तरफ बाढ़ आपदा के बाद पीडि़तों को मुआवजा बांटना दूसरी तरफ सडक़ों को दुरुस्त करना। ऐसे में निकाय चुनाव से पहले खुद को इस मझधार से निकाल पाना सरकार के लिए मुश्किल लगता है।
क्या है सडक़ों की स्थिति
– बारिश की वजह से पूरे प्रदेश में 4 हजार किलोमीटर से ज्यादा सडक़ें खराब हुई हैं।
– अकेले राजधानी की बात करें तो 65 फीसदी से ज्यादा सडक़ें खराब हुई हैं।
– कुल 4692 कि.मी. सडक़ों में से 3 हजार किमी सडक़ें खराब हुई हैं।
– शहरी इलाकों के अलावा ग्रामीण इलाकों में पुल-पुलियों का भी नुकसान हुआ है।
– अकेले राजधानी भोपाल की सडक़ों की मरम्मत के लिए 44 करोड़ रुपए की जरूरत है।
– आपदा का मुआवजे बांटने के साथ सडक़ों की मरम्मत सरकार के लिए बड़ी चुनौती।
बारिश ने बढ़ा दी है बेचैनी
एक तरफ सरकार के सामने खराब सडक़ों की मरम्मत कराना चुनौती है तो दूसरी तरफ बाढ़ आपदा के बाद मुआवजा बांटना दूसरी चुनौती। राजस्व विभाग के अनुसार प्रदेश के 52 में से 39 जिलों में अतिवृष्टि और बाढ़ से बहुत अधिक नुकसान हुआ है। सूबे में जून से सितंबर महीने के बीच हुई वर्षा से लगभग 60 लाख 47 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की 16 हजार 270 करोड़ रुपए की फसल प्रभावित हुई है।
कर्मचारियों को वेतन के लाले
खजाना खाली होने से कर्मचरियों को वेतन के भी लाले हैं। इस माह दशहरा और दीपावली जैसे बड़े त्योहार हैं, लेकिन अब तक वेतन नहीं बंट सका है। उच्च शिक्षा विभाग के प्रोफेसरों और कर्मचारियों को तो पिछले 2 माह से वेतन नहीं मिला है। यही स्थिति दूसरे विभागों की है।