November 22, 2024

जनता से पूछकर जनता की उम्मीदों, आकांक्षाओं को जानकर एवं समझकर विकास के काम किये-मुख्यमंत्री डॉ.सिंह

0

कोरिया,मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने कहा है जनता से पूछकर जनता की उम्मीदों और आकांक्षाओं को जानकर एवं समझकर विकास के काम किये है। इसलिए जब हमारा कार्यकाल पूरा होने लगता है, तो हम जनता का सामना करने का साहस रखते हैं। विकास यात्रा इसी जवाबदेही की एक जीती-जागती मिसाल है। मुख्यमंत्री डॉ.सिंह आज अपनी मासिक रेडियो वार्ता रमन के गोठ की 33वी कड़ी के माध्यम से आकाशवाणी रायपुर केन्द्र से प्रदेष के ढाई करोड़ से अधिक जनता से सीधे संवाद स्थापित कर रहे थे। मुख्यमंत्री की मासिक रेडियों वार्ता का प्रसारण राज्य में स्थित आकाषवाणी के सभी केन्द्रो के अलावा विभिन्न प्राइवेट टेलीविजन तथा एफ.एम चैनलों द्वारा किया गया। जिसे कोरिया जिलें के गावों, कस्बो और षहरों जैसे कई स्थानों पर लोगो ने भी सामूहिक रूप से सुना। इसी कड़ी में जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर स्थित नगर पालिका परिषद बैकुण्ठपुर के सभाकक्ष में भी जिला प्रषासन की ओर से अपर कलेक्टर श्री आर.ए.कुरूवंशी, बैकुण्ठपुर अनुभाग के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्री अपूर्व प्रियेष टोप्पो सहित बडी संख्या में नगरवासियों ने तल्लीनता से सुना।
मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने अपने मासिक रेडियो वार्ता रमन के गोठ में कहा कि एक जमाना था, जब लोग चुनाव होने के बाद नेता, मंत्री और मुख्यमंत्री आदि को खोजा करते थे। चुनाव जीतने वाला लौट के अपने मतदाताओं से भी नहीं मिलता था, लेकिन जबसे मैंने छत्तीसगढ़ में सरकार की बागडोर संभाली, तब से मेरा बड़ा सिद्धांत था-‘‘जनता से निकटता और जवाबदेही‘‘। मुख्यमंत्री निवास में जनदर्शन, ग्राम सुराज अभियान, नगर सुराज अभियान, किसान महोत्सव, बोनस तिहार जैसे अनेक तरीकों से मैंने और मेरी सरकार ने ज्यादा से ज्यादा समय जनता के बीच गुजारा। मैंने तय किया था कि मुख्यमंत्री निवास के दरवाजे हमेशा जनता के लिए खुले रहेंगे और मुझे यह कहते हुए खुशी है कि यह सब करने में हम सफल हुए। मैंने यह तय किया कि हम जो कहेंगे, वो करेंगे और उसकी पूरी जिम्मेदारी लेंगे। हमने जनता से पूछकर जनता की उम्मीदों और आकांक्षाओं को जानकर और समझकर विकास के काम किए। इसलिए जब हमारा कार्यकाल पूरा होने लगता है, तो हम जनता का सामना करने का साहस रखते हैं। विकास यात्रा इसी जवाबदेही की एक जीती-जागती मिसाल है। उन्होने कहा कि मुझे 2008 और 2013 के अनुभव भी याद आ रहे हैं, जब विकास यात्रा के दौरान जनता का बहुत प्यार और आशीर्वाद मिला था। उन्होने कहा कि विकास यात्रा के दौरान हम अपने अत्यंत महत्वाकांक्षी निर्णयों को भी क्रियान्वित करने जा रहे हैं, जिसके तहत संचार क्रांति (स्काय) योजना के तहत 50 लाख से अधिक लोगों को निःशुल्क स्मार्ट फोन का वितरण, किसानों को धान का बोनस तथा आबादी पट्टे का वितरण आदि शामिल हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा है कि हम स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, और पं. दीनदयाल उपाध्याय जैसे महापुरूषों के आदर्शों पर चलते हैं, जिन्होंने अलग-अलग शब्दों में हमें यह शिक्षा दी है कि समाज के सबसे पिछड़े तबके को ऊंचा उठाने के काम सबसे पहले और सर्वाधिक प्राथमिकता से होनी चाहिए और राज्य षासन द्वारा इसी उद्देष्य की पूर्ति के लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत छत्तीसगढ़ के लगभग 45 लाख परिवारों को पांच लाख रूपए तक स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलेगा। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य के 56 लाख परिवारों को वार्षिक 50 हजार रूपए तक निःशुल्क इलाज की सुविधा दी गई है, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों को और पत्रकारों को 80 हजार रूपए तक इसकी सुविधा मिलेगी। उन्होने कहा कि राज्य में प्रयास संस्थाओं के माध्यम से बच्चों को राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं के लिए शिक्षित-प्रशिक्षित किया जाता है। इस वर्ष ‘प्रयास’ संस्थाओं से 112 युवाओं को सफलता मिली है। जिसमें ‘प्रयास विद्यालय’ अम्बिकापुर के 16 बच्चे शामिल हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने अपने मासिक रेडियो वार्ता रमन के गोठ में कहा कि पहले गांवों में आजीविका तथा स्वावलम्बन के लिए एक स्वर्ण जयंती रोजगार योजना चलाई जाती थी। जिसमें महिला तथा पुरूषों की समान भागीदारी होती थी। हमने इस योजना को छत्तीसगढ़ी परिवेश के अनुरूप बिहान नाम दिया, जिसका अर्थ होता है सुबह। इस बिहान योजना को पूरी तरह महिलाओं के लिए समर्पित किया, जिसके तहत महिला स्व-सहायता समूह का गठन किया गया है। यह जानकर आश्चर्य होगा कि राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत प्रदेश में अब-तक 1 लाख 24 हजार से अधिक महिला स्व-सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है। गठित समूहों को विगत 5 वर्षों में 1 हजार 151 करोड़ रूपए राशि के ऋण दिए गए। इससे उनकी छोटी-छोटी बचत और थोड़ी-थोड़ी हिम्मत ने मिलकर चमत्कार कर दिया है। उन्होने कहा कि बहुत से महिला स्व-सहायता समूह स्थानीय निकायों से बाजार का ठेका लेकर अच्छी आमदनी करते हैं। जैविक खेती के माध्यम से ऐसा चावल पैदा कर रहे हैं, जिसकी मांग महानगरों में है। जो समूह पहले मोमबत्ती बनाते थे, अब वे एलईडी बल्ब बना रहे हैं। गांवों में गोबर के कंडे बनाकर आजीविका चलाने वाली महिलाओं ने समूह से जुड़कर आइसक्रीम बनाना सीख लिया है। पहले जो मिट्टी के घड़े बनाते थे, वे अब कोल्ड स्टोरेज स्थापित कर रहे हैं, जिसमें स्थानीय फल तथा सब्जियों को रखने की व्यवस्था कर रहे हैं। उन्होने कहा कि राज्य के 20 जिलों के 44 विकासखण्डों की बहने तो बैंक सखी बन गई हैं। यह ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत स्व-सहायता समूह की सदस्या बहनों द्वारा घर-घर में बैंक की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। हमारा प्रदेश आदि-शक्ति देवियों के शक्ति केन्द्रों के लिए प्रसिद्ध रहा है, लेकिन आज उनकी प्रेरणा से गांव-गांव में महिला समूह शक्ति केन्द्र के रूप में स्थापित हो गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *