मोदी और निर्मला ने देश को किया गुमराह : कांग्रेस
रायपुर/ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण असत्य कथन करके संसद की मर्यादा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि फ्रांस की सरकार के साथ किया गया कोई भी अनुबंध राफेल विमानों की वास्तविक कीमत बताने से नहीं टूटता है। राफेल विमान की कीमतें किसी भी प्रकार का क्लासीफाइड या गोपनीय जानकारी नहीं है। 20 जुलाई को मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आप को छद्म राष्ट्रवाद के नाम पर राफेल डील के भ्रष्टाचार के मामले में बचाने की कोशिश की। सच्चाई तो यह है कि मोदी सरकार राष्ट्रहित और देश की रक्षा के मामले में राफेल डील में गंभीर रुप से दोषी है। जिस तरीके से भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए लगातार विरोधाभाषी कथन और असत्य कथन किए जा रहे हैं। उससे स्पष्ट है कि मोदी सरकार ने जनता के खजाने का दुरुपयोग राफेल डील मामले में किया है। भारत फ्रांस गोपनीय समझौता 2008 के मुताबिक राफेल विमानों की कीमत बताने में किसी तरीके का कोई भी रोग या प्रतिबंध नहीं है। इस अनुबंध में केवल विमान में लगाए गए शस्त्रों की तकनीकी विवरण बताने पर रोक लगाई गई है और इस रोक का विमान की कीमत से कोई लेना देना नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण के बाद और भाषण के दौरान रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने और बाद में अपने जवाब में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गलत जानकारी दी। स्वयं डसाल्ट एविएशन में राफेल विमानों की कीमत स्पष्ट रूप से उजागर की है। यूपीए कांग्रेस सरकार ने 36 राफेल विमान प्रतिमान 526.10 करोड़ की लागत पर लिए थे। मोदी सरकार ने 36 विमान प्रति विमान 1677.70 करोड़ रुपए में खरीदी यह बात डसाल्ट एविएशन की 2016 की वार्षिक रिपोर्ट से स्पष्ट है। भारतीय जनता पार्टी बताएं 40205 करोड रुपए अतिरिक्त विमान खरीदी में क्यों खर्च किए गए? इसी दशा स्टेशन 48 रफेल विमान और 2015 में 1319.80 करोड़ प्रति विमान की कीमत पर बेचे तो फिर मोदी सरकार बताएं कि भारत को प्रति राफेल विमान 1677.70 करोड़ की राशि क्यों चुकानी पड़ी? स्पष्ट है कि ओमान और कतार के मुताबिक मुकाबले भारत को प्रति विमान 350.90 करोड़ की राशि ज्यादा देनी पड़ रही है। सरकार सीएजी और अन्य संसदीय स्थाई समितियों को राफेल विमानों का दाम बताने के लिए बंधनकारी है। इसके बावजूद मोदी सरकार राफेल डील में हुए भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए राफेल विमानों की कीमत नहीं बता रही है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने 17 नवंबर 2017 को रक्षा भवन में ली गई पत्रकारवार्ता में रक्षा सचिव को 36 राफेल विमानों की खरीदी की कीमत बताने के लिए कहा था। वहीं निर्मला सीतारमण अब राफेल विमानों की कीमत बताने से क्यों परहेज कर रही है? रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने लोकसभा में 18 नवंबर 2016 को राफेल विमानों की कीमत 670 करोड़ बताई थी। रक्षा मंत्रालय ने प्रश्न क्रमांक 2574, 19 मार्च 2018 राज्यसभा में भी राफेल विमानों की कीमत 670 करोड़ बताई थी, तो राहुल गांधी जी के भाषण के बाद रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री ने झूठ का सहारा क्यों लिया? मार्च 2018 को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने कहा है कि यदि मोदी सरकार कुछ विवरण बताना चाहती है तो वह ऐसा कर सकती है। प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में अपने भाषण में फ्रांस सरकार के इस बयान का सहारा लेकर अपने आप को बचाने की कोशिश की, वह सही नहीं है। राफेल की कीमत कोई रहस्य नहीं है यह गोपनीय नहीं है। राफेल विमान में जो तकनीकी जानकारी है और जो शस्त्र लगाए गए हैं उसकी जानकारी गोपनीय है लेकिन मोदी सरकार रक्षा विवरणों का सहारा लेकर कीमत का विवरण देश को बताने से क्यों परहेज कर रही है? कांग्रेस ने मोदी सरकार से पूछा है कि वह बताएं कि फ्रांस सरकार ने कब कहा है कि राफेल जेट की कीमत नहीं बताई जा सकती? इसके पहले कांग्रेस की सरकारों ने सुखोई विमान आई एन एस विक्रमादित्य और मिराज विमानों की खरीदी की जानकारी संसद को दी है, लेकिन मोदी सरकार गोपनीयता का सहारा लेकर अपने भ्रष्टाचार को उजागर होने से छिपाने में संलिप्त है।