November 22, 2024

अब वनवासियों के पांव नहीं कटते मुख्यमंत्री ने गिनाईं सरकार की उपलब्धियां

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रमन  के 5 हजार दिन पूरा होने पर मड़ई की रंगारंग शुरुआत

सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन करने में सफल रहा -मुख्यमंत्री

जोगी एक्सप्रेस 

रायपुर छतीसगढ़  राज्य स्तरीय सम्मेलन कई मायनों में यादगार बन गया। रविवार, को साइंस कालेज इसका गवाह  बना। सूबे के मुख्यमंत्री के रूप में रमन सिंह के 5 हजार दिन पूरे होने पर इस आयोजन को वन मंडई का नाम दिया गया था। विशाल मंच पर बस्तर से सरगुजा तक के लोक कलाकारों ने विभिन्ना रंगों की प्रस्तुति दी। चुनावी साल में इस बहाने सरकार ने भी आदिवासी वोट बैंक को साधने में कसर बाकी नहीं लगाई। प्रदेश भर के समिति अध्यक्षों ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया। इस मौके पर रमन सिंह ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के बच्चों का मेडिकल या इंजीनियरिंग में प्रवेश हुआ तो पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार उठाएगी।अब नहीं कटते वनवासियों के पांव रमन सरकार के 5 हजार दिन 14 अगस्त को पूरे होंगे लेकिन, इसके एक दिन पहले ही वन विभाग ने दस हजार आदिवासियों को जुटाकर लघु वनोपज समितियों के महासम्मेलन के बहाने वन मड़ई का आयोजन किया। तीन दिन तक चलने वाले वन मड़ई के शुभारंभ पर रमन कैबिनेट के 12 में से 5 मंत्री मौजूद थे। बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, प्रेमप्रकाश पांडेय, अमर अग्रवाल आदि कद्दावर मंत्रियों की गैर मौजूदगी जरूर चर्चा का विषय बनी रही। मुख्य अतिथि की आसंदी से मुख्यमंत्री ने कहा-मैंने तेंदूपत्ता संग्राहकों जूते बांटने शुरू किये तो लोग मजाक उड़ाते थे। कहते थे आदिवासी जूता पहनेंगे भला। मैं कहता-वे गरीबी की वजह से नहीं पहन पा रहे। उनके पांव में कांटा चुभता था और गैंगरीन से हर साल कई लोगों का पैर काटना पड़ता था। लेकिन जूता ब बांटने की 2006 में योजना शुरू की। अब किसी के पांव नहीं कटते।सामाजिक-आर्थिक बदलाव आयामुख्यमंत्री ने मंच से अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। कहा-वर्ष 2000 में जब राज्य बना तो तेंदूपत्ता के एक मानक बोरे की दर 450 रुपए थी। आज 18 सौ रुपए कर दी है। आपके सहयोग, मार्गदर्शन, आशीर्वाद से यह अवसर मुझे मिला। हमने बदलाव की शुरुआत की। सामाजिक-आर्थिक बदलाव आया। बस्तर से सरगुजा तक विकास किया। आपके आशीर्वाद से डॉ.रमन छत्तीसगढ़ में इस काबिल हुआ। अटल ने जब छत्तीसगढ़ राज्य बनाया था तो 16 जिले थे, हमने 27 किया। वन समितियों को आत्मनिर्भर बनाया। नीति और योजना ऐसी बनाई कि हर व्यक्ति को फायदा मिले। पहले अवर्षा से अकाल पड़ता तो कनकी भी मुश्किल से मिलती थी। हमने खाद्यान्न सुरक्षा कानून बनाया। अब अकाल की चिंता नहीं है। ईश्वर का भी आशीर्वाद है कि पिछले 14 साल में अकाल नहीं पड़ा।एक नहीं अनेक उपलब्धियांहमने हर्बल स्टेट के रूप में पहचान बनाई है। तेंदूपत्ता, लाख, गोंद, हर्रा, बेहड़ा के उत्पादन से जिंदगी बदल रही। वन समितियों को 299 करोड़ का लाभांश बांटा है। मुख्यमंत्री ने कहा-9 वीं से 12 वीं तक के वनवासी बच्चों को शिष्यवृत्ति 6 सौ रुपए कर दी। तेंदूपत्ता संग्राहकों के पूरे परिवार को शिक्षा प्रोत्साहन योजना का लाभ दे रहे। विकास के काम और अधोसंरचना निर्माण में भी उपलब्धि हासिल की है। मेडिकल कालेज, आईआईटी, सड़कें, पुल-पुलिया, भवन, नए कालेज सब किया। प्रयास के माध्यम से आदिवासी बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा रहा। प्रयास की सीटें 17 सौ से बढ़ाकर इस साल 3 हजार कर दीं।वनवासी बच्चों को यूपीएससी की परीक्षा की ट्रेनिंग दी। इस साल तीन बच्चों का चयन हुआ है। मुझे पूरा भरोसा है कि एक रोज वनवासी बच्चे आईएएस, आईपीएस बनकर यहीं नियुक्ति पाएंगे। किसी भी राज्य में आदिवासियों के लिए इतनी योजनाएं नहीं हैं, जितनी हमारे प्रदेश में हैं। योजनाएं नहीं गिनाना चाहता। दावा है कि जिस दिशा में छत्तीसगढ़ बढ़ रहा जल्द देश में प्रथम, द्वितीय या तृतीय स्थान पर होगा। इस अवसर पर राम प्रताप सिंह, समीरा पैकरा, भरत साय, श्रीनिवास राव मद्दी सहित विभिन्न वन समितियों से आए हजारों ग्रामीण उपस्थित थे।जनविश्वास की कसौटी पर खरे हैं रमनकार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने जनविश्वास पर खरे उतरे हैं। उन्होंने जनता को खड़ा होकर उनका अभिनंदन करने को कहा। बोले मंड़ई यानी उत्सव। यह 5 हजार दिन पूरे होने का उत्सव है। समर्थन मूल्य पर वनोपज खरीदी, प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना जैसे काम कर जिंदगी बदल दी। वन मंत्री महेश गागड़ा बोले-पहले नमक के बदले चिरौंजी देना पड़ता था। मुख्यमंत्री ने हम वनवासियों को शोषण से मुक्ति दिला दी।लोक कला का अद्भुत संगम 5 हजार दिन पूरे होने के विशेष अवसर पर बस्तर से सरगुजा तक के लोक कलाकारों की दो दर्जन टोलियों ने रंगारंग प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम शुरू होने से पहले लोकरंग अर्जुंदा के कलाकारों ने घंटों तक लोगों को बांधे रखा।

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