November 23, 2024

नान घोटाला का पर्दाफाश करने आईजी कल्लूरी को 3 माह का समय

0

 

रायपुर, छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाला का पर्दाफाश करने सरकार ने तात्कालीन बस्तर आईजी पर भरोसा जताया है। सरकार ने एसआईटी का चीफ भी आईजी को बनाया है। वर्तमान में आईपीएस एसआरपी कल्लूरी राज्य आर्थिक अपराध एसआईटी अन्वेषण ब्यूरो और एंटी करप्शन ब्यूरो के प्रभार पर हैं। सरकार ने इसके लिए कल्लूरी को तीन महीने में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश भी दिए हैं। जांच के लिए सरकार ने 12 सदस्यीय टीम गठित की है।
टीम में आईजी एसआरपी कल्लूरी, पुलिस अधीक्षक नारायणपुर इंदिरा कल्याण एलेसेला, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसीबी मनोज कुमार खिलारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जशपुर उनेजा खातून अंसारी, उप पुलिस अधीक्षक, ईओडब्ल्यू विश्वास चंद्राकर, उप पुलिस अधीक्षक, ईओडब्ल्यू अनिल बक्शी, निरीक्षक सीआईडी एलएस कश्यप, निरीक्षक एसीबी बृजेश तिवारी, निरीक्षक एसीबी रमाकांत साहू, निरीक्षक कांकेर मोतीलाल पटेल, निरीक्षक ईओडब्ल्यू
फरहान कुरैशी और विधि विशेषज्ञ सेवानिवृत्त उप संचालक सदस्य एनएन चतुर्वेदी हैं।
वहीं ईओडब्लू ने जांच के 11 बिंदु भी तय कर लिए हैं। ये वो 11 बिंदु है जिस पर जांच अभी तक नहीं हुई हैं। जांच के बिन्दुओं में बताया गया है कि जांच किन बिन्दुओं पर की जाएगी।
मिली जानकारी के अनुसार प्रकरण की विवेचना जून 2014 से फरवरी, 2015 तक की ही है। उसके पूर्व अवधि को अनुसंधान में शामिल नहीं किया गया है। शिवशंकर भट्ट से बरामद 113 पन्ने, जिसमें अवैध लेनदेन का हिसाब होना बताया गया था। उनमें मात्र 6 पन्ने ही केस रिलेवेंट होने के कारण प्रकरण में संलग्न किए गए हैं। उन 6 पन्नों में वर्ष 2011 से 2013 के बीच की अवधि की जिलेवार करोड़ों की वसूली का वर्णन है।
इन्हीं 6 पन्नों को चालन के साथ अभियोजन दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत किया गया है। शेष 107 पन्ने कार्यालय में रखे हैं। इन 107 पन्नों में उक्त तथ्यों के संबंध में इस अपराध में विवेचना नहीं की गई है।
केके बारीक के कंप्यूटर से बरामद 127 पन्नों में अवैध लेनेदेन का विवरण होना दर्शाया गया है। उपरोक्त 127 पन्ने कार्यालय में रखे गए हैं। अपराध में इन पन्नों की विवेचना नहीं की गई है। गिरीश शर्मा के घर में छापेमारी में 1.70 लाख रुपए नगद, अनेक वाहन, दो आवास, शॉपिंग माल तथा एक प्लाट होने की खबर प्रकाशित कराई गई. किंतु इस संबंध में असमानुपातिक संपत्ति अर्जित करने संबंधी विषय पर विवेचना नहीं की गई है।
त्रिनाथ रेड्डी के निवास से जब्त नगदी रकम (42000) एवं संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए गए हैं एवं जब्ती पत्रक अभियोग पत्र में लगाया गया है। किंतु इस प्रकरण में असमानुपातिक संपत्ति अर्जित करने संबंधी विषय पर विवेचना नहीं की गई है।
केके बारिक के निवास के जब्त नगदी रकम (31800) एवं संपत्ति के दस्तावेज जब्त किया जाकर उस जब्ती पत्रक को अभियोग पत्र में लागया गया है, परंतु प्रकरण में असमानुपातिक संपत्ति अर्जित करने संबंधी विषय पर विवेचना नहीं की गई है।
जीतराम यादव के घर से जब्त 36 लाख रुपए के संबंध में प्रमाणित हुआ कि उक्त राशि शिवशंकर भट्ट की है, अतएव इन्हें एसीबी के बैंक अकाउंट की जब्ती की गई है। एव जब्ती पत्रक अभियोग पत्र में संलग्न किया गया है, किन्तु प्रकरण में समानुपातिक संपत्ति अर्जित करने संबंधी विषय पर विवेचना नहीं की गई है।
अरविंद ध्रुव से जब्त दस्तावेज को अभियोजन पत्र में लगाया गया है। प्रकरण में असमानिपातिक संपत्ति अर्जित करने संबंधी विषय पर विवेचना नहीं की गई है। गिरीश शर्मा, अरविंद शर्मा, जीतराम यादव, केके बारीक तथा त्रिनाथ रेड्डी से बड़ी धनराशि तथा संपत्तियां बरामद होने के कारण उन्हें आरंभ में अभियुक्त बनाया गया था। उच्च न्यायालय ने गिरीश शर्मा, अरविंद ध्रुव और जीतराम यादव को धारा 319 के अनुसार वर्तमान स्थिति में मुल्जिम के रूप में समंस करने पर रोक लगाई है। विवेचना में इन्हें गवाहों के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 20 अंतगर्त यह उल्लेखित है कि यदि किसी लोकसेवक से भ्रष्ट्राचार की राशि जब्त की जाती हो तो यह उपधारणा की जाएगी कि यह राशि उसने स्वयं के लिए ली है। उस राशि को अन्य किसी व्यक्ति के लिए लेना बताकर वह अपने दायित्व से मुक्त नहीं हो सकता। गिरीश शर्मा के जब्त कंप्यूटर के प्रिंट आउट, चार पन्ने में अनेक प्रभावशाली व्यक्तियों को रिश्वत की राशि प्राप्त होने का उल्लेख है, किन्तु उसकी कोई विवेचना नहीं की गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *