November 24, 2024

30 वर्षो से मेरी जाती को लेकर विरोधी बदनाम कारने की साजिश रच रहे :अजीत जोगी

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जनता जानती है कि मैं आदिवासी हूं। इसलिए  उनकी  सहानुभूति मेरे साथ है ।

 

जोगीसार व जोगीडोंगरी की ग्रामसभा ने(जकांछ) के संस्थापक अध्यक्ष अजीत जोगी को आदिवासी होने की सहमति दी।

1986-87 से मेरी  जाति पर सवाल उठाया जा रहा है।अजीत जोगी 

 

जोगी एक्सप्रेस 

 

रायपुर।छ.ग.ज.कां.छ. सुप्रीमो  अजीत जोगी को विरोधी लगतार बदनाम कारने की साजिश करते आ रहे ,और हर बार उन्हें मुह की खानी पड़ी लगतार ३० वर्षो से उनके विरोधी उनके आदिवासी  न होने के झूठे और फर्जी प्रमाण  ला कर जोगी को उलझाने का प्रयत्न करते आ रहे , वही अपने विरोधियों को लगतार इस तरह के दुष्प्रचार कर के सत्ताधारी नेता सस्ती लोकप्रियता के लिए इस तरह का प्रोपोगंडा करते ही रहते है!जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (ज.कां.छ.) के सुप्रीमो  जोगी आदिवासी नहीं हैं, सरकार की उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने बैठक में गुपचुप तरीके से यह रिपोर्ट तैयार की है। जोगी का दावा है कि उन्हीं के एक विश्वस्त सूत्र ने इस बात की जानकारी दी है।समिति के फैसले की खबर लगते ही प्रदेश की राजनीति गरमा गई है।बीते दिनों  जोगी ने पत्रकार वार्ता में बताया की  छानबीन समिति की अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति और उनके फैसले पर सवाल उठाया। जोगी ने कहा कि वे हाईकोर्ट में याचिका लगाकर छानबीन समिति के फैसले को चुनौती देंगे। हालांकि अभी तक छानबीन समिति या सरकार की तरफ से जोगी की जाति पर रिपोर्ट को लेकर कोई भी बयान नहीं आया है।जोगी ने मीडिया को बताया कि 1986-87 से उनकी जाति पर सवाल उठाया जा रहा है। पिछले 30 साल में एक बार इंदौर हाईकोर्ट, दो बार जबलपुर हाईकोर्ट, एक बार बिलासपुर हाईकोर्ट और एक बार सुप्रीम कोर्ट तक मामला जा चुका है। जोगी ने कहा कि हर बार उन्हीं के पक्ष में फैसला आया।भाजपा नेता दिलीप सिंह भूरिया जब अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब उन्होंने अपने घर में काम करने वाले संत कुमार नेताम के माध्यम से जोगी के आदिवासी नहीं होने की पहली शिकायत दर्ज कराई थी।भूरिया ने आयोग की रिपोर्ट में जोगी के आदिवासी नहीं होने का फैसला भी दिया था। बिलासपुर हाईकोर्ट ने उनके फैसले को खारिज कर दिया था। इसके बाद भूरिया सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में छत्तीसगढ़ सरकार को उच्च स्तरीय छानबीन समिति से जांच कराने का आदेश दिया था।समिति को दो माह में रिपोर्ट पेश करना था, पांच साल तक कोई रिपोर्ट नहीं आई तो 2017 में भाजपा नेता नंदकुमार साय ने हाईकोर्ट में सरकार के खिलाफ मामला लगाया। जोगी का कहना है कि सरकार के कानून के हिसाब से ग्रामसभा के फैसले के आधार पर जाति तय होनी चाहिए।जोगी का दावा है कि दो पैतृक गांव जोगीसार व जोगीडोंगरी की ग्रामसभा ने उनके आदिवासी होने की सहमति दी है। जोगी का मुख्यमंत्री पर आरोप है कि उन्होंने ग्रामसभा के फैसले को दरकिनार करते हुए अपनी इच्छा के मुताबिक समिति की रिपोर्ट तैयार कराने के लिए अध्यक्ष और सदस्यों को बदला।प्रमुख सचिव या सचिव स्तर के अधिकारी के बजाय, विशेष सचिव स्तर की महिला अधिकारी को समिति का अध्यक्ष बनाया। जोगी का दावा है कि उनके विश्वस्त सूत्र ने यह भी बताया है कि रिपोर्ट में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य सचिव में एक ही अधिकारी के दस्तखत हैं, जबकि समिति में अलग-अलग पांच पदाधिकारी और सदस्य होने चाहिए।

छानबीन समिति का फैसला राजनीतिक विद्वेष से भरा है।

मैं विगत  30 साल से इस पर  कानूनी लड़ाई लड़ रहा हूं।संभव है की  मेरे बाद मेरे बेटे अमित जोगी को भी लड़ना पड़ सकता है। छानबीन समिति का फैसला राजनीतिक विद्वेष से भरा है। इससे ये साबित हो गया है कि मैं मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का शत्रु नम्बर-1 हूं। भाजपा मुझसे भयभीत   है। समिति की रिपोर्ट से मुझे नुकसान नहीं होगा। जनता जानती है कि मैं आदिवासी हूं। इसलिए  उनकी  सहानुभूति मेरे साथ है । –

अजीत जोगी जे. सी. सी. जे .प्रमुख 

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