नजरबंदी के बाद पहली बार नजर आए फारूक
श्रीनगर
नैशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला रविवार को नजरबंदी के बाद पहली बार 15 पार्टी नेताओं से मिले। करीब दो महीने की नजरबंदी के बाद जब फारूक रविवार को नजर आए तो उनके चेहरे पर मुस्कान थी। बता दें कि पार्टी का 15 सदस्यीय शिष्टमंडल पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला से मिलने श्रीनगर पहुंचा है। इस मुलाकात के दौरान की उनकी यह तस्वीर सामने आई है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को इसकी इजाजत दे दी थी। बता दें कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री पिता-पुत्र (फारूक और उमर) नजरबंद हैं।
पार्टी नेताओं का 15 सदस्यीय शिष्टमंडल जम्मू प्रांतीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा के नेतृत्व में फारूक और उमर से मिलने के लिए श्रीनगर पहुंचा। फारूक और उमर से मुलाकात के बाद राणा ने कहा, 'हम खुश हैं कि वे दोनों स्वस्थ हैं। निश्चित रूप से वे राज्य के घटनाक्रम से पीड़ित हैं। अगर राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करनी है तो मुख्यधारा के नेताओं को छोड़ना होगा।' बता दें कि 81 वर्षीय फारूक अब्दुल्ला श्रीनगर स्थित अपने आवास पर नजरबंद हैं, जबकि उमर अब्दुल्ला को स्टेट गेस्ट हाउस में हिरासत में रखा गया है
'शिष्टमंडल में कई पूर्व विधायक'
इससे पहले पार्टी प्रवक्ता मदन मंटू ने बताया था, 'शिष्टमंडल में पार्टी के कई पूर्व विधायक हैं। शिष्टमंडल राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिला था और उनसे पार्टी के दोनों वरिष्ठ नेताओं से मिलने की अनुमति मांगी थी, राज्यपाल ने अनुमति दे दी थी।'
एनसी नेताओं की गतिविधियों से पाबंदियां हटीं
मंटू ने बताया था कि पार्टी के जम्मू संभाग के जिला अध्यक्षों और अन्य वरिष्ठ नेताओं की आकस्मिक बैठक में फारूक और उमर अब्दुल्ला से मिलने का फैसला लिया गया था। बता दें कि जम्मू में नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं की गतिविधियों पर से पाबंदियां हटा दी गई हैं।
इस कारण यह मुलाकात है अहम
दरअसल, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A को हटाए जाने के बाद पहली बार स्थानीय निकायों के चुनाव होने जा रहे हैं। उधर, दोनों ही पार्टियों के आला नेता, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती नजरबंद हैं। चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 9 अक्टूबर है। ऐसे में माना जा रहा है कि चुनाव को लेकर भी एनसी का प्रतिनिधि दल फारूक अब्दुल्ला और उमर से मिलकर चर्चा करेगा।
ऐसा इसलिए भी है कि चुनाव में नैशनल कॉन्फ्रेंस की भागीदारी को लेकर अभी असमंजस की स्थिति है। पिछले दिनों ही खबर आई थी कि एनसी और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के स्थानीय प्रतिनिधि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का समर्थन करने का मन बना रहे हैं।