*चिरमिरी की धरती पर किसान सोना उगाए हम करेंगे प्रयास – कृषि मंत्री*
*रायपुर में महापौर ने कृषि मंत्री से की विकास मंत्रणा*
जोगी एक्सप्रेस
अंकुश गुप्ता चिरमिरी – महापौर के. डोमरु रेड्डी ने प्रदेश के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से उनके निवास कार्यालय में मुलाकात कर क्षेत्र के विकास को लेकर गम्भीर मंत्रणा करते हुये सिलसिलेवार ढंग से समस्याओं का ब्योरा दिया और जन आकांक्षाओं से अवगत कराया मंत्री जी द्वारा नगरनिगम क्षेत्र के लिये शासन द्वारा खेती-किसानी के द्वार खोलने को लेकर रुचि दिखाते हुए शासन की योजनाओं के साथ सामंजस्य बैठाकर एक अनूठा एवं नया पहल करने की मंशा ज़ाहिर करते हुए बताया गया कि शासन द्वारा किसानों के हितों के लिए योजनाऐं तैयार की गई है, जिसका हर किसान को लाभ दिया जाना हमारा उददेश्य है। महापौर ने मंत्री श्री अग्रवाल से हुए इस मुलाकात को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि नगर निगम चिरमिरी एवं आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में बसे किसानों से संबंधित जनोपयोगी प्रपोजल तैयार कर प्रस्तुत करने को कहा गया है, जिसका परीक्षण कर आवश्यकतानुसार स्वीकृति प्रदान करने की सहमति कृषि मंत्री द्वारा दी गई है। महापौर डोमरू रेड्डी ने इस सम्बंध मे जानकारी देते हुए कहा कि बहुत जल्द नगर निगम चिरमिरी क्षेत्रांतर्गत रह रहे लोगों को हो रही समस्याओं के निराकरण हेतु प्रपोजल तैयार कर शासन के समक्ष रखा जावेगा, जिसका लाभ हर जरूरतमंद को मिल सके, इसके लिए पहल किया जा रहा है। ज्ञात हो कि चिरमिरी एक कोयलांचल शहर है, जहॉं एसईसीएल द्वारा कोयला उत्खनन किया जा रहा है। महापौर रेड्डी ने उत्पादन हो चुके रिक्त भूमियों के हस्तांतरण को लेकर एड़ी-चोटी एक कर लम्बे समय से एक समयबद्ध मुहिम चला रखा है। जिसके तहत् चिरमिरी के लोगों को आवासीय पट्टा दिलाने को लेकर सरगुजा विकास प्राधिकरण में मुख्यमंत्री से एक उच्च स्तरीय समिति बनवाने मे सफलता प्राप्त की है। महापौर के. डोमरू रेड्डी ने शासन से इस दिशा में निरंतर पहल कर, चिरमिरी क्षेत्र के खाली पड़े जमीन को वर्षों से निवास कर रहे लोगों को मालिकाना हक दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने प्रदेश के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के समक्ष एक वृहद दृष्टिकोण रखते हुए बताया कि एस.ई.सी.एल. के ऐसे रिक्त जमीनों में खेती-किसानी के सम्भावनाएँ तलाशने की जरूरत है, जिससे कि सिर्फ और सिर्फ कोयला उद्योग पर आधारित चिरमिरी में कोयला समाप्त होने पर कृषि को आधार बनाकर यहॉं के लोग जीवन यापन कर सकें।