चिरमिरी पोंडी भागवत कथा के छठवें दिन कंस वध और रुक्मणि विवाह पर चित्रण
पोंडी में पिछले 6 दिनों से चल रही है भागवत कथा, बाल व्यास आनंद मिश्र महाराज कर रहे है वाचन
चिरमिरी । वेस्ट चिरमिरी में 2 मई से चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत ज्ञान कथा के छठवें दिन व्यास पीठ पर बैठे बाल व्यास आनंद कृष्ण शास्त्री जी महाराज कंस वध व रुक्मणी विवाह के प्रसंगों का चित्रण किया बाल व्यास आनंद कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने बतलाया कि भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक में अवतरित होने के कई कारण थे जिसमें एक कारण कंस वध भी प्रमुख कारणों में था । कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राह त्राह जब करने लगी और बचाने के लिए लोग भगवान से गुहार लगाने लग गए सब सही समय पर कृष्ण अवतरित हुये हालांकि कंस को यह पता था कि उसका वध श्री कृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेकों अनेकों बार मरवाने का प्रयास किया लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा मात्र 11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अपने प्रमुख अकरुर के द्वारा
मल्ल युद्ध के बहाने मथुरा बुलवाकर श्री कृष्ण बलराम को शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथों से कुचल वाकर मारने का प्रयास किया लेकिन वह सभी श्री कृष्ण और बलराम के हाथों मारे गए और अंत में श्री कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध करके मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी को जहां कारागार से मुक्त कराया वहीं कंस के द्वारा अपने पिता उग्रसेन जी महाराज को भी बंदी बनाकर कारागार में रखा था उन्हें भी श्रीकृष्ण ने मुक्त कराकर मथुरा के सिंहासन पर बैठाया ।
रुक्मणी जिससे माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है विदर्भ साम्राज्य की पुत्री थी जो विष्णु रूपी श्रीकृष्ण से विवाह करने को इच्छुक थी लेकिन रुकमणी जी के पिता व भाई इससे सहमत नहीं थे जिसके चलते उन्होंने रुक्मणी के विवाह में जरासंध और शिशुपाल को भी विवाह के लिए आमंत्रित किया था जैसे ही यह खबर रुकमणी को पता चली तो उन्होंने दूत के माध्यम से अपने दिल की बात श्री कृष्ण तक पहुंचाई और काफी संघर्ष हुआ युद्ध के बाद अंततः श्री कृष्ण रुक्मणी से विवाह करने में सफल रहे ।