स्कूलों को आग लगाने वाले देश के सबसे बड़े दुश्मन: प्रकाश जावड़ेकर
आदिवासी क्षेत्रों के लिये एजुकेशन हब के रूप में छत्तीसगढ़ ने देश को दिया नया मॉडल: डॉ. रमन सिंह
शिक्षा के मंदिर के दर्शन के लिये दंतेवाड़ा के एजुकेशन सिटी आएं मुख्यमंत्री ने मानव संसाधन मंत्री को दिया आमंत्रण
जोगी एक्स्प्रेस
रायपुर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज दोपहर राजधानी रायपुर में ‘स्कूल शिक्षा में नवाचार एवं श्रेष्ठ अभ्यास’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय पूर्वी क्षेत्रीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। जावड़ेकर ने इस अवसर पर कहा कि बच्चों के स्कूलों को आग लगाने वाले लोग देश के सबसे बड़े दुश्मन है। छत्तीसगढ़ में बस्तर क्षेत्र में शिक्षा की बुनियादी सुविधा बहाल करने के लिये इसका जवाब पोटा केबिन के जरिये शिक्षा से दिया है। उन्होने कहा कि राज्य सरकार की मांग पर अब इन पोटा केबिनों का उन्नयन किया जाएगा। बस्तर संभाग में संचालित 24 पोटा केबिन के उन्नयन और वहां छात्रावास निर्माण के लिये 100 करोड़ रूपये की मंजूरी दी। पोटा केबिन में अब आठवी कक्षा से बढ़ाकर कक्षा नवमी और दसवीं की शिक्षा भी दी जाएगी। उन्होने प्रदेश के स्कूलों के ऑनलाईन मॉनिटरिंग के लिये सभी स्कूलों को टेबलेट देने 100 करोड़ रूपये की परियोजना को मंजूरी दी। दोनो परियोजनाओं में केंद्र शासन द्वारा 60 प्रतिशत और राज्य द्वारा 40 प्रतिशत राशि दी जाएगी।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस अवसर पर कहा कि केन्द्र सरकार ‘सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा’ का संकल्प लेकर आगे बढ़ रही है। देश की शिक्षा व्यवस्था पर हर साल 70 हजार करोड़ रूपये केंद्र सरकार द्वारा खर्च किया जाता है। राज्यों द्वारा भी हजारो करोड़ रूपये खर्च किया जाता है। देश की जीडीपी का 4.5 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया जा रहा है जो कम नहीं है। आवश्यकता शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने की है। श्री जावड़ेकर ने कहा-सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए समाज को स्कूलों से जोड़ना होगा। शिक्षकों, बच्चों के पालकों और समाज को बच्चों की शिक्षा के प्रति जिम्मेदारी का अहसास करना होगा। अंग्रेजी माध्यम में ही अच्छी शिक्षा मिलती है इस धारणा को समाप्त करने के लिये पालकों को मार्गदर्शन देना चाहिये। कक्षा पहली से आठवीं में हर क्लॉस में बच्चों को क्या-क्या आना चाहिये इसका पोस्टर स्कूलों में लगना चाहिये और पम्पलेट पालकों को बांटना चाहिये। उन्होने कहा कि कक्षा पांचवी और आठवीं में कमजोर छात्रों को रोकने का अधिकार राज्यों को दिया जाएगा। इसमें केंद्र सरकार द्वारा यह शर्त रखी गई है कि जो छात्र मार्च में परीक्षा में असफल हो गए हैं उन्हे जून में परीक्षा देने का दोबारा मौका देना चाहिये। दूसरी बार भी छात्र परीक्षा में असफल हो जाए तो उसे रोका जा सकता है।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता लाने में शिक्षक ही महत्वपूर्ण घटक है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिये कुछ शिक्षक अच्छा प्रयास कर रहे हैं परंतु सभी शिक्षक ऐसा नहीं कर रहे हैं। शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिये शिक्षकों का सेवा में आने से पूर्व और सेवाकाल के दौरान प्रशिक्षण जरूरी है। उन्होने कहा कि बीएड की डिग्री देने वाले निजी महाविद्यालय जो मानकों के अनुरूप नहीं चलाए जा रहे हैं उन्हे बंद क्यों न किया जाए, इसके संबंध में संबंधित 6000 महाविद्यालयों को नोटिस भी दिया गया है। निजी कॉलेजों में बीएड करने वाले युवाओं को शासकीय स्कूलों में शिक्षण का अनुभव लेना अनिवार्य किया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों की विशिष्ट परिस्थितियों के अनुसार वहां गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिये छत्तीसगढ़ ने एजुकेशन हब के रूप में देश को नया मॉडल दिया है। उन्होने कहा कि सड़क पुल-पुलियों के निर्माण से ज्यादा जरूरी पीढ़ियों का निर्माण है। यदि इसमें गफलत हुई तो फिर सुधार नही होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि दंतेवाड़ा और सुकमा के बाद बीजापुर, नारायणपुर और कोरबा में एजुकेशन हब का निर्माण किया जा रहा है। दंतेवाड़ा के एजुकेशन हब में 7500 बच्चे आवासीय सुविधा के साथ स्कूल, आईटीआई, पॉलीटेक्निक सहित कौशल विकास का प्रशिक्षण एक ही स्थान पर ले रहे हैं। उन्होने कंेद्रीय मानव संसाधन मंत्री को शिक्षा के मंदिर के दर्शन के लिये दंतेवाड़ा के एजुकेशन सिटी आने का आमंत्रण दिया। उन्होने प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिये संचालित एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान की जानकारी देते हुए कहा कि मंत्रीगण, मुख्य सचिव सहित सभी जनप्रतिनिधि और अधिकारी साल में दो बार गोद लिये स्कूलों का निरीक्षण करते हैं। बच्चों, शिक्षकों और पालकों से संपर्क कर शिक्षा में सुधार और स्कूल की दिक्कतों का निराकरण करने का प्रयास करते हैं। उन्होने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता की शुरूआत प्राथमिक शाला से शुरू होती है। उन्होने कहा कि प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्र के लोग इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षााओं में सफल होने की कभी कल्पना भी नही कर सकते थे। प्रदेश में प्रयास आवासीय विद्यालय की स्थापना से यहां के छात्र आईआईटी, एनआईटी और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाओं में सफलता का कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।
कार्यशाला में छत्तीसगढ़ सहित पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड और अण्डमान निकोबार द्वीप समूह के स्कूलों से जुड़े स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी, शिक्षक, शिक्षाविद और समाज सेवी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने छत्तीसगढ़ के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार के लिए संचालित डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान के प्रतिवेदन का विमोचन भी किया। इस मौके पर छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री श्री केदार कश्यप, केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार के सचिव श्री अनिल स्वरूप, अतिरिक्त सचिव श्रीमती रीना रे और छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव श्री विकासशील भी उपस्थित थे।