सी.आर.पी.एफ. और स्थानीय पुलिस के पास जंगल में लड़ने का अनुभव नहीं:वेंकैया नायडू
जोगी एक्सप्रेस
जे,डी.रायपुर
रायपुर शहरी विकास, गरीबी उन्मूलन तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की योजनाओं की समीक्षा करने रायपुर पहुंचे नायडू ने मंत्रालय में मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह के साथ बैठक के बाद संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि नक्सल समस्या 50 साल पुरानी है। अभी नक्सली 50 वीं सालगिरह भी मना रहे हैं। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा है कि सीआरपीएफ या स्थानीय पुलिस के पास जंगल में लड़ने का अनुभव नहीं है। नक्सली किधर से आकर हमला कर भाग जाएंगे, पता नहीं। यह डर भी है कि न जाने कब कहां से हमला हो जाए। केंद्र योजना बना रहा है। हम ट्रेनिंग देकर स्पेशल फोर्स को जंगल में उतारेंगे। कुछ साल पहले आंध्रप्रदेश में ग्रेहाउंड्स ने बेहतर काम किया। यहां भी ऐसा कुछ करने की जरूरत है। लोगों को नक्सलवाद के खिलाफ जागरूक करेंगे।सवालो के जवाब में उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ और स्थानीय फोर्स के बीच तालमेल की कोई कमी नहीं है। बुरकापाल हमले में जवानों ने 15 नक्सली भी मारे। मानवाधिकारवादियों पर फिर हमला बोलते हुए नायडू ने कहा कि जब पुलिस के जवान और अधिकारी मारे जाते हैं तो वे खामोश हो जाते हैं। डीयू की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर का नाम लिए बिना उन्होंने कहा- वो प्रोफेसर हों या कोई और, मानवाधिकार की बात तभी होती है, जब नक्सली मरते हैं या पकड़े जाते हैं। नक्सली कहते हैं कि बुलेट से पावर आएगा। वे रोड, स्कूल, पुल तोड़ते हैं। वे विकास विरोधी हैं।सरकार प्रयास कर रही है कि नक्सल इलाकों तक विकास पहुंचे। केंद्र और राज्य मिलकर काम कर रहे हैं। एक ओर तेज विकास और दूसरी ओर कानून व्यवस्था पर ठोस कदम उठाने की तैयारी है।