वायरल टेस्ट: मिलावटी दूध पीता है आधे से ज्यादा भारत?
वायरल खबर में दावा किया गया है कि देश में दूध का उत्पादन 14 करोड़ लीटर है, लेकिन खपत 64 करोड़ लीटर है. दावा किया जा रहा है कि देश में बिकने वाला 68.7 फीसदी दूध और उससे बना प्रोडक्ट मिलावटी है.
नई दिल्ली, त्योहारों का सीजन है. दिवाली पर खूब मिठाइयां बिक रही हैं, लेकिन कहीं इनमें जहर तो नहीं. जी हां, ऐसी खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि देश में बिकने वाला 67.7 फीसदी दूध मिलावटी है. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि देश में दूध का उत्पादन 14 करोड़ और खपत 64 करोड़ लीटर है तो क्या हम और आप दूध के नाम पर जहर पी रहे हैं?
क्या आप जहरीला दूध पी रहे हैं? जिसे आप दूध समझ रहे हैं कहीं वह जहर तो नहीं है? बिना गाय-भैंस के देश में बह रही हैं दूध की नदियां? ये सवाल हम यूं ही नहीं उठा रहे हैं. इसके पीछे ये वायरल वीडियो और खबर है जो वॉट्सऐप समेत अनेक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि देश में जितना भी दूध बिक रहा है, उसमें ज्यादातर नकली है. वो दूध नहीं है, बल्कि जहर है. इस वायरल खबर की हेडलाइन में लिखा है कि दूध नहीं जहर पीता है इंडिया. जबकि वायरल खबर में दावा किया गया है कि है कि देश में जितना भी दूध बिक रहा है, उसमें ज्यादातर नकली है. वो दूध नहीं है, बल्कि जहर है. इस वायरल खबर की हेडलाइन में लिखा है कि दूध नहीं जहर पीता है इंडिया.
वायरल खबर में दावा किया गया है कि देश में दूध का उत्पादन 14 करोड़ लीटर है, लेकिन खपत 64 करोड़ लीटर है. दावा किया जा रहा है कि देश में बिकने वाला 68.7 फीसदी दूध और उससे बना प्रोडक्ट मिलावटी है. ये फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से तय मानकों से मेल नहीं खाता. डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि अगर मिलावट बंद नहीं हुई तो 87 फीसदी भारतीयों को 2025 तक कैंसर हो सकता है.
दूध के जहरीले होने को लेकर वायरल यह खबर हमारे लिए चौंकाने वाली थी. इस खबर के वायरल होने का मौका तो देखिए. देश में त्योहार का माहौल है, दिवाली है, इस वक्त लोग बड़े पैमाने पर एक दूसरे को मिठाई बांट कर खुशियां मनाते हैं. ऐसे में हमारे लिए ये जानना जरूरी था कि मिठाई जहरीली तो नहीं है?
हमने इस वायरल खबर की पड़ताल करने की ठानी. वायरल खबर में दावा किया गया है कि ये जानकारी एनिमल वेलफेयर बोर्ड इंडिया के सदस्य मोहन सिंह अहलूवालिया ने दी है. हमने सबसे पहले मोहन सिंह अहलूवालिया को से संपर्क किया. उनसे इस वायरल खबर के बारे में बातचीत की. अहलूवालिया ने इस बात पर अचरज जताया कि देश में दूध से इतने बड़े पैमाने पर ऐसी चीजें कैसे बन रही हैं जबकि इतनी मात्रा में दूध होता ही नहीं है.
अहलूवालिया ने साफ किया कि सरकारी एजेंसियों की मिलीभगत और माफिया की साजिश के तहत देश में जहरीले दूध का कारोबार हो रहा है. लेकिन सरकार इस पर सख्ती करेगी, वरना आने वाले समय में लोगों को कैंसर जैसी भयानक बीमारियां झेलनी पड़ सकती हैं. वह जगह-जगह जाकर जहरीले दूध के कारोबार को उजागर कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि देश में बिकने वाला 68.7 फीसदी दूध और उससे बना उत्पाद मिलावटी है या जहरीला है. साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने भी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया 2011 के सर्वे के आंकड़े के हवाले से पार्लियामेंट में इसकी पुष्टि की थी.
नकली और जहरीले दूध के वायरल टेस्ट में हम जैसे जैसे आगे बढ़ रहे थे, एक के बाद एक चौंकाने वाली जानकारियां हमारे सामने आती जा रही थीं. इसी पड़ताल में हमारी मुलाकात हुई स्वामी अच्युतानंद से, जिन्होंने नकली दूध की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ी. उन्होंने बताया कि 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को मोबाइल लैब बनाए जाने, नकली दूध के मामलों में फैसला जल्दी करते हुए जुर्माना लगाने के आदेश दिए थे.
इस पड़ताल में हमारे हाथ फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की वेबसाइट पर संयुक्त निदेशक दया शंकर की एक एडवाइजरी हाथ लगी. इसमें उन्होंने साफ लिखा है कि दूध और दूध उत्पादों की मांग आपूर्ति से बाहर होने पर त्योहार के मौसम में अक्सर मिलावट के मामले बढ़ जाते हैं. इस चिट्ठी में दूध में क्या क्या मिलाया जाता है, इसका भी जिक्र किया गया है.
साभारः आज तक
फोटो क्रेडिट :आज तक