रमन रमेश मोदी गोद लिए गांव को स्मार्ट नहीं बना पाये स्मार्ट सिटी बनाना इनके बस का रोग नही:धनंजय सिंह ठाकुर
रायपुर स्मार्ट सिटी नहीं बन पाने के लिए पूर्व की भाजपा सरकार जिम्मेदार
गोद लिये गांव को स्मार्ट नहीं बना पाने वाले रमन सिंह, रमेश बैस मोदी से स्मार्ट सिटी नही बनेगा
रायपुर/04 मई 2019। 100 स्मार्ट सिटी के सूची से रायपुर का बाहर होना दुखद एवं पीड़ादायक है इसके लिए पूर्व की भाजपा सरकार जिम्मेदार है छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि रमन भाजपा के राजनीतिक द्वेष और निष्क्रिय सांसद रमेश बैस के कारण रायपुर शहर स्मार्ट सिटी की सूची से बाहर हुआ है। 2014 में स्मार्ट सिटी का सपना दिखाने वाले नरेंद्र मोदी जी और उनके सांसद अपने गोद लिए गांव को आज तक स्मार्ट नहीं बना पाए हैं तो रायपुर को स्मार्ट सिटी बनाना इनके बस का रोग नहीं है। पूर्व की भाजपा सरकार के मुखिया रमन सिंह और भाजपा की छोटी सोच और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता ने नगर निगम के चुने हुए जनप्रतिनिधि महापौर प्रमोद दुबे के कार्यों पर निरंतर हस्तक्षेप का काम किया है साढे 4 साल तक नगर निगम में प्रशासनिक आतंकवाद हावी था जनता की मूलभूत की छोटी-छोटी कामों को अधिकारी रोकने का काम करते थे गर्मी के दिनों में हमेशा उठने वाली गंभीर पेयजल की समस्या हो यह साफ सफाई, प्रकाश की व्यवस्था हो रमन सरकार के एजेंट बने बैठे अधिकारी ने कामों मे अड़ंगा लगाया है है जिस का ही नतीजा है रायपुर शहर स्मार्ट सिटी के दौड़ से बाहर हुआ है अब भारतीय जनता पार्टी अपने निष्क्रिय सांसद रमेश बैस और पूर्व की भाजपा सरकार की नाकामी को छुपाने के लिए कांग्रेस पर आरोप लगाकर आम जनता का ध्यान हटाना चाहते हैं। छत्तीसगढ़ की जनता जानती है की भाजपा के सांसदों ने जिस गांव को गोद लिया है उस गांव को स्मार्ट नहीं बना पाए हैं तो रायपुर शहर यह अन्य शहर को स्मार्ट सिटी का स्वरूप देंना बड़ी दूर की बात है स्मार्ट सिटी के नाम से रमन सिंह की सरकार ने भारी भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी किया है शहरों को रंग रोहन कर स्मार्ट दिखाने का प्रयास किया गया और उनके चाटुकार अधिकारी सिर्फ कागजों में स्मार्ट सिटी की रैंकिंग को पूरा करते रहे हैं। 9 साल तक प्रदेश की भाजपा सरकार ने दुर्भावना पूर्वक नगर निगम रायपुर की लगातार उपेक्षा की है पूर्व महापौर डॉक्टर किरणमयी नायक और वर्तमान महापौर प्रमोद दुबे के कार्यकाल में अनेक उदाहरण है जब नगर निगम को बाईपास कर के पीडब्ल्यूडी आरडीए और जिला प्रशासन के माध्यम से काम कराये गए। स्मार्ट सिटी कमेटी में शहर के महापौर को नहीं रखना दुर्भाग्यपूर्ण है।