सौंदर्यता एवं सुविधा के नाम पर स्काई वॉक और नया रायपुर में फौव्वारा की स्थापना महज फिजूलखर्ची: असलम
सरकार कर रही मांगों को नजरअंदाज और जनता की गाढ़ी कमाई की राशि का अपव्यय: कांग्रेस
रायपुर/प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मो. असलम ने कहा है कि नया रायपुर स्थित राजधानी सरोवर में लगभग 12 करोड़ की लागत से संगीतमय फौव्वारे और मल्टीमीडिया लेजर एवं वीडियो शो को स्थापित किया जाना विकास और सौंदर्यता के नाम पर फिजूलखर्ची है। जितनी भी चीजे लगाई गई हैं, उसकी खूबसूरती केवल रात में ही अच्छी लगती है। वर्तमान में लोग संध्या एवं रात्रि के समय नया रायपुर में रहना ही नहीं चाहते और रायपुर शहर वापस लौटते हैं। ऐसे वक्त में फौव्वारा एवं लेजर शो के स्थापना का कोई औचित्य नहीं है। नया रायपुर में कोई पर्याप्त बसाहट भी नहीं है। आम लोगों के पास इतनी दूरी में जाकर आनंद लेने का साधन और सुविधा मौजूद नहीं है। तब क्यों इतनी बड़ी राशि का दुरुपयोग किया गया है। पूरी बसाहट, क्वाटर्स, बंगले आदि बनने के बाद धैर्य से फौव्वारों आदि इलेक्ट्रानिक्स सामग्रियों का प्रयोग सरोवर में किया जाना था। किन्तु जल्दबाजी में सौंदर्यता के नाम पर इस तरह की वाहवाही लूटने का प्रयास निरर्थक है। इसी तरह 65 करोड़ की लागत से रायपुर के शास्त्री चैक में निर्माणधीन स्काई वॉक भी फिजूलखर्ची साबित हो रही है। जिसकी वर्तमान में निर्माण कराए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। स्थानीय लोगों एवं जनप्रतिनिधियों के विरोध के बावजूद यह कार्य चल रहा है। जनहित के कार्यों में नागरिकों की मांग के आधार पर एवं जरुरत की दृष्टि से कार्य कराया जाना चाहिए ना की बड़ी रकम का बिना जनमत लिए व्यय किया जाना चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मो. असलम ने कहा है कि भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी में लिप्त भाजपा सरकार बजट राशि को अपरिपक्वता से खर्च कर रही है। सरकार की अदूरदर्शिता से जिस शहर में पीने के पानी की पाइप लाईन गंदियों नालियों के भीतर से जाती हो, सरकार की लापरवाही से पीलिया एवं डेंगू से मौते हो रही हो और गंदगी से महामारी फैल रही हो, देश में स्वच्छता को लेकर नीचे के पायदान में शहर का स्थान हो, वहां 65 करोड़ के स्काई वॉक और नया रायपुर में 12 करोड़ की लागत से बने फौव्वारे की कोई आवश्यकता नहीं है। यह विकास कार्य नहीं अपितु विकास के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई की राशि का अपव्यय है। विकास कार्य जनहित में प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए। सरकार द्वारा बजट का दुरुपयोग कर मांगों को नजरअंदाज करते हुए कहीं भी राशि का बंटरबांट किया जा रहा है, जो अनुचित है।