मुख्यमंत्री प्रभावित हुए महिला समूहों के कार्यों से
दो हजार से ज्यादा महिलाएं एक हजार एकड़ से ज्यादा रकबे में कर रही सामूहिक खेती काजू, तिखुर और साग-सब्जियों की खेती से महिलाओं ने पेश की आत्मनिर्भरता की मिसाल
काजू बेचने के लिए महिला समूहों ने बनाया स्वयं का फेडरेशन महिला सामुदायिक भवन के लिए दस लाख रूपए तत्काल मंजूर
रायपुर-मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य के नक्सल हिंसा पीडि़त बस्तर (जगदलपुर) जिले के बकावण्ड क्षेत्र के महिला स्व-सहायता समूहों के कार्यों से प्रभावित होकर ग्राम जैबेल में महिला सामुदायिक भवन निर्माण के लिए दस लाख रूपए तत्काल मंजूर कर दिए हैं। इतना ही नहीं, बल्कि उन्होंने इनमें से ग्राम तारापुर के मां लक्ष्मी महिला स्व-सहायता समूह द्वारा की जा रही साग-सब्जियों की सामूहिक खेती को देखते हुए उन्हें एक सोलर कोल्ड स्टोरेज की भी सौगात दी है, ताकि वे साग-सब्जियों को तरोताजा रख सकें और बाजार में उन्हें उसका अच्छा मूल्य भी मिल सके। इस क्षेत्र के चार गांवों की 2200 महिलाएं समूह बनाकर 1200 एकड़ के रकबे में साग-सब्जियों की खेती कर रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर संभव मदद कर रही है।
प्रदेश व्यापी विकास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री हाल ही में जब ग्राम जैबेल पहुंचे तो उन्होंने आमसभा में इस बात पर खुशी जताई कि बकावण्ड विकासखण्ड में महिला सशक्तिकरण आंदोलन लगातार बढ़ता जा रहा है और इस क्षेत्र की महिलाएं स्व-सहायता समूह बनाकर न सिर्फ काजू प्लांटेशन और साग-सब्जी उत्पादन बल्कि तिखुर की पैदावार और उसके प्रसंस्करण का भी काम कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि विकासखण्ड बकावण्ड के ग्राम जैबेल सहित आसपास के कई गांवों में महिला समूहों द्वारा काजू और साग-सब्जियों की खेती की जा रही है। विकासखण्ड में उद्यानिकी विभाग के काजू प्लांटेशन की देख-रेख का जिम्मा महिला स्व-सहायता समूह को सौंपा गया है। इस समूह की महिलाओं द्वारा सालाना दो हजार मीटरिक टन काजू गुठली का उत्पादन करते हुए अच्छी मार्केंटिंग भी की जा रही है। महिला स्व-सहायता समूहों ने स्वयं का फेडरेशन बनाया है और उसके माध्यम से निविदा बुलाकर अधिकतम दर पर काजू की बिक्री की जा रही है। उनके द्वारा ए-ग्रेड काजू की दर 140 रूपए प्रति किलो और बी-ग्रेड काजू की दर 125 रूपए प्रति किलो निर्धारित की गई है, जबकि पूर्व के वर्षों में उन्हें 90 रूपए प्रति किलो का रेट मिलता था। महिला समूहों के फेडरेशन बनाकर और निविदा प्रक्रिया के जरिए काजू बेचने की शुरूआत करने पर उन्हें इसकी अच्छी कीमत मिलने लगी है।
अधिकारियों ने बताया कि बकावण्ड विकासखण्ड के चार गांवों-तारापुर, उलनार, टलनार और बनियागांव की दो हजार 200 महिलाओं द्वारा जिले में महिला सशक्तिकरण की शानदार मिसाल पेश की गई है। इन महिलाओं ने संगठित होकर ’नई दिशा साग-सब्जी सहकारी समिति’ और ’महिला विकास साग-सब्जी सहकारी समिति’ का गठन किया है। दोनों समितियों के माध्यम से महिलाएं इन गांवों में एक हजार एकड़ से ज्यादा रकबे में सामूहिक रूप से साग-सब्जियों की खेती कर रही हैं और पिछले दो साल में उन्होंने 51 लाख रूपए का कारोबार किया है। राज्य सरकार के निर्देश पर बस्तर जिला प्रशासन ने उन्हें जिला खनिज न्यास संस्थान (डीएमएफ) की राशि से जिला मुख्यालय जगदलपुर में सर्वसुविधायुक्त हरीहर बाजार भी उपलब्ध कराया है, जहां उनके द्वारा ताजी साग-सब्जियों की बिक्री की जाती है। इन महिला समूहों को डीप-फ्रिजर भी दिया गया है, ताकि वे सब्जियों को तरोताजा रख सकें। इतना ही नहीं, बल्कि उन्हें खेतों से साग-सब्जियों के परिवहन के लिए डीएमएफ की राशि से एक बड़ा वाहन टाटा 407 भी उपलब्ध कराया गया है। इस विकासखण्ड के संतोषा क्षेत्र में महिलाएं तिखुर उत्पादन और प्रसंस्करण का भी काम कर रही हैं।