November 23, 2024

जाने इस बार बुध पुष्य योग और धनतेरस में क्या है खास

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रायपुर ,कोई भी नया कार्य या व्यवसाय शुरू करने के लिए अथवा स्वर्ण व रजत आभूषण खरीदने के लिए शुभ माने जाने वाला पुष्य नक्षत्र का संयोग इस बार 31 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस बार दीपावली के पहले खरीदी के लिए चार बड़े अवसर हैं। ज्योतिष (पं) डॉ. विश्वरँजन मिश्र के अनुसार 31 अक्टूबर को बुध पुष्य नक्षत्र रहेगा, जिसमें सुबह से रात 12 बजे तक खरीदी की जा सकेगी। धनतेरस 5 नवंबर को है जिसमें खरीदी के लिए छह शुभ मुहूर्त रहेंगे।
मुहूर्तों को देखते हुए व्यापारियों ने भी पर्याप्त स्टॉक बुलाया है। इन दिनों बाजार में जमकर खरीदी होने की संभावना है।
इस साल धनतेरस से पूर्व पड़ रहे पुष्य नक्षत्र को खास माना जा रहा है, क्योंकि 30 बरस बाद इस अवसर पर बुध पुष्य योग पड़ रहा है। इस दिन सप्तमी तिथि के साथ पुष्य नक्षत्र की युति है साथ ही कई दिनों से अस्त शुक्र तारे का उदय हो रहा है। चूंकि शुक्र को ऐश्वर्य का कारक माना जाता है इसलिए बुधवार के दिन पुष्य नक्षत्र का पड़ना हर तरह की वस्तु खरीदने के लिए शुभ फलदायी साबित होगा। सोना, चांदी, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर समेत रसोई घर में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं खरीदने से परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ेगी। यह व्यापारिक नजरिए से गतिविधियों में तेजी लाएगा। इस दिन जमीन, मकान, गाड़ी खरीदी की जा सकती है।
धनतेरस 5 नवंबर को – ज्योतिषाचार्य डाॅ विश्वरंजन मिश्र के अनुसार सोम प्रदोष के संयोग में धन तेरस आएगी। इस दिन वाहन, मकान, जमीन, इलेक्ट्रॉनिक्स, सोना-चांदी, बर्तन की खरीदी की जा सकती है। धन तेरस पर चांदी की खरीदी शुभ रहती है। राशि के अनुसार भी खरीदी की जा सकती है। इस दिन हल्दी मिले जल से स्नान करें। शाम को उत्तर दिशा की ओर मुंह करके घी का दीपक जलाएं।
धातुओं की खरीदारी से सुख-समृद्धि में होगी वृद्धि
बुध पुष्य नक्षत्र पर सोना, चांदी, तांबा जैसी धातुओं की खरीदारी करने से सुख-समृद्धि व वैभव में वृद्धि होगी। साथ ही जमीन, मकान में निवेश करना लाभदायी साबित होगा। इनके अलावा वाहन, फर्नीचर, ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स व अन्य घरेलू सामान की खरीदारी करना भी अति शुभ फलदायी होगा। कोई भी राशि वाला व्यक्ति अपनी सुविधानुसार सभी तरह की धातुएं खरीद सकता है।
पुष्य नक्षत्र शनि का नक्षत्र है, इसलिए इसके स्वामी शनि देव हैं। बुधवार को सूर्योदय के पहले से लेकर गुरुवार को सूर्योदय के पहले तक खरीदारी का योग है।
डॉ. मिश्र के अनुसार बुधवार दिन होने से पुष्य नक्षत्र शुभ हो जाता है, क्योंकि चंद्रमा और बुध पिता-पुत्र हैं। पुष्य नक्षत्र में विवाह छोड़कर सभी शुभ कार्य किए जाते हैं। यह सभी तरह के सिद्ध का नक्षत्र है। इस दिन खरीदने, बेचने और भूमि पूजन शुभ माना जाता है। पुष्य का अर्थ होता है पोषण, ऊर्जा और शक्ति प्रदान करने वाला।
इस नक्षत्र को शुभ और कल्याणकारी माना गया है, जो शुभ-सुंदर, सुख और संपदा देने वाला है। यह 27 नक्षत्रों में 8वां नक्षत्र है और 12 राशियों में एकमात्र कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है। पुष्य नक्षत्र के सभी चरणों के दौरान ही चंद्रमा अन्य किसी राशि का स्वामी नहीं है, इसलिए पुष्य नक्षत्र को सुख-शांति और धन-संपत्ति के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है। पुष्य नक्षत्र सभी नक्षत्रों का राजा है। ऋगवेद में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है। इसके अलावा यह समृद्धिदायक, शुभ फल प्रदान करने वाला नक्षत्र माना गया है।

क्यों है विशेष पुष्य नक्षत्र क्रय के लिए

पुष्य नक्षत्र खरीदारी के लिए विशेष मुहूर्त इसलिए है, क्योंकि यह नक्षत्र स्थायी माना जाता है और इस मुहूर्त में खरीदी गई कोई भी वस्तु अधिक समय तक उपयोगी और अक्षय होती है। इसलिए लोग इस शुभ मुहूर्त का इंतजार करते हैं।

अति शुभ योगों का संयोग

इस बार अमृत सिद्धि और वैदूर्य योग के कारण इसे अति शुभ माना जा रहा है। अमृत सिद्धि योग सुबह 9 बजे से अपराह्न एक बजे तक जारी रहेगा। जबकि, वैदूर्य योग 2.14 बजे से शुरू होकर 4.49 तक चलेगा।

सोने की खरीदारी का अधिक महत्व है

पुष्य नक्षत्र में सोने की खरीदारी का अधिक महत्व है। लोग इस दिन सोने इसलिए खरीदते हैं, क्योंकि इसे शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु के रूप में माना जाता है। यह नक्षत्र स्वास्थ्य के लिए भी विशेष महत्व रखता है। पुष्य नक्षत्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर यह सेहत संबंधी कई समस्याओं को समाप्त करने में सक्षम होता है।

वृष व तुला : चांदी या सफेद वस्तु या अल्मुनियम का सामान लें।

मिथुन व कन्या : सोना या किसी प्रकार का भोज्य पदार्थ बनाने वाली सामग्री लें। फ्रीज़ या बर्तन लें।

कर्क : चांदी का बना सामग्री लें। गणेश मूर्ति भी लें।

सिंह : तांबे की सामग्री। सोना या बेड ले सकते हैं।

धनु व मीन : आप सोना या कोई इलेक्ट्रिक सामग्री ले सकते हैं।

मकर व कुम्भ : लोहा या वाहन ले सकते हैं।

इसलिए है पुष्य नक्षत्र महान होता है

(पं.) डॉ. विश्वरँजन मिश्र ने बताया कि पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति देव माने गए हैं और शनि को इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि‍ माना जाता है चूंकि बृहस्पति शुभता, बुद्धि‍मत्ता और ज्ञान के प्रतीक हैं और स्थायि‍त्व का, इसलिए इन दोनों का योग मिलकर पुष्य नक्षत्र को शुभ बना देता है।
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(पं) डॉ. विश्वरँजन मिश्र
एम.ए.(ज्योतिष), बी.एड., पी.एच.डी., रमलाचार्य
9806143000,
8103533330

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