पेट की खातिर कोरिया जिले में कोयला चोरी बनी बेरोजगारों का नसीब
बैकुण्ठपुर: जिले के मनेन्द्गगढ़ शहर के आसपास में अवैध कोयला उत्खनन करते कई लोगों को मौत हो जाने के बावजूद भी अवैध कोयले का उत्खनन धड़ल्ले से जारी है। जहां कई नदी नालों के तट पर काफी मात्रा में कोयले के भंडार हैं।
प्राकृतिक रूप से खुले इन क्षेत्रों में वर्षो से खुलेआम अवैध रूप से कोयले का उत्खनन कर उसे क्षेत्र में संचालित ईट भट्टों में तो खपाया ही जाता है। वहीं अवैध रूप से निकाले गये इस कोयले को संग्रहित कर उसे फर्जी दस्तावेज बनाकर बिलासपुर और कटनी की आेर भेजा जाता है। यह सब कुछ इतनी मिलीभगत से होता है कि किसी को कानों कान खबर नही होती।
मनेन्द्रगढ़-शहडोल मार्ग पर सिद्घबाबा मंदिर के पीछे आमानाला क्षेत्र में तो यह कारोबार जैसे खुली खदान के रूप में संचालित है। यहां उत्खनन देखकर ऐसे लगता है कि वन विभाग ने मानों यहां कोयला खोदने के लिये लीज जारी कर दी गई हो और यही वजह है कि यहां प्रतिदिन जान जोखिम में डालकर लोग सैकड़ों बोरी कोयला निकालने के लिये सुरंगनुमा कोयला खदानों के अंदर घुसते हैं और यह वह जगह होती है जहां अक्सीजन की काफी कमी होती है लेकिन इसके बाद भी चिमनी जलाकर युवक यहां कोयले का उत्खनन करते हैं।
जिस स्थान पर अवैध रूप से कोयले का उत्खनन होता है वह काफी दुर्गम क्षेत्र है। वहां सामान्यत: लोगों की आवाजाही नही होती। इस बात का फायदा उठाकर कोल माफिया अपने मजदूरों को भी इन क्षेत्रों में अवैध कोयले का उत्खनन करने के लिये भेजते हैं जहां सीमेंट की खाली बोरियों में कोयला इकट्ठा करने के बाद रात के अंधेरे में इन बोरियों को पिकअप के मायम से बड़े ठीहें मेें लाया जाता है और वहां से उसे दूसरे शहर के लिये भेज दिया जाता है।
वन विभाग के लोग यदाकदा कार्यवाही कर बोरी कोयला जप्त कर अपनी पीठ जरूर थपथपा लेते हैं लेकिन इन अवैध खदानों को बंद कराने की दिशा में कोई पहल नही की जाती जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। क्योंकि जिस प्रकार बिना किसी सहारे के इन सुरंगनुमा खदानों का संचालन किया जा रहा है वह कभी भी बैठ सकती है। लेकिन इसकी परवाह न तो संबंाित विभाग को है और तो न वहां कोयला खोदने वाले लोगों को।
अवैध कोयला उत्खनन करने वालो का कहना है कि बेरोजगारी इतनी है कि हम कैसे अपने परिवार का भरण पोषण करें। भूखे मरने से अच्छा है कि कुछ तो करें। हर दिन जीने के लिए हर पल मौत को गले लगाते हैं। लोगों की बिडम्बना है कि वे इतने खतरनाक और जोखिम भरे गढडे और खोह से कोयला निकालकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। मगर उन्हें यह पता नहीं है कि इस तरह से खतरनाक ढंग से कोयला निकालने में उनकी जान भी जा सकती है। शासन एवं प्रशासन को चाहिए कि उक्त अवैघ खदानों को समय रहते ही बंद कर दिया जाए। जिससे आने वाली बडी दुघर्टना को टाला जा सकता है।