November 23, 2024

अनेकता में एकता का सर्वोत्तम उदाहरण ईदुल फित्र

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जोगी एक्सप्रेस लखनऊ

लखनऊ | ईद-उल-फ़ित्र एक अन्तर्राष्ट्रीय त्योहार है जो भारत में धार्मिक सहिष्णुता और भाईचारे का प्रतीक है ये मुसलमानों का एक ऐसा त्योहार है जिसे दुनिया के सभी देशों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन अन्य देशों से अलग भारत ही एक ऐसा देश है जहां अन्य सभी धर्मों के लोग भी मुसलमान भाइयों को ईद की मुबारकबाद देते हुए इस पवित्र त्योहार में शरीक होकर भारत की सर्वप्रमुख विशेषता ‘अनेकता में एकता’ का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, ईद में मुसलमान 30 दिनों तक रोजा रखने के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं और खुदा का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्होंने उसे महीने भर रोजा रखने की ताकत दी, ईद की तिथि से काफी पहले से ही लोग इस त्योहार की तैयारी में जुट जाते हैं, घरों की साफ-सफाई की जाती है और परिवार के सभी सदस्यों के लिए नए कपड़े सिलवाए जाते हैं ईद के दौरान नए पकवान बनाने के अतिरिक्त, नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार तथा दोस्तों के बीच तोहफों का आदान-प्रदान किया जाता है, ईद के दिन मस्जिद में सुबह की नमाज से पहले, नमाजी गरीबों को दान देते हैं जिसे जकात-उल-फ़ित्र कहा जाता है, ईदगाह में एकत्र लोग आपस में गले मिलते हुए एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम का इजहार करते हैं यदि किसी के बीच पुरानी दुश्मनी हो तो वह भी ईद की इस मुबारक घड़ी में खत्म हो जाती है और लोगों के बीच मोहब्बत भरे एक नए रिश्ते का आगाज होता है, लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों, परिचितों और पड़ोसियों को दावत देते हैं लोग अपने से उम्र में छोटे लोगों को उपहार और धन देते हैं उसे ईदी कहा जाता है सेवइयों का ईद के रोज अपना अलग ही महत्त्व है, इसी वजह से इसे ‘मीठी ईद’ के नाम से भी जाना जाता है ईद का त्योहार भाईचारे का संदेश देता है, इस्लाम के संस्थापक मुहम्मद साहब का संदेश केवल मुसलमानों के लिए ही नही बल्कि पूरी मानवता के लिए कल्याणकारी है ईद-उल-फित्र से पूर्व रोजा रखना हमें त्याग और तपस्या की प्रेरणा देता है ये हमें सिखाता है कि हमारा जीवन केवल सुख-सुविधाओं व आराम का उपभोग करने के लिए नही है, बल्कि इसमें त्याग, अनुशासन और बलिदान को भी स्थान देना अनिवार्य है, ईद के दिन की सामूहिक नमाज हमें बताती है कि इस दुनिया में कोई छोटा-बड़ा या ऊँच-नीच नहीं है, बल्कि खुदा की नजर में सभी समान है, ईद की नमाज के बाद दान देने का उद्देश्य होता है प्रत्येक व्यक्ति को गरीबों की भलाई कर समाज की प्रगति में भागीदारी निभाने की उसकी भूमिका का निर्वाहन करवाना, इस तरह ईद प्रेम, एकता और भाईचारे का त्योहार है |

रिपोर्ट आफाक अहमद मंसूरी

jogi express 

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