रायपुर।जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के सुप्रीमो अजीत जोगी ने आज प्रेस विग्प्ती जारी करते हुए बताया की वर्तमान छत्तिसगढ़ सरकार ने पुनः एक बार गरीब व आदिवासीयों के प्रति अपनी तिरस्कार की भावना को प्रदर्शित करते हुए छत्तीसगढ़ महुवा नियम 2017 अधिसूचित किया है। यकायक आये इस अधिसूचना से पहले किसी प्रकार की आम सूचना, बहस, या भागीदारो से चर्चा तक नही की गई। महुवा सीजन के बीच में लाये गये इस अधिसूचना, जिस समय महुवा बीनने /सुखाने का अधिकतर काम पूरा हो चुका है, ने सभी जुडे हुए लोगों को अपराधी बना दिया है ऐसे समय में आम आदिवासी परिवारों के पास लगभग 20 से 30 क्विंटल महुवा भंडारित है, जसकी कीमत लगभग 50000/- है अब घोर विपन्नता की ओर ताक रहें है। 1996 से पहले के कडे नियमों के अंर्तगत भी लोगों को (15 फरवरी से 15 जून ) महुवा सिजन के दौरान बगैर लायसेंस के मुक्त व्यापार करने की इजाजत थी किन्तु आज प्राचीन व्यापार से जुडा एक साधारण व्यापारी अपने आप को असहाय पाता है और इन गरीब आदिवासीयों से महुवा खरीदने में भयभीत है। वर्तमान में लगभग 75% स्टाक आदिवासीयों के पास है क्यों कि वे अभी तक केवल 25% ही बेंच पाये थे इसलिए हम देखते है कि लोग अपना महुवा रास्तो पर फेंक रहे है। असिंचित क्षेत्र जहा रवि फसल नही होता वहा महुवा ही मानसून पुर्व अर्थव्यवस्था को संचालित करता है। इस समय विशेषकर शादीयों के मौसम में हमने उन्हे नरभक्क्षी,अवैध व्यापार और अफसर शाही के दया पर छोंड दिया है। 5 किलो प्रति परिवार का धारण सीमा,इस सरकार के आदिवासी तौरतरीके और जिविका के प्रति एक आपराधिक उदासीनता दर्शाता है। लगभग पांच हजार करोड सालाना के महुवा व्यापार, जो गरीब और दूरस्थ आदिवासीयों से जुडा है, इन क्षेत्रों की जीवन रेखा है। यह अधिसूचना इन लोगों के अधिकार का खुला उल्लंघन है।
मंडी अधिनियम के तहत संचालित होने वाले एक आम फसल को एक्साईज के अंर्तगत लाकर जनता पर अफसरशाही का खुला तानाशाही थोपा गया है। यह सरकार शायद अपने शोषण कारक राज से क्रोधित जनता को आतंकित करने और लालची शराब माफिया का मार्ग आसान करने के लिये एैसे तुगलकी कदम उठा रही है।
हम ये मांग करते है कि सरकार तुरंत एक सर्मथन मूल्य की घोषणा करे और लोगो को राहत देने के लिये अभी तक के स्टाक को लोगों से खरीद लें और उसके बाद इस विषय पर आम चर्चा शुरु करे।