रमन और भूपेश की यारी में अवैध भी वैध :सुब्रत डे
• आदिवासियों और दलितों के हिस्से के 12 प्लाट पर भूपेश का आलीशान बंगला , 2 साल से दबी है जांच रिपोर्ट
• प्लाट आबंटन के वक्त साडा के मानद सदस्य थे भूपेश बघेल
• आयोग, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और पर्यावरण विभाग में लंबित है मामला
• तत्कालिन कलेक्टर 9 अप्रैल 2015 को जांच रिपोर्ट शासन को सौपी उसके बावजूद आज तक कार्यवाही न होना डाॅ रमन सिंह व भूपेश बघेल के बीच का यह रिश्ता क्या कहलाता है : सुब्रत डे
जोगी एक्सप्रेस
रायपुर अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के हिस्से के 12 प्लाट को हथियाकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने भिलाई चरौदा में आलीशान बंगला बनवाया है. राज्य शासन ने इस मामले की जांच रिपोर्ट 2 साल से दबा रखी है। जांच रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि अवैध तरीके से प्लाट आबंटन के वक्त भूपेश बघेल खुद साडा के पदेन सदस्य थे।
पूर्व मंत्री विधान मिश्रा और विधायक आर.के.राय, प्रदेश प्रवक्ता सुब्रत डे ने आज इस मामले की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की, श्री मिश्रा ने बताया कि मामला मानसरोवर आवासीय योजना का है. भिलाई साडा में आदिवासियों और दलितो के हिस्से की एक दर्जन जमीन पर आलीशान बंगला बनवाए जाने के मामले में 30 जनवरी 2017 को विधान मिश्रा व आर के राय के नेतृत्व में मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह से दस्तावेजों सहित शिकायत की गई थी। जिस संदर्भ में 7 मार्च 2017 को कलेक्टर दुर्ग ने जवाबी पत्र में लिखा था कि इस मामले की विभागीय जांच हो चुकी है। जांच रिपोर्ट आवास एवं पर्यावरण विभाग को भेजी जा चुकी है, इसलिए जिला स्तर पर कोई कार्यवाही अपेक्षित नहीं है। 8 सितंबर 2014 को राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष व विरेन्द्र पांडे ने इस मामले की शिकायत सरकार से की थी। सरकार ने दुर्ग के तत्कालीन कलेक्टर से शिकायतों की जांच करवाने कहा। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी सुनील जैन की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी में राजस्व अधिकारी नगर निगम भिलाई एच के चंन्द्राकर व प्रभारी संयुक्त संचालक नगर एवं ग्राम निवेश विनित नायर शामिल थे। तत्कालीन कलेक्टर ने 9 अप्रैल 2015 को जांच रिपोर्ट शासन की सौप दी थी। श्री मिश्रा ने कहा कि भूपेश बघेल की सरकार से मिलीभगत के कारण 2 साल तक रिपोर्ट दबाए रखी गई थी। विधान मिश्रा ने कहा कि उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत संयुक्त संचालक नगर एवं ग्राम निवेश दुर्ग से उक्त जांच रिपोर्ट प्राप्त की है।
मकान हेतु आवेदन, स्वीकृति एवं भूखंड हेतु राशि एक ही दिन में जमा-
विधान मिश्रा ने कहा कि जांच रिपोर्ट में कई खुलासे हुए है भूपेश बघेल ने नियम विरूध्द अपनी धर्मपत्नी मुक्तेश्वरी बघेल के नाम पर 6 और मां बिंदेश्वरी बघेल के नाम 6 प्लाट आबंटित करवाए. मुक्तेश्वरी बघेल को 4068 वर्गफीट और बिंदेश्वरी बघेल को 4068 वर्गफीट जमीन दी गई. इस तरह बघेल की पत्नी व मां को कुल 8 हजार 137 वर्गफीट जमीन आबंटित हुई. नियमानुसार किसी भी एक व्यक्ति के नाम पर 3 हजार वर्गफीट से अधिक जमीन आबंटित नहीं की जा सकती। भिलाई विशेष विकास प्राधिकरण साडा से भूपेश बघेल ने आदिवासियों और दलितों के हिस्से के एक दर्जन प्लाट आबंटित करवाए, उस वक्त पाटन के विधायक होने के नाते भूपेश बघेल खुद साडा के पदेन सदस्य थे. जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि उक्त एक दर्जन प्लाट को आबंटित करने से संबंधित प्रस्ताव साडा के बोर्ड के समक्ष ही नहीं गया । सवाल ये उठता है कि जब साडा के बोर्ड की इजाजत के बगैर एक दर्जन प्लाट भूपेश बघेल के परिवार जनों के नाम कैसे आबंटित कर दिए गए ? जांच रिपोर्ट में आगे उल्लेख हैं भूपेश बघेल की पत्नी व मां के नाम पर 28 मार्च1995 को साडा में आवेदन पेश किया गया , उसी दिन प्लाट के लिए मुक्तेश्वरी बघेल के नाम से 31 हजार रूपए और बिंदेश्वरी बघेल के नाम से 44 हजार रूपए जमा भी कर दिए गए. एक दर्जन प्लाट का आबंटन 11वें दिन कर दिया गया . ये सबकुछ भूपेश बघेल के राजनीतिक दबाव के चलते संभव हो पाया. जांच रिपोर्ट के अनुसर निम्न आय वर्ग (अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति ) के लिए आरक्षित प्लाट का अभिन्यास परिवर्तित करने का अधिकार केवल राज्य शासन को है लेकिन साडा ने अभिन्यास परिवर्तन भी कर दिखाया।
झूठा शपथ पत्र – विधान मिश्रा ने कहा कि आवेदिका मुक्तेश्वरी बघेल ने खुद की आय 25 -25 हजार रूपए दर्शाई थी. जबकि मालगुजार होने के नाते कृषि से उनकी आय अधिक थी.
विधानसभा में स्वीकार कर चुकी है सरकार – विधान मिश्रा ने कहा कि भूपेश बघेल के परिवार द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग का हक मारने के मामले में सरकार विधानसभा में भी स्वीकार कर चुकी है । 5 अगस्त 2014 को विधानसभा में भाजपा के वरिष्ठ विधायक शिवरतन शर्मा ने ये मामला उठाया था. जवाब में सरकार ने स्वीकार किया था कि साडा द्वारा भूपेश बघेल के परिवार को किया गया प्लाट का आबंटन नियम विपरित है. एक व्यक्ति को एक से अधिक प्लाट आबंटित नहीं किया जा सकता उच्च दबाव के कारण नियम विरूध्द आबंटन हुआ है. श्री मिश्रा ने कहा कि भूपेश बघेल चूंकि उस वक्त विधायक एवं लोक सेवक के पद पर थे. इस लिए लोक सेवक द्वारा किए गए कदाचरण की श्रेणी में आता है उनके खिलाफ सरकार दांडिक कार्यवाही भी करें।
आदिवासियों का हक मारा गया – विधायक आर के राय ने कहा कि भूपेश बघेल ने आदिवासियों और दलितों का हक मारा है . बघेल की हमेशा से ही गरीबों के शोषण की नीति रही है । नेतागणों ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो की छत्तीसगढ़ में कानून का राज स्थापित है. किसी व्यक्ति के साथ उसके पद और पहुंच को दृष्टिगत रखते हुए भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए भूपेश बघेल के विरूध्द आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए।