November 22, 2024

तभी तो कहता हूं न करो तुम बवाल। क्योंकि गिनती के जीवन के बचे है कुछ साल

0

जोगी एक्सप्रेस 

कवि दीपक ताम्रकार 

गिनती के जीवन के 70 साल।
मेने पूछा सज्जन से एक सवाल।
न हाथी है न घोडा है वहाँ पैदल ही जाना है?
जवाब में सज्जन ने कहा रोज रोज नहीं जीवन में एक बार ही जाना है।
तो काहे की मच मच करते है भाई ।
सामने भाई तो पीठ पीछे दिखते हो कसाई ।
आम जन को फुर्सत नहीं ज़माने की ।
उसे लगी है पापी पेट के लिए दिनभर कमाने की।
लोग कितना एक दूसरे से जलने लगे।
काम कुछ नहीं तो बढ़ने वालो की टांग खींचने लगे।
ये सब कब तक चलेगा भाई।
कभी न कभी कोई तुम्हारी भी उतारेगा भुताई ।
जब पड़ेगा किसी अड़ियल से पाला ।
तो हिल जायेगा तुम्हारे मन का ज्वाला ।
अपनी नहीं तो परिवार की सोचो।
छोड़ दो लोगो की पर अपनी तो सोचो। ।
जिस दिन कुएं से बाहर निकलोगे।
जमाना पता चलेगा और तुम खूब पिघलोगे।।

तभी कहता हूं न करो तुम बवाल।
क्योंकि गिनती के जीवन के 70 साल। ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *