मानव तस्करी एक संगठित और गंभीर अपराध है: आर.के.विज
‘मानव तस्करी की विवेचना, रेस्क्यू और पुनर्वास’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न
रायपुर, पुलिस मुख्यालय नया रायपुर अपराध अनुसंधान विभाग द्वारा ‘‘मानव तस्करी की विवेचना, रेस्क्यू और पुनर्वास में पुलिस की भूमिका’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आज पुलिस लाईन रायपुर स्थित पुलिस ट्रांजिट मेस के सभाकक्ष में आयोजित की गई।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध अनुसंधान विभाग) श्री आर.के. विज ने कार्यशाला में प्रदेश भर से आये अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि मानव तस्करी नया विषय नहीं है। समय-समय पर मानव तस्करी के तरीके और स्वरूप में बदलाव होता रहा है। मानव तस्करी पूरे विश्व स्तर पर होती है, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इससे निपटने के लिए प्रावधान किए गए हैं, विशेषकर यूरोपीय देशों में यह समस्या ज्यादा है। श्री विज ने बताया कि मानव तस्करी एक संगठित अपराध है, इसका पूरा नेटवर्क अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक फैला हुआ है। पूरे विश्व में हथियारों की तस्करी, ड्रग्स का व्यापार और मानव तस्करी गंभीर अपराध की श्रेणी में आते हैं और यह पैसे के लिए किया जाता है। मानव तस्करी में विशेषकर गरीब देश के बच्चों को यूरोपीय देशों में भेजा जाता है। इसको ध्यान में रखते हुए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाए गए हैं, जिसमें मानव तस्करी में संलग्न अपराधियों के विरूद्ध किसी भी देश में कार्यवाही हो सकती है।
श्री विज ने कहा कि समय-समय पर शासन द्वारा मानव तस्करी रोकने के लिए कानून में संशोधन किया गया है। इसके बाद भी पुलिस अधिकारियों की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्देश दिया है कि बच्चों की गुमशुदगी के मामले में तुरन्त एफ.आई.आर. दर्ज किया जाय और यदि पुलिस अधिकारी तत्परता बरते तो अपहरण के मामलों का ज्यादा निराकरण हो सकता है। श्री विज ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि राज्य भर के प्रत्येक थाने के अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र के पिछले एक-दो वर्षों में दर्ज गुमशुदा बच्चों के प्रकरणों का अध्ययन करें कि किन-किन प्रकरणों में अपराधियों को सजा मिली और यदि अपराधी न्यायालय से बरी हो गया तो उसमें पुलिस की कहां चूक हुई, इस चूक का निराकरण करने का प्रयास होना चाहिए।
छत्तीसगढ़ सरकार ने मानव तस्करी रोकने के लिए पिछले दिनों कानूनी प्रावधान किया गया है जिसमें प्रदेश में कामकाजी महिलाओं और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को राज्य के बाहर प्रशासन की अनुमति बिना अनुमति बाहर ले जाना मना है। इस कानून के अनुसार प्रशासन की जानकारी में रहे कि महिलाओं को कामकाज के लिए कहा ले जाया जा रहा है और वे किसके माध्यम से जा रही है।
कार्यशाला में अभियोजन विभाग की ओर से श्री प्रशांत देवांगन, महिला एवं बाल विकास विभाग की अपर संचालक सुश्री पद्मिनी भोई, श्रम अधिकारी श्री डी.के. राजपूत, ए.डी.पी.ओ. श्री सोहन लाल साहू, यूनिसेफ की छत्तीसगढ़ प्रभारी श्रीमती गार्गी शाहा और शक्ति वाहिनी दिल्ली के अध्यक्ष श्री रविकान्त ने प्रदेश भर से आये पुलिस अधिकारियों को संबोधित किया।