कोरिया जिले में डेयरी संचालक दूध के नाम पर जहर परोश रहे और स्वास्थ विभाग बेख़बर
बैकुण्ठपुर: कोरिया जिले भर के अधिकांश डेयरी संचालक मवेशियों में दूध बढ़ाने के लिये ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं। इस मामले में आज तक कोई ठोस कार्यवाही नही हुई जिसके चलते डेयरी संचालक प्रतिबंध के बावजूद भी इसका उपयोग करने से बाज नही आ रहे हैं। अधिक कमाई के चक्कर में ये डेयरी संचालक आम लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं और जिम्मेदार मौन साधे बैठे हैं।
मनुष्य के लिये दूध का प्रयोग हमेशा से सेहत और स्वास्थ्य के लिये लाभदायक माना जाता रहा है। यही वजह है कि दूध को मुख्य आहार के रूप में शामिल करना जहां लोग कभी भूलते नही थे वहीं बच्चों को सुबह शाम दूध से भरा गिलास देना भी परिवार की महिला सदस्य की जिम्मेदारी थी। लेकिन बदलते परिवेश में दूध में तेजी से हो रही मिलावट ने लोगों को सोचने के लिये मजबूर कर दिया है। दूध पियोगे तो पहलवान बनोगे यह कहकर बच्चों को पहले दूध पिलाया जाता था लेकिन धन कमाने की अंधाधुंध होड़ ने लोगों की आंखों में पट्टी बांध दी है। यही वजह है कि अधिकांश डेयरी संचालक मवेशियों में दूध बढ़ाने के लिये ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन लगाने से दूध गाढ़ा करने केमिकल मिलाने के कारण यह मनुष्य के रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी समाप्त कर सकता है। इसके बावजूद भी ऑक्सीटोसिन के बढ़ते उपयोग पर कोई प्रतिबंध नही लग पा रहा है।
इस संबंध में पशु चिकित्सकों का मानना है कि विशेष परिस्थितियों में ही मवेशियों को ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाने की सलाह दी जाती है लेकिन अधिकांश मवेशी मालिक अपने निजी फायदे के लिये बिना सोचे समझे सुबह शाम इस इंजेक्शन का प्रयोग करते हैं। इंजेक्शन की अधिकता के कारण मवेशी कमजोर पड़ जाते हैं और उनका हारमोन संतुलन भी बिगड़ जाता है जिससे जहां मवेशियों के प्रजनन की क्षमता घट जाती है वहीं उनका दूध एवं व्यवहार भी बदल जाता है। लगातार इंजेक्शन लगाने से दुधारू जानवरों को कई प्रकार की बीमारियॉ हो जाती हैं। ऐसे में अगर उनके दूध का सेवन किया जाये तो कई प्रकार की बीमारियॉ हो जाती हैं। इसके अलावा अगर कोई शिशुवती माता आक्सीटोसिन लगे दूध का सेवन करती है तो नवजात बच्चें के लिये यह बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है।
क्षेत्र भर में संचालित अधिकांश डेयरियों में गाय भैंस को ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाया जाना बेहद आम बात है। इसके प्रयोग से मवेशी दूध बढ़ाते हैं क्योंकि यह एक हारमोनल इंजेक्शन हैं जिसे लगाने से मवेशी के भीतर मातृत्व भाव पैदा होता है और उसका दूध तेजी से उतरने लगता है। जबकि नियमानुसार ऐसे इंजेक्शन का उपयोग उन मवेशियों पर किया जाना चाहिये जिनके बछड़े मर गये हों और वे दूध ठीक से नही देते। देश में बिना पशु चिकित्सक की सलाह या पर्ची के बिना ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है लेकिन इसके बावजूद किसी भी दवाई दुकान में अथवा कई जगहों में किराना दुकानों में भी ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन बच्चों के चॉकलेट की तरह सहजता से मिल जाता है। सुगमता से मिल जाने के कारण मवेशी मालिक इनका जमकर उपयोग कर रहे हैं। इसे लेकर न तो जिले का पशु चिकित्सा विभाग गंभीर है और न ही जिला प्रशासन। और तो और स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ ड्रग इंस्पेक्टर भी कभी इस मामले में कोई जरूरी कदम उठायें।