November 23, 2024

भाजपा अध्यक्ष दूसरी पारी में भी नाकाम सड़क पर बिखरा पार्टी का अनुशासन

0

एस. तिवारी

शहडोल। भारतीय जनता पार्टी नगर बकहों से अध्यक्ष हंसराज द्विवेदी ने मंडल अध्यक्ष एवं भाजपा के जिला अध्यक्ष को सामूहिक रूप से इस्तीफा सौंपते हुए अपनी नाराजगी दर्ज करा दी है। वर्ष 2018-19 में भारतीय जनता पार्टी के लिए एक-एक मत कितना महत्वपूर्ण है इस बात की चिंता पार्टी के आला कमान कर रहे है, लेकिन जिस तरह से भाजपा के अंदर बगावत की बिगुल बज गई है उससे अनुशासन और संगठनात्मक एकता का विषय दूर-दूर तक एक दूसरे के करीब नजर नही आ रहा है।
क्यू जिम्मेदारियों से भाग रहे अध्यक्ष
भाजपा जिला अध्यक्ष इंद्रजीत छावड़ा अपनी जिम्मेदारियों से क्यों दूर भाग रहे है और क्यों इनके द्वारा कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय स्थाापित नही किया जा रहा है, यह भाजपा के लिए चिंता का विषय है। यूं तो एक नगर अध्यक्ष का सामूहिक इस्तीफा भले ही भाजपा के नेताओं के लिए महत्व न रखता हो, लेकिन अगर यही सिलसिला रहा तो चुनाव में दांतो चना चबाना भी मुश्किल हो जाएगा।
पेश किया इस्तीफा


09 अगस्त को भाजपा नगर बकहो के अध्यक्ष हंसराज द्विवेदी के लेटर पैड पर जिन लोगो ने अपने इस्तीफे का उल्लेख किया है। नगर अध्यक्ष हंसराज द्विवेदी, सुनील गुप्ता, कुलभूषण शुक्ला, लल्ला केवट, सतीश तिवारी, गजेन्द्र नारायण द्विवेदी, काशी प्रसाद शर्मा, लक्ष्मी केवट, रेणू पाण्डेय, दुर्गा प्रसाद नापित, सुखलाल बैगा, किशोरी मंडल, धर्मेन्द्र दुबे, सुजीत केवट, शिवशंकर गुप्ता, श्रीमती शीला सिंह, मनोज केवट के नाम शामिल है।


नहीं कर पा रही उजागर
सोशल मीडिया में वायरल पत्र चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां एक ओर भाजपा पदाधिकारी इस पत्र की सच्चाई उजागर नही कर पा रहे है, वहीं इस पत्र को लेकर रहस्य बरकरार है। इस पत्र की सच्चाई चाहे जो कुछ भी हो लेकिन भाजपा को इस पर मंथन की आवश्यकता है।
शून्य प्रबंधन का तमगा
यूं तो इंद्रजीत छावड़ा का कार्यकाल जानने वाले भाजपा नेताओं की माने तो चुनाव प्रबंधन के मामले में इंद्रजीत छावड़ा को शून्य प्रबंधन का तमगा दिया जाता है। विश्वस्त सूत्रों की माने तो वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान मीडिया मैनेजमेंट एंव अन्य प्रबंधन का कार्य इंद्रजीत छावड़ा को सौंपा गया था, जिसके बाद उनकी कमियां पार्टी में चर्चा का विषय बनी और आखिरकार उन्हे हटाकर अनुपम अनुराग अवस्थी को प्रभार सौंप दिया गया था। यह अवसर था जब लालकृष्ण आडवानी शहडोल पहुंचे थे और उन्हे कार्यक्रम स्थल में ही भाजपा के जीत और हार का वह दृश्य नजर आ गया था, जिसका परिणाम भाजपा ने शहडोल संसदीय क्षेत्र की सीट गवाकर खामियाजा चुकाया था। इस बार पुन: इंद्रजीत छावड़ा के ऊपर भाजपा दांव लगा रही है,लेकिन उनका यह प्रबंधन उनके लिए हार का सबब न बन जाए। जो व्यक्ति सत्ता और संगठन के बीच में समन्वय स्थापित न कर पाए वह आखिर कैसे चुनाव प्रबंधन में भाजपा को विजय दिला पाएगा इस बात पर मंथन की आवश्यकता है।


नुक्कड़ों में जनचर्चा
जानकार सूत्रों की माने तो जिला अध्यक्ष इंद्रजीत छावड़ा के दूसरे कार्यकाल में उनकी कमियां प्रत्येक कार्यकर्ता के बीच में चर्चा का विषय बन चुकी है। जिस तरह वह कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर अपनी खुद की दुकान संचालित कर रहे है, उससे कार्यकर्ता आक्रोषित है। जिस अध्यक्ष को सत्ता और संगठन के बीच में समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी गई है वह स्वयं ही अपने उन कार्यो को छिपाने मे जुटा रहता है। जिसकी कहानी जन-जन की जुबानी गूंज रही है। यह अगल बात है कि भाजपा के शीर्ष नेता किन कारणो से जिला अध्यक्ष के ऊपर मेहरबान है यह बात अब लोगो की जुबानी नुक्कड़ो में सुनी जा सकती है।
इनका कहना है…
आपके द्वारा जानकारी मिल रही है, यह पत्र फर्जी भी हो सकता है. तथा 09 अगस्त का पत्र मुझे अभी तक प्राप्त नही हुआ है, जब तक मेरे पास यह पत्र नही पहुंचता है, तब तक इस संबंध में कुछ कह नही सकता कि सही क्या है।
इंद्रजीत सिंह छावड़ा
भाजपा जिला अध्यक्ष
शहडोल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *