डीजीएमएस के नियमों का उल्लंघन कर कोयला उत्पादन कर रहा था जॉय ग्लोबल इंडिया उल्लंघन प्रमाणित होने के बाद भी क्यों नहीं की गयी ठोस कार्यवाही
जोगी एक्सप्रेस
वरिस्ट पत्रकार संतोष चौरसिया की कलम से
कोरिया छत्तीसगढ़ चिरमिरी। एसईसीएल उपक्रम के चिरमिरी क्षेत्र के विजय वेस्ट भूमिगत खदान में कोयला उत्पादन में संलग्न मेसर्स जॉय ग्लोबल इंडिया लिमिटेड के द्वारा मजदूरो के जीवन से सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर खिलवाड़ करने से कोई परहेज नहीं करता तभी तो आयेदिन कोयला खदानों में दुर्घटनाएं होती रहती है। ऐसा ही एक मामला एसईसीएल उपक्रम के चिरमिरी क्षेत्र के विजयवेस्ट खदान का प्रकाश में आया था जहां कोयला उत्पादन में संलग्र सीएम मशीन को एसी की जगह डीसी करंट से चलाया जा रहा था जब इस मामले की खान सुरक्षा महानिदेशालय सहित कई विभागों को शिकायत हुई तो कुछ दिनों के लिए मशीन को उत्पादन कार्य से अलग कर दिया गया था। और बाद में नियमों के अनुसार मशीन में सुधारकर पुनरू निदेशालय से स्वीकृति प्राप्त कर उत्पादन कर कोयला उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। सवाल यह उठता है कि जब नियमों के विरूद्ध मशीन चल रही थी तब निदेशालय और एसईसीएल के अधिकारी क्या कर रहे थे? और शिकायत के बाद जब सुधारकर पुनरू मशीन को चालू किया गया तो क्या किया गया अपराध समाप्त हो गया? साथ ही जिस समय मशीन बंद थी और कोयला उत्पादन रूका हुआ था उस समय ठेकेदार के बिल से डेमरेज चार्ज के रूप में राशि की कटौती क्यों नहीं की गई? सवाल यह भी उठता है कि निदेशालय के नियमों का उल्लंघन करने के बाद उसमें सुधार कर लेना क्या अपराध का श्रेणी में नहीं आता है, आखिर उल्लंघन के एवज में क्या कार्यवाही निदेशालय और एसईसीएल ने की? कोयला उत्पादन में संलग्न मेसर्स जॉय ग्लोबल इंडिया लिमिटेड के द्वारा किये गये धोखाधड़ी की जाँच कराकर कम्पनी को काली सूची में शामिल किये जाने के साथ ही जॉय ग्लोबल की लापरवाही से एसईसीएल को हुए नुकसान की एवज में बिल से राशि की कटौती किये जाने की आवश्यकता है। चिरमिरी सहित एसईसीएल के विभिन्न क्षेत्रो में इसी कम्पनी के द्वारा लगाये गये सीएम मशीनों एवं एसईसीएल उपक्रम द्वारा लगाये गये सीएम मशीनों के मरम्मत के नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। साथ ही खानसुरक्षा महानिदेशालय के नियमों का उल्लंघन भी किया जा रहा है। जब कोयला उत्पादन में संलग्र मशीन को विजयवेस्ट भूमिगत खदान में एसी की जगह डीसी करंट से चलाया जा रहा था तब शिकायत पर कार्यवाही करते हुए खान सुरक्षा महानिदेशालय द्वारा जारी पत्र क्रमांक 483/175/ईएचक्यू दिनांक 07.02.2014 में वर्णित रेगुलेशन 181 (3) ऑफ सीएमआर 1957 का उल्लंघन उक्त कम्पनी के द्वारा किया गया था, इस उल्लंघन की प्रमाणिकता ए वेंकट सुब्बाराव खान सुरक्षा उपनिदेशक (विद्युत) पश्चिम अंचल नागपुर द्वारा दिनांक 21.05.2015 को किये गये निरीक्षण से प्रमाणित होता है, साथ ही इनके द्वारा लिखित में कहा गया था कि डंदंहमउमदज दवज जव बवददमबज ेनचचसल जव जीम बवदजपदनवने उपदमत जपसस ंचचतवअमस पे वइजंपदमक तिवउ क्ळडै पद ूतपजपदह इस बात से यह भी प्रमाणित होता है कि खान सुरक्षा महानिदेशालय के नियमों का उल्लंघन किया गया था, साथ ही कोयला उत्पादन में संलग्र मशीन को अग्रिम स्वीकृति तक रोक दिया गया था। खान सुरक्षा महानिदेशालय पश्विचम अंचल नागपुर द्वारा जारी पत्र क्रमांक पं.अं./वि/766 नागपुर दिनांक 05.08.2016 में भी स्पष्ट लिखा हुआ है कि अतरू नियमों के उल्लंघन पाये जाने पर कम्पनी द्वारा पुनरू ।चचतवअमस लिया गया, जो कानून के अंतर्गत सही है। इससे भी यह स्पष्ट होता है कि कम्पनी ने निदेशालय के नियमों का उल्लंघन किया था। खान प्रबंधक विजय वेस्ट के द्वारा जारी पत्र क्रमांक एसईसीएल/चिर/खान प्रबंधक/विवे/लोसूअ/17/1165 दिनांक 19.04.2017 से भी स्पष्ट है कि जॉय माइनिंग ने उक्त अवधि में लक्ष्य से कम कोयला उत्पादन किया और निदेशालय के रोक लगाये जाने के बावजूद उक्त अवधि में भी कोयला उत्पादन में संलग्न रहा या संलग्न न रहते हुए भी फर्जी तरीके से कोयला उत्पादन दिखाया गया जिसके लिए कम्पनी और एसईसीएल के अधिकारी भी दोषी है। इस पूरे मामले में इन बिन्दुओं की ओर ध्यान दिया जाना भी आवश्यक है 1. निदेशालय के नियमों का उल्लंघन कम्पनी के द्वारा किया गया है इसके लिए् कम्पनी एवं एसईसीएल के तात्कालिक अधिकारी देाषी है जिसकी प्रमाणित दस्तावेज भी है इसके आधार पर दोषियों के विरूद्ध उचित कार्यवाही किया जाना आवश्यक है। 2. निदेशालय के नियमों के उल्लंघन के उपरांत जब मशीन को कोयला उत्पादन के लिए रोक दिया गया है तब उस अवधि में मशीन ने कैसे कोयला उत्पादन किया? और यदि कोयला उत्पादन नहीं किया गया तो उत्पादन को फर्जी तरीके से क्यों दर्शाया गया? 3. वित्तीय वर्ष 2015-16 में जॉय माइनिंग को 385000 टन का उत्पादन लक्ष्य दिया गया था और निदेशालय के द्वारा उत्पादन में संलग्र मशीन पर रोक लगाये जाने की स्थिति में कोयला उत्पादन इस वित्तीय वर्ष में 251600 टन ही हुआ। ऐसी स्थिति में कम उत्पादन कर एसईसीएल एवं कोल इंडिया को कम्पनी के द्वारा घाटा पहुँचाया गया। चूंकि कम्पनी की गलती से उत्पादन कार्य प्रभावित हुआ इसलिए बतौर ड्रेमरेज चार्ज कम्पनी के बिल से राशि की कटौती किया जाना न्याय संगत होगा।4. निदेशालय के नियमों का प्रमाणित उल्लंघन किये जाने के बाद किये गये गलतियों को दूर कर पुनरू स्वीकृति देना क्या किये गये अपराध की दण्ड मिलने की श्रेणी में नहीं आता है? आखिर क्यों निदेशालय ने किये गये उल्लंघन के लिए कम्पनी को दण्डित नहीं किया? साथ-साथ ही एसईसीएल ने भी कम्पनी के द्वारा किये गये गलती पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की?5. निदेशालय के नियमों का उल्लंघन कर मानव जीवन से खिलवाड़ करने वाले कम्पनी के विरूद्ध प्रमाणित भ्रष्टाचार पाये जाने के बाद निदेशालय और एसईसीएल प्रबंधन के द्वारा दोषियों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही क्यों नहीं की गई?