खुशखबरी :अंततः लंबे अंतराल के बाद फिर शुरू हुआ रायपुर में एक का अस्सी बनाने का खेल:सटोरिया दिखा रहा पुलिस को ठेंगा
रायपुर राजधानी में इन दिनों फिर से सट्टेबाजी में अपनी किस्मत चमकाने के मामले में प्रथम नज़र आ रहा ,पंडरी स्थित छोटी लाइन के आस पास खुलेआम सट्टा खिलाया जा रहा और जिम्मेदार लोग को सब कुछ पता होने के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ना तो इसी बात का संकेत है की गलत करते रहो और साहब की जेब भरते रहो
रायपुर:राजधानी में महीनों सरकार ने अवैध कारोबार में लिप्त लोगो पर कार्यवाही कर प्रदेश में शांति का वातावरण कायम किया था, वही प्रदेस में नई सरकार ने ताबड़तोड़ कार्यवाही की और भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिस कर्मियों का ताबड़तोड़ तबादला किया परंतू जब मामला पैसों का आ जाए तो सब नियम कानून को शिथिल बनाने में पुलिस कर्मी जुट जाते है।
क्या है मामला…
राजधानी में इन दिनों एक का अस्सी बनाने का सुझाव देने वाले सटोरियों की चांदी कट रही है। रायपुर शहर में ही इन दिनों पंडरी रेल्वे क्रासिंग , के आसपास के छेत्र में फिर से सट्टे क खेल शुरू हो गया है। वही कालीबाड़ी में भी सेंटिंग के साथ यह खेल अनवरत जारी है।
सूत्रों की माने तो इन अवैध कार्यो को संरक्षण पुलिस से जुटे लोग ही कर रहे है। मोवा थाने ओवरब्रिज के आस पास भी सट्टा खिलाने वाले दमदारी से सेटिंग की बात कर रहे है। और सट्टेबाजी में संलिप्त लोग यह तक कहने से नही चूक रहे कि सब को हिस्सा जा रहा कोई कुछ नही बोलने वाला, सूत्रों की माने तो सट्टे के लेनदेन के विवाद में काफी लंबी झड़प होने के बाद ये मामला खुला, लेकिन आपसी बात कह कर सटोरियों ने मामले को थाने आने से पहले ही सेट कर लिया गया।
यदि प्रशासन समय रहते इस पर कड़े कदम नही उठाता तो निश्चय ही यहाँ बड़ी घटना घटित होने से कोई नही रोक सकेगा।
क्यू नहीं हो रही कार्यवाही ?
सूत्रों की माने तो मशहूर सटोरिया का आना जाना इस समय सिविल लाइन में अनवरत जारी है जहा पर दुवा सलाम के बाद नजराने अकीदत पेश कर वापस अपने दो नंबर के साम्राज्य को बुलंदी पर पंहुचा रहा ,रकम इतनी भारी है की साहब भी उसके बोझ से ऊपर नहीं निकल प् रहे ,जब साहब ही दबे हुए हो तो कार्यवाही करेगा कौन ?
सब है इस की चपेट में ….
जानकारों की माने तो सट्टे के इस खेल में महिलाए बूढ़े जवान सब अपनी किस्मत पर दाव लगा रहे ,यहाँ तक की बच्चो में भी इस की लत देखि जा सकती है ,आधुनिकता की दौड़ में भला बच्चे कैसे पीछे रहे उनके भी ख्वाब बड़े है घर से मिलने वाली पाकेट मनी को अब बच्चे सटोरियों के हवाले कर मोबाइल से ओपन क्लोज़ का टाइम पता करने में व्यस्त है ,आज की हमारी युवा पीढ़ी को गुमराह करने में कही न कही हम भी दोषी है ,उनके बड़े सपनो को साकार करने में बाधा खाड़ी करने के लिए सटोरिये मायाजाल बुनकर उनके सपनो के साथ देश के उज्जवल होनहारो को भी बर्बादी की कगार पर खड़ा कर रहे समय रहते यदि इस पर अंकुश नहीं लगा तो वो दिन दूर नहीं जब इस की चपेट में पूरा शहर आएगा ,