November 22, 2024

छत्तीसगढ़ में हर्बल क्षेत्र के विकास का यह स्वर्णिम युग: महेश गागड़ा 

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औषधीय पादप बोर्ड और इमामी कम्पनी के बीच एमओयू हर्बल खेती और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा


 रायपुर – वनौषधियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए वन मंत्री श्री महेश गागड़ा की अध्यक्षता में आज यहां वन विभाग की संस्था छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पादप बोर्ड और देश के प्रमुख हर्बल उद्योग इमामी प्राइवेट लिमिटेड (कोलकाता) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किए गए। इस एमओयू के अनुसार बोर्ड द्वारा कम्पनी को कच्चे माल के रूप में औषधीय पौधों के उपजों की पूर्ति की जाएगी। इससे राज्य में हर्बल क्षेत्र के विकास के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। वन मंत्री  गागड़ा ने एमओयू पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में यह हर्बल क्षेत्र के विकास का एक स्वर्णिम युग है। औषधीय पादप बोर्ड के साथ देश की अनेक प्रतिष्ठित हर्बल कंपनियां छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए आगे आ रही हैं। इससे वनौषधियों की खेती में किसानों की दिलचस्पी बढ़ेगी और छत्तीसगढ़ को हर्बल राज्य बनाने का सपना साकार होगा। आज हुए एमओयू के अवसर पर बोर्ड के अध्यक्ष श्री रामप्रताप सिंह और वन विभाग के अपर मुख्य सचिव  सी.के. खेतान भी उपस्थित थे। एमओयू पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक और औषधीय पादप बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री ए.के. द्विवेदी और इमामी कंपनी की ओर से डॉ. रमेश उनियाल ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर बोर्ड के अध्यक्ष श्री रामप्रताप सिंह ने कहा कि हर्बल क्षेत्र के विकास और राज्य के स्थानीय लोगों को रोजगार की संभावनाओं पर राजधानी रायपुर में लगभग दो महीने पहले तीन और चार फरवरी को बोर्ड द्वारा राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। सम्मेलन के बाद विगत दो माह में बोर्ड ने राष्ट्रीय स्तर की दस बड़ी हर्बल कंपनियों के साथ एमओयू किया है और अगले 15 दिनों में पांच अन्य बड़ी कंपनियों के साथ एमओयू करने की तैयारी की जा रही है। सभी कंपनियों को उनके परचेज ऑर्डर के आधार पर अच्छी गुणवत्ता के कच्चे माल की आपूर्ति की जाएगी।  बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री द्विवेदी ने बताया कि डाबर कंपनी के साथ हुए बोर्ड के एमओयू के अनुसार कंपनी ने छत्तीसगढ़ से पांच मीटरिक टन अर्जुन छाल की खरीदी के लिए पहला खरीदी आदेश जारी कर दिया है। कंपनी से मिले इस परचेज ऑर्डर के आधार पर वन विभाग द्वारा कल 30 मई को धमतरी जिले के दुगली स्थित प्रसंस्करण केन्द्र से अर्जुन छाल की पूर्ति की जाएगी।

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