November 22, 2024

कोरिया को अपना परिवार मानती है राजकुमारी अम्बिका देवी सिंह देव

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बैकुण्ठपुर। छत्तीसगढ़ राज्‍य के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित कोरिया5978 वर्ग कि॰मी॰ क्षेत्र में फैला है। यहां के झरने और प्राकृतिक सुन्‍दरता पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आर्कषित कर लेती है। पूर्व में यह जिला सरगुजा जिले का एक भाग था। जिसे कोरिया स्‍टेट के नाम से जाना जाता था। 1 नवम्‍बर 2000 को छत्‍तीसगढ़ राज्‍य की स्‍थापना के दौरान यह जिला छत्तीसगढ़ राज्‍य में शामिल किया गया। प्राकृतिक सुन्दरता के साथ-साथ यह जिला प्राकृतिक संसाधनों से भी भरा पड़ा है। कोरिया में उच्च गुणवत्ता वाले कोयला, चूनापत्थर और रेड ऑक्साइड़ जैसे खनिज की अनेक खदानें हैं जोकि इस राज्‍य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं।

कोरिया जिला एक नजर में

कोरिया को आदिवासी बहुल इलाका माना जाता है। यहां आदिवासियों की अनेक प्रजाति जैसे कोल, गोंड, भुनियार, राजवर्स, साहू, अहीर और ग्वाला निवास करती है। इनका मुख्य कार्य कृषि है, जिससे यह अपनी आजीविका चलाते हैं। आदिवासी लोग आमतौर पर बड़े हंसमुख और मिलनसार माने जाते हैं। वह अपने यहां आने वाले पर्यटकों का स्वागत बड़ी गर्मजोशी से करते हैं। इन आदिवासियों की संस्कृति बहुत रंग-बिरंगी होती है। पर्यटकों को इनकी संस्कृति और इनके पारंपरिक नृत्य सूगा, कर्मा व सैला बहुत पसंद आते हैं। यहां के आदिवासी गंगा दशहरा, छेरता और नवाखायी जैसे पर्व बड़ी धूमधाम से बनाते है।
राजमहल के कानून: सन् 1931 में कानून बना कि हर स्कूल में दोपहर को छात्रों को चना व गुड़ का नाश्ता दिया जाए। छात्रों को नाश्ता देने का यह हिन्दुस्तान का पहला कानून था। वर्तमान में मध्याह्न भोजन में दिए जा रहे दाल-चावल ये यह अिधक पौष्टिक था।
सन् 1931 में रेल लाइन से जुड़ा कोरिया – आर्थिक विकास के लिए यातायात के मार्गों को महत्व देकर चिरमिरी व मनेंद्रगढ़ में कोयला परिवहन के लिएं रेल लाईन से जोड़ा गया। राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने रेल लाईन को जोड़ने के लिए भारत के वायसराय से भेंट की और बंगाल नागपुर रेलवे लाईन को बिजुरी से चिरमिरी तक बढ़ाए जाने के लिए अनुरोध किया और प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। 1928 में रेल लाइन बिछाने का कार्य शुरू हुआ और 1931 में इस रेल लाइन को जोड़ दिया गया। साथ ही सड़क मार्ग को दुरूस्त करने के लिए बैकुण्ठपुर से मनेंद्रगढ़ व चिरमिरी के लिए 1941 में पक्की सड़क बनाने का कार्य शुरू हुआ। 1946 के आस-पास सभी पुल-पुलियों का निर्माण करा दिया गया। यह है कोरिया का इतिहास: कोरिया रियासत के नाम से पहचाना जाने वाला यह क्षेत्र कोरिया जिले के रुप में अस्तित्व में आया। रियासत काल में आदिवासी राजाओं का शासन काल सन् 1700 तक रहा। सन् 1930 में तैयार कोरिया का राजमहल 85 वर्ष बाद भी इतिहास को समेट हुए मजबूती से खड़ा हुआ है। ठिक इसी प्रकार कोरिया पैलेश के लोग को भरोसा भी है अपनी जनता पर।

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